कारगिल वॉर: पाकिस्तान आर्मी के ऑफिसर को हाथ से ही ढेर करने वाले सतपाल संभाल रहे हैं ट्रैफिक
नई दिल्ली। सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे लेकिन कारगिल की जंग में पाकिस्तान के एक आर्मी ऑफिसर को मारने वाले सिपाही सतपाल सिंह अब ट्रैफिक कॉन्स्टेबल की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। सिपाही सतपाल पंजाब के संगरूर के रहने वाले हैं और यहां के लोगों के लिए वह कोई साधारण इंसान नहीं हैं। आपको बता दें कि कारगिल की जिस टाइगर हिल को जंग जीतने में सबसे अहम माना गया, उसे फतह करने में सिपाही सतपाल का बड़ा रोल था। सतपाल को उनके अदम्य साहस के लिए जंग के बाद वीर चक्र से भी नवाजा गया। इंडियन एक्सप्रेस की तरफ से उनके बारे में जानकारी दी गई है।
सिर्फ 20 वर्ष के थे सतपाल
संगरूर के भवानीगढ़ में सतपाल आपको ट्रैफिक संभालते नजर आ जाएंगे। 20 साल पहले सतपाल ने पाकिस्तान आर्मी के कैप्टन करनाल शेर खान के साथ तीन और सैनिकों को कारगिल की जंग में ढेर किया था। शेर खान को पाकिस्तान ने सर्वोच्च सैन्य सम्मान निशान-ए-हैदर से नवाजा गया था। पंजाब पुलिस में अब सतपाल हेड कॉन्स्टेबल हैं। जंग के समय वह सेना की 19 ग्रेनेडियर्स के साथ थे। आठ सिख सैनिकों वाली टीम में दो ऑफिसर्स, चार जेसीओ और 46 अदर्स रैंक्स के थे। इन्हें टाइगर हिल को कैप्चर करने की जिम्मेदारी दी गई थी। टाइगर हिल पर पाकिस्तान ने सात जुलाई 1999 को जब हमला किया जो टीम पहली बार उसकी चपेट में आई। सिपाही सतपाल की उम्र उस समय सिर्फ 20 साल थी। उन्होंने बताया कि पूरी टीम ने पांच जुलाई 1999 को अपनी पोजिशन संभाल ली थी। उस समय वहां पर काफी ठंड थी और जो कपड़े पहने थे उसमें ही काम चलाना था। सैनिक या तो गर्म कपड़े लेकर चल सकते थे या फिर अतिरिक्त हथियार। ऐसे में हथियारों को साथ ले जाना बेहतर समझा गया और ऊनी कपड़ों को छोड़ दिया गया। पाकिस्तान की तरफ से एक के बाद एक हमले होते जा रहे थे। एक पाक सैनिक को मारते तो दूसरा आ जाता। सतपाल की मानें तो पाकिस्तान ने अपने सबसे अच्छे ऑफिसर को भेजा था।
चार गोलियां खाने के बाद भी मजबूत
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ऑफिसर्स और जेसीओ घायल हो चुके थे और सूबेदार निर्मल सिंह भी घायलों में थे। लेकिन निर्मल सिंह ने कमांड संभाली और बिग्रेड कमांडर ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा के साथ बराबर संपर्क में रहे। सूबेदार निर्मल सिंह के सिर में गोली लगी और वह शहीद हो गए। शहीद होने से पहले उन्होंने अपने साथी जवानों को जयकारा 'बोले सो निहाल सत श्री अकाल' लगाने को कहा। सतपाल सिंह जयकारा लगाते ही दुश्मन ऑफिसर की तरफ टूट पड़े। इस दौरान उन्हें चार गोलियां भी लगीं। सतपाल ने भी अपनी लाइट मशीन गन से फायरिंग की थी। इसके बाद उन्होंने बाकी लड़ाई हाथ से लड़ी। ट्रैकसूट में पाक ऑफिसर, सतपाल सिंह पर अपनी लंबाई की वजह से भारी पड़ रहे थे। वह पाकिस्तानी ट्रूप्स को लीड कर रहे थे। हर तरफ अजीब नजारा था और हर कोई एक दूसरे को गालियां दे रहा था। इस बीच सतपाल ने पाकिस्तानी ऑफिसर को ढेर कर दिया। उन्हें पहले पाक ऑफिसर का नाम नहीं पता था। बाद में सतपाल को पता चला कि जिसे मारा है वह कैप्टन करनाल शेर खान है। सतपाल का नाम ब्रिगेड कमांडर ने वीर चक्र के लिए भेजा। साल 2009 में उन्होंने सेना छोड़ दी और पंजाब पुलिस में भर्ती हो गए। सतपाल कहते हैं कि हो सकता है उन्होंने सेना छोड़ने का गलत निर्णय लिया था। उन्हें वीर चक्र मिलने का भी कोई फायदा नहीं हुआ। सतपाल को एक्स-सर्विसमेन कोटा के तहत पुलिस में नौकरी मिली और अब वह हेड कॉन्स्टेबल हैं।