मिलिए भारत की उन 'बेटियों' से, जिन्होंने 2019 में इतिहास रचकर बढ़ायी तिरंगे की शान
2019 में भारत की इन महिलाओं ने दुनिया में बढ़ाया देश का मान।
बेंगलुरु। हर वर्ष की तरह इस बार भी कई मोर्चो पर में देश की बेटियों ने दुनियाभर में भारत का झंडा बुलंद किया है। 2019 में भारत की कई बेटियों ने अपनी उपलब्ध्यिों से उन पर देश को गर्व करने का अवसर दिया है। साथ ही एक बार फिर से यह साबित किया है कि बेटियां किसी से कम नहीं है। सामाजिक भेदभाव के बावजूद देश की तमाम बेटियां अपने हुनर के दम पर अपनी पहचान बना रही हैं और अपने साथ ही अपने समाज और देश का मान बढ़ा रही है। मिलिए देश की ऐसी होनहार बेटियां से जिन्होंने वर्ष 2019 में अलग-अलग मोर्चे पर परचम लहरा कर तिरंगे का मान बढ़ाया है।
हिमा दास अंडर-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में जीते 5 गोल्ड मेडल
हिमा दास, बीते जुलाई के महीने में यूरोप में हुई अंडर-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में 5 गोल्ड जीत सुर्खियों में आई। हिमा किसी इंटरनेशनल ट्रैक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं। लगातार 5 गोल्ड मैडल जीतना आसान नहीं होता, मगर हिमा दास ने यह भी कर दिखाया। हिमा ने यह साबित कर दिया कि उन में विश्व विजेता बनने की ताकत है।
धान के खेतों से निकली हिमा दास का अब तक का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। जिस हिमा को कुछ वर्ष पूर्व उन के पड़ोसी गांव के लोग भी नहीं जानते थे आज विश्व में उन्होंने अपने बलबूते पर अपनी पहचान बनाई है। यही नहीं हिमा ने देश का नाम भी विश्व के खेल जगत में बढ़ाया है। देश की नई उड़नपरी हिमा दास के पास आज क्या नहीं है। शोहरत, दौलत और नाम कमाने वाली हिमा कुछ साल पहले बहुत गरीबी में जीवन बिताया था। लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित कर दिया कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
पीवी सिंधु वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत कर रचा इतिहास
पीवी सिंधु, भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने इसी वर्ष सितंबर माह में विश्व चैम्पियन बनने का गौरव हासिल कर देश का मान बढ़ाया। भारत की इस दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी ने आखिरकार वह कारनामा कर ही दिखाया, जिसका करोड़ों भारतीय खेलप्रेमी सालों से इंतजार कर रहे थे। पीवी सिंधु ने जापान की नोजोमी ओकुहारा को हराकर वर्ल्ड चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाल लिया। इसके साथ ही वह वर्ल्ड बैडमिंटन चैपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की पहली खिलाड़ी बन गई हैं। यह मुकाबला 37 मिनट तक चला था। इस जीत के साथ ही सिंधु ने ओकुहारा से खिलाफ अपना करियर रिकॉर्ड 9-7 का कर लिया।
अपूर्वी चंदेला ISSF विश्व कप राइफल में स्वर्ण पदक जीता
अपूर्वी चंदेला ने भी इस साल जर्मनी में हुए ISSF वर्ल्ड कप में 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीत देश का नाम रौशन किया है। आपको बता दें कि अपूर्वी ने विश्व कप में अव्वल रहने का ये रिकॉर्ड दूसरी बार बनाया। अपूर्वी ने चीन की वांग लुयाओ को 251 के स्कोर के साथ हराया। यह इस वर्ष 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में अपूर्वी का दूसरा स्वर्ण पदक है, इससे पहले उन्होंने फरवरी 2019 में नई दिल्ली में भी स्वर्ण पदक जीता है। यह उनके ओवरआल करियर का चौथा ISSF पदक है।अपूर्वी चंदेला भारतीय निशानेबाज़ हैं, वे 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में हिस्सा लेती हैं। उनका जन्म 4 जनवरी, 1993 को राजस्थान के जयपुर में हुआ था।
भावना कांत देश की पहली फाइटर पायलट
इस साल फ्लाइंग लेफ्टिनेंट भावना कांत के रूप में देश को पहली महिला फाइटर पायलट भी मिल चुकी है। बिहार के दरभंगा जिले की भावना ने अकेले मिग-21 लड़ाकू विमान उड़ा कर अपना प्रशिक्षण पूरा किया है। फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंत किसी हवाई युद्ध में शामिल हो सकती हैं। फ्लाइट लेंफ्टिनेंट भावना नवंबर 2017 में फाइटर पायलट के तौरपर वायुसेना में शामिल हुई थीं और उन्होंने मार्च 2018 में मिग-21 बायसन एयरक्राफ्ट में पहली अकेली (SOLO) उड़ान भरी थी। फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना वायुसेना में शामिल होने वाली महिलाओं के पहले बैच की सदस्य हैं। राजस्थान में पाकिस्तान की सरहद से लगने वाले एक फॉरवर्ड एयरबेस पर तैनात भावना अब फाइटर प्लेन से आसमान में अपने जौहर दिखा रही है।
शिवांगी बनीं नेवी की पहली महिला पायलट,
दिसंबर माह की शुरुआत में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की शिवांगी भारतीय नौसेना की पहली महिला पायलट बन गई हैं। उन्होंने कुछ समय पूर्व ही कोच्चि नवल बेस पर ऑपरेशनल ड्यूटी जॉइन की। शिवांगी ड्रोनियर सर्विलांस एयरक्राफ्ट उड़ा रही हैं। इस ड्रोनियर 228 एयरक्राफ्ट हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा तैयार किया है। इस प्लेन को कम दूरी के समुद्री मिशन पर भेजा जाता है। इसमें अडवांस सर्विलांस रडार,इलेक्ट्रॉनिक सेंसर और नेटवर्किंग जैसे कई शानदार फीचर्स मौजूद है। इन फीचर्स के दम पर यह प्लेन भारतीय समुद्र क्षेत्र पर निगरानी रखेगा। नेवी से पहले एयरफोर्स में भी महिला पायलट ने फाइटर प्लेन उड़ाना शुरू कर दिया था
विदिशा बालियान मिस डेफ वर्ल्ड प्रतियोगिता जीत कर रचा इतिहास
दक्षिण अफ्रीका में हुए मिस डेफ वर्ल्ड प्रतियोगिता- 2019 में भारत की विदिशा बालियान ने पहला स्थान प्राप्त किया। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय बन गई। पिछले 19 सालों में किसी भारतीय ने यह खिताब अपने नाम नहीं किया था। 21 वर्षीय विदिशा दाएं कान से 100 फीसदी और बाएं कान से 90 फीसदी नहीं सुन पाती हैं। चूँकि, उन्हें सुनाई नहीं देता है इसीलिए वह लिप रीडिंग के जरिए बातें समझ पाती हैं।विदिशा उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में रहती थीं। हालांकि, अब उनका परिवार गाजियाबाद शिफ्ट हो गया है। वह फिजिकल एजुकेशन से ग्रेजुएट हैं। खास बात है कि विदिशा इंटरनेशनल टेनिस प्लेयर भी रह चुकी हैं। वह डियालिकम्पिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं। साथ ही, विदिशा ने इंटरनेशनल डेफ ओलिंपिक में भी सिल्वर मेडल अपने नाम किया हुआ है।
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