मिलिए ओडिशा के 'माउंटेन मैन' से, दो साल में काटे दो पहाड़
दो साल में दो छोटी पहाड़ियों को काटकर बनाया रास्ता. अब आगे का काम प्रशासन करेगा.
ओडिशा के आदिवासी बहुल कंधमाल ज़िले के एक दुर्गम गांव के रहने वाले जलंधर नायक ने कभी 'बिहार के माउंटेन मैन' कहे जाने वाले दशरथ मांझी के बारे में नहीं सुना. लेकिन दशरथ की तरह जलंधर भी बीते दो साल से अपने गांव में पहाड़ काटकर रास्ता बनाने के लिए जुटे हुए हैं.
वह अपने गांव गुमसाहि को 15 किलोमीटर दूर फुलबनी शहर से जोड़ना चाहते हैं.
गुमसाहि और फुलबनी के बीच छोटी बड़ी पांच पहाड़ियां पड़ती हैं, जिनमें से दो को काटकर वे रास्ता बना चुके हैं. बीते दो साल से वह हर सुबह हथौड़ा और कुदाल लेकर निकल जाते हैं और रोज़ सात-आठ घंटे कड़ी मेहनत से पहाड़ तोड़ते हैं.
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'चौपहिया गाड़ी भी जा सकती है'
गांव में सड़क, बिजली, पानी और दूसरी नागरिक सुविधाएं उपलब्ध न होने के कारण कई परिवार गांव छोड़कर दूसरे इलाकों में बस गए हैं. लेकिन जलंधर अपनी ज़मीन और खेती छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहते.
45 साल के जलंधर कहते हैं कि उन्होंने यह बीड़ा इसलिए उठाया ताकि उनके तीन बेटों के लिए ज़िन्दगी आसान हो. उनके बेटों को स्कूल तक पहुंचने के लिए हर रोज़ इन पांच पहाड़ों से गुज़रना पड़ता था.
इस कठिन काम के लिए जलंधर ने किसी से मदद नहीं ली; बस चुपचाप अपना काम करते रहे. उनके इस अजब जुनून के बारे में कुछ दिन पहले तक किसी को पता भी नहीं था.
इसी महीने की शुरुआत में उड़िया टीवी चैनल 'न्यूज़ वर्ल्ड ओडिशा' के संवाददाता शिव बिश्वाल उनके इस साहसिक प्रयास को दुनिया के सामने लाए. बिश्वाल ने बीबीसी को फ़ोन पर बताया कि जलंधर के बनाए हुए रास्ते में न सिर्फ मोटरसाइकिल बल्कि चार पहिए की गाड़ी भी जा सकती है.
बिश्वाल ने कहा, "मुझे हैरत हुई कि पहाड़ काटकर रास्ता बनाने के काम में उन्होंने इस बात का ख़ास ध्यान रखा कि एक भी पेड़ न कटे."
आगे की सड़क प्रशासन बनाएगा
कंधमाल की कलेक्टर वृंदा डी ने बुधवार को फुलबनी के अपने दफ्तर में जलंधर से मुलाक़ात की और उनकी लगन की सराहना की. उन्होंने घोषणा की कि जलंधर को उनके दो साल के परिश्रम के लिए मनरेगा कोष से मज़दूरी दी जाएगी. साथ ही उन्होंने स्थानीय बीडीओ को बचे हुए सात किलोमीटर का काम सरकारी ख़र्च पर पूरा करने के आदेश भी दिए.
जलंधर से मिलने के बाद कलेक्टर वृंदा डी ने कहा, "उनकी लगन और निष्ठा देखकर मैं दंग रह गई. उनके इस काम के लिए हम उन्हें आने वाले कंधमाल महोत्सव में सम्मानित करेंगे."
कलेक्टर से मिलने के बाद जलंधर इस बात को लेकर काफ़ी खुश हैं कि आगे का काम अब सरकार पूरा करेगी. उन्होंने बताया कि उन्होंने कलेक्टर से उनके गांव में बिजली, पानी और दूसरी सहूलियतें मुहैया कराने का निवेदन भी किया.