महागठबंधन में ना होने पर भी अखिलेश और मायावती ने कांग्रेस के लिए क्यों छोड़ी ये दो सीटें
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आगामी लोकसभा चुनाव सपा और बसपा ने गठबंधन में लड़ने का ऐलान किया है। शनिवार को लखनऊ में मायावती और अखिलेश यादव ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका ऐलान किया है। मायावती ने साफ शब्दों में कहा कि वो कांग्रेस को महागठबंधन में शामिल नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस को भाजपा के जैसे ही पार्टी बताया लेकिन दो सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार ना उतारने का ऐलान किया। ये दो सीटें रायबरेली और अमेठी हैं।
चुनाव बाद की संभावनाओं को खत्म नहीं करना चाहते माया-अखिलेश
सपा और बसपा नेताओं ने कहा कि गठबंधन रायबरेली और अमेठी में वो उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। इन सीटों पर गठबंधन के उम्मीदवार ना उतारने के पीछे सबसे बड़ी वजह इन सीटों पर गांधी परिवार के सदस्यों का चुनाव लड़ना और कांग्रेस की मजबूत पकड़ को वजह माना जा सकता है। इसके साथ-साथ मायावती और अखिलेश चुनाव बाद गांधी परिवार से बातचीत की संभावनाओं को खत्म नहीं करना चाहते।
इन सीटों पर उम्मीदवार ना उतार गठबंधन ने एक तरह से गांधी परिवार के सदस्यों के प्रति सम्मान जाहिर किया है। इन सीटों पर उम्मीदवार उतारने से गठबंधन और कांग्रेस की बीच एक तल्खी बढ़ती लेकिन इन सीटों पर उम्मीदवार ना होने का फैसला कर चुनाव बाद कांग्रेस के साथ किसी भी संभावना को जिंदा रखा गया है। गठबंधन नेताओं के उम्मीद है कि चुनाव बाद किसी दल को बहुमत ना मिलने पर कांग्रेस के साथ उनको जाना पड़ सकता है। ऐसे में राहुल गांधी और सोनिया से ही बात करनी होगी।
इसलिए मायावती और अखिलेश ने छोड़ी ये दो सीटें
अमेठी और रायबरेली में चुनाव जीत पाने की बेहद कम संभावनाओं को देखते हुए भी महागठबंधन ने इन सीटों पर चुनाव ना लड़ने का फैसला किया है। दोनों सीटों पर सपा या बसपा कभी भी कोई खास प्रदर्शन नहीं कर सके हैं। अमेठी सीट की बात करें तो पिछले करीब तीन दशक से ये सीट गांधी परिवार का गढ़ बनी हुई है। 1980 में पहली बार इस संसदीय सीट से संजय गांधी ने जीत हासिल की।
संजय गांधी के बाद राजीव गांधी, फिर सोनिया गांधी और अब राहुल गांधी इस सीट से लोकसभा में पहुंचे हैं। गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं हारा है। यहां तक कि कोई कैंडिडेट उनको करीबी टक्कर तक नहीं दे सका। 1998 को छोड़कर अब तक कांग्रेस पार्टी ही यहां से चुनाव जीतती आई है। 1998 में कांग्रेस से कैप्टन सतीश शर्मा भाजपा के संजय सिंह से हार गए थे।
रायबरेली गांधी परिवार का अमेठी से भी पुराना गढ़
रायबरेली का प्रतिनिधित्व नेहरू-गांधी परिवार ने लंबे समय तक किया है। अभी यहां से सोनिया गांधी सांसद है। 2014 में उत्तर प्रदेश में भाजपा के पक्ष में भारी माहौल होने के बावजूद सोनिया गांधी ने करीब साढ़े तीन लाख वोटों से जीता। ऐसे में ये सीट किसी और पार्टी के लिए जीत पाना आसान काम बिल्कुल नहीं है।
रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी सासंद रहीं। यह सीट कांग्रेस इमरजेंसी के बाद 1977 के चुनाव में हारी। इस चुनाव में चुनाव में इंदिरा गांधी को जनता पार्टी के राज नारायण ने हराया था। 1980 में, रायबरेली वालों ने इंदिरा गांधी को दोबारा सांसद चुना। इसके बाद 1996 और 1998 के चुनाव को छोड़कर लगातार ये सीट कांग्रेस का पास रही। 1999 में सोनिया गांधी के यहां से आने के बाद तो रायबरेली कांग्रेस का मजबूत गढ़ बनी हुई है।
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