Nirbhaya case: निर्भया केस की लेडी ऑफीसर की जुबानी सुनिए पुलिस इन्वेस्टीगेशन की पूरी कहानी
Meet, the lady officer who solved the Nirbhaya case, know all the important aspects related to police investigation.निर्भया केस की उस लेडी आफीसर से सुनिए निर्भया केस में कैसे उन्होंने और उनकी टीम ने पकड़े थे निर्भया का सामूहिक बलात्कार करने वाले छ:दोषी, तत्कालीन दक्षिणी दिल्ली की डीसीपी,
बेंगलुरु। 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली की सड़कों पर मेडिकल छात्रा निर्भया के साथ जो दरिंदगी हुई थी। उसके आखिरी शब्द थे 'मुझे न्याय चाहिए'। सात साल बाद ही सही लेकिन अब एक फरवरी को तिहाड़ जेल में निर्भया के चार दंरिदों को फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा। इसके साथ ही इस मामले को अंजाम तक पहुंचाने वाली तत्तकालीन डीसीपी साउथ, छाया शर्मा का निर्भया को न्याय दिलाने का वादा पूरा हो जाएगा। चारों दोषियों के फांसी पर लटकते ही यह निर्भया केस न्याय की लड़ाई लड़ रहे लोगों के लिए नजीर बन जाएगा कि यदि पीड़िता साहस दिखाए और उसके साथ पुलिस तंत्र और न्यायप्रणाली हैं तो उसे न्याय अवश्य मिलेगा।
बता दें ये छाया शर्मा वो ही महिला पुलिस अधिकारी हैं जिन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर निर्भया के दंरिदों को पकड़ने के लिए रात दिन एक कर दिया था। इस मामले में पुलिस की की ये कड़ी मेहनत और पैनी जांच कार्रवाई ही थी कि चंद घंटों में निर्भया के छ: दरिंदों को पकड़ कर सलाखों के पीछे पहुंचाया था बल्कि महज़ 19 दिन के अंदर कोर्ट में 1000 पन्नों की चार्जशीट भी पेश कर दी। जिसके दम पर निर्भया केस सबूतों के दम पर मजबूत हुआ और अब कुछ दिनों में वो दरिंदे फांसी पर लटका दिए जाएंगे।
कोर्ट
द्वारा
डेथ
वारंट
जारी
किए
जाने
के
पर
मीडिया
को
दिए
साक्षात्कार
में
उन्होंने
कहा
कि
निर्भया
भी
नजीर
बन
गयी।
उसे
यह
मालूम
नहीं
था
कि
वह
जीवित
बचेगी
नहीं
।
लेकिन,
उसने
निश्चय
कर
लिया
था
कि
उसके
साथ
बलात्कार
करने
वालों
को
वह
सजा
दिला
कर
छोड़ेगी।
मृत्युशैया
पर
लेटी
निर्भया
तब
भी
मानसिक
रूप
से
कितनी
मजबूत
थी।
निर्भया
की
वो
पीड़ा
को
याद
कर
तत्कालीन
डीसीपी
साउथ
छाया
शर्मा
की
आंखे
भर
जाती
हैं।
कोर्ट
द्वारा
डेथ
वारंट
जारी
किए
जाने
के
पर
मीडिया
को
दिए
साक्षात्कार
में
उन्होंने
कहा
कि
कैसे
उन्होंने
अपनी
टीम
के
साथ
मिलकर
निर्भया
के
बयान
और
सड़क
पर
मिले
सबूतों
के
आधार
पर
उन्होंने
निर्भया
के
साथ
उस
रात
सामूहिक
बालात्कार
करने
वाले
छ:
दोषियों
को
ढूंढ
निकाला
था।
आइए
जानते
हैं
इस
केस
से
जुड़ी
पुलिस
इन्वेस्टीगेशन
से
जुड़े
पहलू....
मृत्युशैया पर लेटी निर्भया ने हमें हर छोटी बात बतायी
छाया शर्मा बताती हैं कि यह निर्भया का साहस था कि पुलिस आरोपियों के खिलाफ मजबूत केस बना पायी। निर्भया एक साथ दो-दो संघर्ष किये। एक तो जीवन से लड़ रही थी, दूसरी तरफ अपने साथ गलत काम करनेवालों को सजा दिलाने के लिए लड़ रही थी। निर्भया ने इस स्थिति में भी कभी अपने बयान नहीं बदले। उसने सबसे पहले अस्पताल के डॉक्टर को अपना बयान दिया। इसके बाद एसडीएम और फिर जज के सामने जो बयान दिया वो सभी समान था। दर्द से कराहती निर्भया ने उस हालत में ऐसी छोटी-छोटी बातें पुलिस को बतायी जो हमारे लिए जांच में अहम साबित हुई। हादसे से के 13 दिन बाद निर्भया तो सासों ने सिंगापुर के अस्पताल में उसका साथ छोड़ दिया। लेकिन उसके बयान को डाइंग डिक्लरेशन माना गया और कोर्ट ने इसी लिए फांसी की सजा सुनाई।
इसलिए काफी पेचीदा था मामला
छाया शर्मा ने बताया कि जब इस घटना की सूचना मिलते ही मैं दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल पहुंची तो बेड़ पर पड़ी निर्भया जिसके चारों तरफ डाक्टरों से घिरी हुई थी। उसके जख्म उसके साथ हुई बर्बरता को बयां कर रहे थे। उसकी हालत बहुत ख़राब थी। उससे बोला नहीं जा रहा था लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। छाया शर्मा जब उससे मिली तो उसने कहा ‘मेरा यह हाल करने वाले बख्शे न जाएं।'पुलिस अफसर से पहले मैं एक महिला और मां भी हूं। छाया के मुताबिक़ जब ये मामला दर्ज हुआ था तब पुलिस के आगे सबसे बड़ी चुनौती आरोपियों तक पहुंचना थी। अक्सर बलात्कार के मामलों में आरोपी पीड़ित को जानता है लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं था। हमारा काम इसलिए बहुत मुश्किल था कि हमें शुरुआत से मामले में तफ्तीश करनी पड़ी। रात में ही साउथ डिस्ट्रिक्ट के सभी पुलिस अधिकारी बुलाए। उसके साथी घायल लड़के ने बस का जो ब्योरा दिया था, वह नाकाफी था।
100 पुलिसकर्मियों की टीम ने ऐसे जुटाए सबूत
1999 बैच की आईपीएस अफ़सर छाया शर्मा ने बताया कि जांच में सबसे पहला अहम सुराग़ पुलिस को तब मिला जब पता चला कि जिस बस में रेप हुआ उसकी सीट लाल रंग की थी और परदे पीले हैं। "अब ऐसी बस को ढूंढना आसान नहीं था। हमने 300 बस की लिस्ट बनाई और हमारी टीम सबकी पहचान करने लगी। छाया की टीम में क़रीब 100 पुलिसकर्मी थे। सबका काम बांट दिया गया। "मेरी टीम बहुत मेहनती थी। आपस में बैठकर फ़ैसले लेती थी। हम सब इस नतीजे पर पहुंचे कि जिस बेरहमी से आरोपियों ने और जिस निडरता से उन्होंने अपराध किया उस से साबित होता है कि वो उस इलाक़े को अच्छी तरह से वाक़िफ़ थे।
इस सबूत की मदद से 18 घंटे में पहला और 72 घंटे में पकडे गए थे दरिंदे
छाया ने बताया, पुलिस ने CCTV फुटेज खंगाले पर इससे ज़्यादा मदद नहीं मिली। लेकिन हिम्मत नहीं छोड़ी. बार-बार फुटेज देखने से सामने आया कि बस पर यादव लिखा हुआ था। इससे पुलिस की सर्च का दायरा और कम हो गया। ड्राइवर या फिर क्लीनर को उस इलाक़े का ही होना चाहिए था ये सोचकर हमने जांच आगे बढ़ाई। पहले दिल्ली में बस बरामद हुई उसके बाद 18 घंटे के अंदर वारदात का मुख्य आरोपी बस ड्राइवर राम सिंह पकड़ा गया। उसके बाद 72 घंटे के अंदर पुलिस ने सभी दोषियों को पकड़ने में कामयाब हो गयी। आरोपियों के पास से पीड़ित का मोबाइल फ़ोन, उनके एटीएम कार्ड, सोने की चेन और दूसरा सामान बरामद किया. आरोपियों और पीड़ित की डीएनए जांच कराई जिसका मिलान भी सही हुआ, दांतों के काटने के निशान की फॉरेंसिक जांच कराई गई, 50 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज कराए गए। ही नहीं, जांच में उस हर छोटे से छोटे बिंदु को शामिल किया गया जो आरोपियों को कोर्ट में खड़ा कर सकता था।
महज 18 दिन में पुलिस ने पेश की थी कोर्ट में केस की मजबूत चार्टशीट
जब तक केस हल नहीं हुआ तब मैं घर नहीं गई। केस सुलझ चुका था। लेकिन पुलिस पर दबाव लगातार बढ़ रहा था। इस केस के बाद पूरी दिल्ली के लोग सड़कों पर उतर आए थे पुलिस इस केस को लेकर जबरदस्त प्रेशर में था। उनहोंने बताया कि गिरफ्तारी होने के बाद पुलिस का ध्यान केवल इस पर था कि मजबूत चार्जशीट तैयार हो सके। ताकि कोर्ट में सभी दोषी साबित हों। पुलिस दिनरात काम में लगी और 18 दिन में 100 पन्नों की चार्जशीट दाखिल कर दी। पुलिस द्वारा जुटाए गए मजबूत सबूतों के दम पर ही सभी आरोपी दोषी साबित हुए। यह मेरी जिंदगी का सबसे मुश्किल केस था। 7 साल बाद भी उस लड़की का चेहरा जेहन में ताजा है। दोषियों को फांसी के बाद देश की हर मां और बेटी में भरोसा मजबूत होगा कि अपराधी बच नहीं पाएंगे।
दोषियों को पकड़ने में अहम साबित हुआ था निर्भया का ये बयान
इन्हीं सबूतों के दम पर पहले लोअर कोर्ट ने फिर सप्रीम कोर्ट ने भी फैसला देते हुए माना कि जो कुछ निर्भया के साथ हुआ वो बहुत भयानक था। अक्सर देखा है कि बलात्कार पीड़ित घबरा जाते हैं। सच नहीं बताते या पूरा सच याद नहीं कर पाते लेकिन इस निर्भया का रवैया बड़ा पॉज़िटिव था। छाया आज भी उसके हौसले की तारीफ करती हैं। उसने पुलिस को यहां तक बताया कि बस की सीटें लाल रंग की थी और परदे पीले रंग के। पुलिस के लिए यही सबसे अहम सुराग साबित हुआ, जिसके आधार पर सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सका।
पुलिए टीम ने जांच के साथ निर्भया के परिजनों का ऐसे रखा ख्याल
असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर से लेकर डीसीपी रैंक के ऐसे 41 पुलिसकर्मी हैं जिन लोगों ने दिन रात एक कर निर्भया केस की जांच की और आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद फांसी के फंदे तक पहुंचाया. इनकी जांच की तारीफ निचली अदालत, हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तीनों ने अपने अपने फैसलों में की.इस केस में ऐसा कोई सबूत, ऐसा कोई गवाह नहीं था जिसे पुलिस ने अपनी जांच में शामिल न किया हो। पुलिस ने महज़ एक दिन के अंदर सिंगापुर ले जाने के लिए निर्भया के मां-बाप का पासपोर्ट बनवाया, सरोजिनी नगर मार्किट से उनके लिए शॉपिंग तक की. टीम में 2 डीसीपी के अलावा कई तेजतर्रार इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर शामिल रहे. इसके अलावा दर्जनों सिपाही भी रात दिन मामले की जांच से जुड़े रहे. पुलिस अधिकारी लगातार निर्भया के मां बाप को धीरज बंधाते रहे, शायद यही वजह है कि केस की शुरुआत से लेकर कोर्ट के फैसले आने तक निर्भया के मां बाप पुलिस की तारीफ करते रहे।
छाया शर्मा को रिकार्ड समय में सुलझाने के लिए मिल चुका हैं ये अंतराष्ट्रीय अवार्ड
निर्भया गैंगरेप केस को रिकॉर्ड समय में सुलझाने वाली दिल्ली पुलिस की तत्कालीन दक्षिण जिले की डीसीपी रहीं आईपीएस अधिकारी छाया शर्मा को मई 2019 में अंतरराष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया । अमेरिका में आयोजित एक समारोह में उन्हें एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी ने 'मैक्केन इंस्टीटयूट फॉर इंटरनेशनल लीडरशिप-2019' से सम्मानित किया है। शांति का नोबेल पुरस्कार जीतने वालीं मलाला युसुफजई को भी यह पुरस्कार दिया जा चुका है। बता दें निर्भयाकांड पर आधारित नेटफ्लिक्स पर प्रसारित रिची मेहता की सीरीज 'दिल्ली क्राइम' भी प्रसारित हो चुकी हैं। छाया शर्मा के किरदार का नाम वर्तिका चतुर्वेदी रखा गया है।