7 बागी विधायकों पर मायावती का एक्शन, पार्टी से किया निलंबित
बीएसपी की मुखिया और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बगावत करने वाले सातों विधायकों को पार्टी से निलंबित कर दिया है।
नई दिल्ली। बीएसपी की मुखिया और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बगावत करने वाले सातों विधायकों को पार्टी से निलंबित कर दिया है। आपको बता दें कि बुधवार को बीएसपी के सात विधायकों असमल चौधरी, असलम राइनी, मोहम्मद मुज्तबा सिद्दीकी, हाकिल लाल बिंद, हरगोविंद भार्गव, सुषमा पटेल और वंदना सिंह ने पार्टी के खिलाफ बगावत करते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की थी, जिसके बाद इनके सपा में शामिल होने के कयास लगाए जाने लगे। वहीं, 4 विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में बीएसपी प्रत्याशी रामजी गौतम के नामांकन पत्र से अपना प्रस्ताव भी वापस ले लिया। इन विधायकों ने आरोप लगाया कि राज्यसभा चुनाव में मायावती भाजपा से समर्थन हासिल करना चाहती हैं।
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निलंबित किए गए विधायकों में- असलम राइनी श्रावस्ती जिले की भिनगा सीट से, असलम चौधरी गाजियाबाद की धौलाना सीट से, मोहम्मद मुज्तबा सिद्दीकी प्रयागराज की प्रतापपुर सीट से, हाकिम लाल बिंद प्रयागराज की हांडिया सीट से, हरगोविंद भार्गव सीतापुर जिले की सिधौली सीट से, सुषमा पटेल जौनपुर जिले की मुंगरा बादशाहपुर सीट से और वंदना सिंह आजमगढ़ जिले की सगड़ी विधानसभा सीट से विधायक हैं।
'सपा
को
हराने
के
लिए
भाजपा
से
भी
हाथ
मिलाएंगे'
विधायकों
पर
कार्रवाई
के
बाद
समाजवादी
पार्टी
पर
हमलावर
रुख
अपनाते
हुए
मायावती
ने
गुरुवार
को
प्रेस
कॉन्फ्रेंस
में
कहा,
'हमारी
पार्टी
ने
फैसला
किया
है
कि
उत्तर
प्रदेश
में
भविष्य
में
होने
वाले
विधानसभा
परिषद
के
चुनाव
में
हम
समाजवादी
पार्टी
के
उम्मीदवार
को
किसी
भी
हाल
में
जीतने
नहीं
देंगे।
सपा
के
प्रत्याशी
को
हराने
के
लिए
हम
पूरी
ताकत
लगा
देंगे
और
अगर
इसके
लिए
हमें
अपना
वोट
भाजपा
प्रत्याशी
या
किसी
और
पार्टी
के
प्रत्याशी
को
देना
पड़ा
तो
हम
दे
देंगे।'
गेस्ट
हाउस
केस
रद्द
कराना
चाहते
थे
अखिलेश-
मायावती
मायावती
ने
आगे
कहा,
'लोकसभा
चुनावों
के
दौरान
हमारी
पार्टी
ने
सांप्रदायिक
ताकतों
को
हराने
के
लिए
समाजवादी
पार्टी
से
हाथ
मिलाया
था,
लेकिन
अपने
पारिवारिक
विवादों
के
चलते
उन्हें
बीएसपी
के
साथ
गठबंधन
का
फायदा
नहीं
मिला।
चुनाव
के
बाद
सपा
के
नेताओं
ने
बातचीत
करना
बंद
कर
दिया
और
इसलिए
बीएसपी
गठबंधन
से
अलग
हो
गई।
मैं
इस
बात
का
भी
खुलासा
करना
चाहती
हूं
कि
जब
हम
लोगों
ने
लोकसभा
चुनाव
साथ
मिलकर
लड़ने
का
फैसला
लिया
तो
गठबंधन
होने
के
पहले
दिन
से
सपा
अध्यक्ष
लगातार
सतीश
चंद
मिश्रा
से
कहते
रहे
कि
अब
सपा-बसपा
साथ
आ
गए
हैं,
इसलिए
मायावती
को
अपना
जून
1995
(गेस्ट
हाउस
केस)
वाला
केस
वापस
ले
लेना
चाहिए।'
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