शाहीन बाग: वार्ताकार साधना बोलीं- हमारी मध्यस्थता चल रही है और कल हम फिर आएंगे
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थ संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन पहुंचे। वे दूसरी बार प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत के लिए यहां आए हैं। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थ बुधवार को पहली बार शाहीन बाग गए थे। वार्ताकार साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े का कहना है कि वह लोग मीडिया की मौजूदगी में लोगों से बात नहीं करेंगे। हालांकि बाद में साधना रामचंद्रन ने मीडिया से कहा कि, हमारी मध्यस्थता चल रही है और कल हम फिर शाहीन बाग आएंगे।
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मीडिया को टेंट से बाहर जाने के लिए कहा गया है। दोनों वार्ताकार प्रदर्शनकारियों को समझाने में जुट गए हैं। एडवोकेट साधना रामचंद्रन ने कहा की आप लोग भारत में हैं और सुरक्षित हैं आपकी बात सुनी जाएगी। बातचीत के दौरान एक प्रदर्शनकारी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को गलत कह दिया जिसपर वार्ताकार साधना रामचंद्रन नाराज हो गईं। साधना रामचंद्रन ने कहा कि यहां ऐसे ही माहौल रहा तो हम कल नहीं आ पाएंगे। उन्होंने कहा इस जगह पर सही बर्ताव नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा कि कल हम अलग-अलग जगह पर 10-15 महिला प्रदर्शनकारियों के साथ बात करना चाहेंगे। यहां बात करने लायक माहौल नहीं है। इससे पहले बातचीत के दौरान साधना रामचंद्रन ने कहा कि ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका समाधान नहीं हो सकता। हम हल निकालने की कोशिश करना चाहते हैं। हम चाहते हैं रास्ता भी खुले और आंदोलन भी चलता रहा। अगर बात नहीं बनी तो मामला फिर सुप्रीम कोर्ट जाएगा। साधना रामचंद्रन ने कहा कि आप ने हमें बुलाया था, इसलिए हम आए हैं। आप लोगों के जो मुद्दे हैं वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे चुके हैं। आपके सवाल सुप्रीम कोर्ट के सामने हैं। सुप्रीम कोर्ट में CAA पर सुनवाई होनी है। सुप्रीम कोर्ट मानता है कि आंदोलन आपका हक है। शाहीन बाग है और शाहीन बाग बरकरार रहेगा। हमें कोर्ट ने सड़क को लेकर बातचीत के लिए भेजा है।
पहले दिन प्रदर्शनाकरियों से क्या वार्ता हुई
वार्ताकारों अधिवक्ता संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन के साथ पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्ला महिलाओं से बातचीत करने और गतिरोध को तोड़ने की कोशिश में शाहीन बाग पहुंचे। इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वह सीएए, एनआरसी और एनपीआर को खत्म किए जाने के बाद ही यहां से उठेंगे। रामचंद्नन ने प्रदर्शनस्थल पर बड़ी संख्या में जमा लोगों से कहा, ''उच्चतम न्यायालय ने प्रदर्शन करने के आपके अधिकार को बरकरार रखा है। लेकिन अन्य नागरिकों के भी अधिकार हैं, जिन्हें बरकरार रखा जाना चाहिए।''
उन्होंने कहा, ''हम मिलकर समस्या का हल ढूंढना चाहते हैं। हम सबकी बात सुनेंगे।'' महिलाओं द्वारा व्यक्त की गईं चिंताओं पर रामचंद्रन ने कहा कि ये सभी बिंदु उच्चतम न्यायालय के सामने रखे जाएंगे और इन पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा, ''मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूं। जिस देश में आप जैसी बेटियां हों, उसे कोई खतरा नहीं हो सकता।'' उन्होंने कहा, ''आजादी लोगों के दिलों में बसती है।''
गौरतलब है कि 16 दिसंबर से जारी धरने के चलते दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली मुख्य सड़क बंद है, जिससे यात्रियों और स्कूल जाने वाले बच्चों को परेशानी हो रही है। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने वार्ताकारों के सामने अपनी-अपनी बात रखने का प्रयास किया। दादी के नाम से चर्चित बुजुर्ग महिला बिल्किस ने कहा कि चाहे कोई गोली भी चला दे, वे वहां से एक इंच भी नहीं हटेंगे।