अखिलेश यादव पर तीखे हमले के बाद अब मायावती ने लिया एक और बड़ा फैसला
सपा और अखिलेश यादव पर हमले के बाद मायावती ने अब अपने एक और बड़े फैसले का ऐलान कर दिया है।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक सीटें ना जीत पाने के बाद मायावती अब सपा के साथ महागठबंधन से पूरी तरह अलग हो चुकी हैं। हालांकि मायावती ने पिछले दिनों गठबंधन से अलग होने का ऐलान करते हुए कहा था कि अगर अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के प्रदर्शन में सुधार कर पाते हैं तो वे भविष्य में गठबंधन को लेकर पुनर्विचार कर सकती हैं। लेकिन, मायावती के हालिया बयानों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि भविष्य में सपा और बसपा के बीच कोई गठबंधन बन पाएगा। दरअसल, रविवार को मीडिया में खबर आई कि मायावती ने लोकसभा चुनाव में हार के लिए समाजवादी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है। अब मायावती ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक बयान जारी करते हुए एक और बड़ा फैसला लिया है।
'जो बातें मीडिया में आईं, वे पूरी तरह सही नहीं'
बसपा अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को ट्वीट करते हुए कहा, 'बीएसपी की ऑल इंडिया बैठक कल लखनऊ में ढाई घंटे तक चली। इसके बाद राज्यवार बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहा, जिसमें भी मीडिया नहीं था। फिर भी बीएसपी प्रमुख के बारे में जो बातें मीडिया में फ्लैश हुई हैं वे पूरी तरह से सही नहीं हैं जबकि इस बारे में प्रेस नोट भी जारी किया गया था। वैसे भी जगजाहिर है कि सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाने के साथ-साथ सन् 2012-17 में सपा सरकार के बीएसपी व दलित विरोधी फैसलों, प्रमोशन में आरक्षण विरूद्ध कार्यों एवं बिगड़ी कानून व्यवस्था आदि को दरकिनार करके देश व जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह से निभाया।'
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'सभी चुनाव अपने बूते पर ही लड़ेगी बसपा'
मायावती ने अपने फैसले का ऐलान करते हुए आगे कहा, 'परंतु लोकसभा आमचुनाव के बाद सपा का व्यवहार बीएसपी को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके बीजेपी को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है। अतः पार्टी व मूवमेंट के हित में अब बीएसपी आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी।' आपको बता दें कि रविवार को मीडिया में खबरें चली कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद मायावती ने पहली बार अखिलेश यादव पर सीधा हमला बोला है। खबरों के मुताबिक, मायावती ने अखिलेश यादव पर एक के बाद एक कई बड़े आरोप लगाए। यही नहीं, मायावती ने चुनाव खत्म होने के बाद अखिलेश द्वारा कोई फोन नहीं करने पर भी कड़ा एतराज जताया। मायवती ने कहा कि एसपी के लोगों ने चुनाव में धोखा दिया कई जगहों पर बीएसपी को एसपी के नेताओं ने हराने का काम किया है।
अखिलेश को लेकर मायावती ने क्या कहा?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में मायावती करीब 25 मिनट तक बोलीं। मायावती ने आरोप लगाया कि, अखिलेश नहीं चाहते थे कि लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों को अधिक टिकट दिए जाएं। उन्हें डर था कि इससे वोटों का ध्रुवीकरण होगा, जबकि वह चाहती थी कि अधिक टिकट दिए जाएं। मायावती ने कहा कि मतगणना वाले दिन मैंने उन्हें फोन किया लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया। सतीश मिश्रा ने उनसे कहा कि वे मुझे फोन कर लें, लेकिन फिर भी उन्होंने फोन नहीं किया। मैंने बड़े होने का फर्ज निभाया और मतगणना के दिन 23 तारीख को उन्हें फोन कर उनकी पत्नी डिंपल यादव और परिवार के अन्य लोगों के हारने पर अफसोस जताया। 3 जून को जब दिल्ली की मीटिंग में गठबंधन तोड़ने की बात हुई तब भी उन्होंने सतीश मिश्रा को फोन किया लेकिन मुझसे कोई बात नहीं की।
भाई आनंद कुमार बीएसपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त
गौरतलब है कि रविवार को हुई बीएसपी की बैठक में मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया। वहीं भतीजे आकाश आनंद और रामजी आनंद को पार्टी के नेशनल कोर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी। मायावती ने इस बैठक में अमरोहा लोकसभा सीट से सांसद दानिश अली को लोकसभा में पार्टी का नेता नियुक्त किया। इसके साथ ही जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव को लोकसभा में बीएसपी का उपनेता बनाया गया। नई जिम्मेदारियों के तहत पार्टी के वरिष्ठ नेता सतीश चंद्र मिश्र राज्यसभा में बीएसपी के नेता होंगे।
लोकसभा चुनाव में क्या रहा सपा-बसपा का हाल
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने यूपी की सहारनपुर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, जौनपुर, अंबेडकर नगर, लालगंज, श्रावस्ती, गोसी और गाजीपुर सीट पर जीत दर्ज की थी। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा का खाता भी नहीं खुला था। वहीं, समाजवादी पार्टी के खाते में इस चुनाव में केवल पांच सीटें आजमगढ़, मैनपुरी, मुरादाबाद, सम्भल और रामपुर गईं। 2014 में भी सपा 5 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई थी। इस बार मुलायम सिंह यादव के तीन सदस्यों डिंपल यादव को कन्नौज, अक्षय यादव को फिरोजबादा और धर्मेंद्र यादव को बदायूं में हार का सामना करना पड़ा। आरएलडी 2014 में अपना खाता नहीं खोल पाई थी और इस बार भी पार्टी कोई सीट नहीं जीत पाई। आरएलडी मुजफ्फरनगर, बागपत और मथुरा सीट पर चुनाव लड़ी थी।
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