130 करोड़ भारतीयों को भगवा सोच से देखना देश के हित में नहीं: मायावती
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नई दिल्ली। नागरिकता सशोधन कानून को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर से भाजपा पर तीखा हमला बोला है। मायावती ने भाजपा और केंद्र व राज्य सरकारें जाति और सांप्रदायिका की राजनीति कर रही हैं। लोगों ने इन लोगों से कुछ भी बेहतर की अपेक्षा छोड़ दी है, उन्होंने संकल्प किया है कि वह अपने कठिन परिश्रम से ही अपनी स्थिति को बेहतर करेंगे। नए साल की बधाई देते हुए कहा कि अगर देश के 130 करोड़ लोगों से हिंदुओं की तरह का बर्ताव किया जाएगा और हर किसी के साथ संविधान के अनुरूप नहीं बर्ताव नहीं किया जाएगा तो इससे देश का कतई भला नहीं होगा।
लोगों ने सरकार से उम्मीद छोड़ी
मायावती ने कहा कि हाल ही में शांतिपूर्ण तरीके से जो लोग नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे और उन्होंने कई प्रदेश की भाजपा सरकारों और केंद्र सरकार की रातों की नींद उड़ा दी। भाजपा और आरएसएस के लोग देश के 130 करोड़ भारतीयों के लोगों को हिंदू विचारधारा के तहत देखते हैं। वह लोगों को संविधान की नजर से बतौर भारतीय के रूप में नहीं देखते हैं। जिस तरह से भाजपा जाति और सांप्रदायिक राजनीतिक कर रही है उसकी वजह से लोगों ने इस सरकार से कुछ भी बेहतरी की उम्मीद छोड़ दी है। लोगों ने संकल्प लिया है कि वह अपनी कड़ी मेहनत से चीजों को बेहतर करेंगे।
शांतिपूर्ण प्रदर्शन से सरकार की नींद उड़ी
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जिस तरह से समाज के हर वर्ग के लोगों ने खासकर कि पढ़े लिखे लोगों ने सड़क पर नागरिकता कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया है उसने भाजपा सरकारों की नींद उड़ा दी है। इससे पहले मायावती ने कांग्रेस पर भी तीखा हमला किया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस 'भारत बचाओ, संविधान बचाओ' रैली कर रही है लेकिन सत्ता में रहते जनहित की अनदेखी की। अगर कांग्रेस ने दलित, पिछड़ों और मुसलमानों के हितों की हिफाजत की होती तो ना आज भाजपा सत्ता में होती और ना ही बसपा को बनाने की जरूरत पड़ती। मायावती ने ये बात प्रियंका गांधी के लखनऊ में दिए बयान को लेकर कही है, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों के डरे होने की बात कही।
कांग्रेस
पर
साधा
था
निशाना
मायावती
ने
शनिवार
को
दो
ट्वीट
किए
हैं।
उन्होंने
लिखा
है-
कांग्रेस
आज
अपनी
पार्टी
के
स्थापना
दिवस
को
'भारत
बचाओ,
संविधान
बचाओ'
के
रूप
में
मना
रही
है।
इस
मौके
पर
दूसरों
पर
चिन्ता
व्यक्त
करने
के
बजाए
कांग्रेस
स्वयं
अपनी
स्थिति
पर
आत्म-चिन्तन
करती
है,
तो
यह
बेहतर
होता,
जिससे
निकलने
के
लिए
उसे
अब
किस्म-किस्म
की
नाटकबाजी
करनी
पड़
रही
है।