2022 के चुनाव से पहले BSP का हो गया 'यूपी से सफाया', दहाई भी नहीं बचे विधायक
पिछले तीन साल में बीएसपी के कई विधायक पार्टी से अलग हो चुके हैं और मायावती के विधायकों की संख्या अब दहाई से भी कम बची है।
नई दिल्ली। अगले महीने होने वाले राज्यसभा चुनाव से पहले बीएसपी सुप्रीमो मायावती को उस वक्त तगड़ा झटका लगा, जब उनकी पार्टी के सात विधायकों ने उनके खिलाफ बगावत कर दी। राज्यसभा चुनाव में बीएसपी की तरफ से पार्टी के नेता रामजी गौतम को उम्मीदवार बनाया गया है, लेकिन उनके नामांकन पत्र पर प्रस्तावक के तौर पर हस्ताक्षर करने वाले चार विधायकों ने बुधवार को अपना प्रस्ताव वापस ले लिया। इसके बाद तीन और विधायक मायावती के खिलाफ हो गए और गुरुवार को बीएसपी ने इन सभी सात विधायकों को पार्टी से निलंबित कर दिया। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को 19 सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन पिछले तीन साल में उसके 10 विधायक पार्टी से अलग हो चुके हैं और मायावती के विधायकों की संख्या दहाई से भी कम बची है।
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7 विधायक एक साथ पार्टी के खिलाफ
आज जिन सात विधायकों को मायावती ने बीएसपी से निलंबित किया है, उनमें- असलम राइनी (श्रावस्ती जिले की भिनगा सीट), असलम चौधरी (गाजियाबाद की धौलाना सीट), मोहम्मद मुज्तबा सिद्दीकी (प्रयागराज की प्रतापपुर सीट), हाकिम लाल बिंद (प्रयागराज की हांडिया सीट), हरगोविंद भार्गव (सीतापुर जिले की सिधौली सीट), सुषमा पटेल (जौनपुर जिले की मुंगरा बादशाहपुर सीट) और वंदना सिंह (आजमगढ़ जिले की सगड़ी सीट से विधायक) शामिल हैं। बीएसपी ने इन विधायकों के निलंबन का पत्र जारी करते हुए इनके ऊपर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने का आरोप लगाया है।
रामवीर उपाध्याय के रूप में लगा बढ़ा झटका
इससे पहले पिछले साल ही मायावती सरकार में मंत्री रहे दिग्गज नेता रामवीर उपाध्याय को बीएसपी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निलंबित किया था। रामवीर उपाध्याय बीएसपी में सतीश चंद्र मिश्रा के बाद दूसरा सबसे बड़ा ब्राह्मण चेहरा थे और मायावती की हर सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं। रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय भी 2009 में बीएसपी के टिकट पर जीतकर सांसद बनीं थी। पिछले महीने जब उनके बेटे चिराग उपाध्याय ने भाजपा की सदस्यता ली तो कयास लगाए जाने लगे कि रामवीर उपाध्याय भी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
रितेश पांडे संसद पहुंचे, लेकिन बीएसपी हार गई उनकी सीट
2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी विधायक रितेश पांडे अंबेडकर नगर लोकसभा सीट से मैदान में उतरे और जीतकर सांसद बन गए हैं। रितेश पांडे इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में अंबे़डकर नगर की जलालपुर सीट से विधायक चुने गए थे। जलालपुर सीट खाली हो जाने के बाद उपचुनाव हुआ और समाजवादी पार्टी ने यहां जीत हासिल की। इस तरह बीएसपी का एक और विधायक कम हो गया।
अनिल सिंह ने दिया भाजपा को वोट
2018 में बीएसपी विधायक अनिल सिंह भी पार्टी के खिलाफ हो गए। उन्नाव जिले की पूर्वा विधानसभा सीट से विधायक अनिल सिंह ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया, जिसके बाद बीएसपी ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया। मायावती ने आरोप लगाया कि भाजपा ने धनबल और प्रशासनिक दवाब के जरिए उनके विधायक से अपने पक्ष में मतदान कराया है। हालांकि अनिल सिंह ने कहा कि वो सीएम योगी आदित्यनाथ की नीतियों से प्रभावित हैं और इसलिए भाजपा प्रत्याशी को अपना वोट दिया है।
यूपी विधानसभा में बीएसपी के महज 9 विधायक
इस तरह तीन साल के भीतर यूपी विधानसभा में बीएसपी के 10 विधायक कम हो गए और अब उसके पास महज 9 विधायक ही बचे हैं। आज निलंबित किए गए सात विधायकों का कहना है कि मायावती भाजपा से मिलना चाहती हैं और ये उन्हें मंजूर नहीं, इसलिए वो पार्टी के खिलाफ जा रहे हैं। वहीं, बीएसपी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर जिन मौजूदा विधायकों के टिकट काटने पर विचार कर रही है, उनमें ये सात विधायक भी शामिल हैं। और, इसी वजह से ये सातों विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं।
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