CAA-NRC: मायावती ने स्वीकार की अमित शाह की चुनौती, बोलीं- किसी भी मंच पर बहस के लिए BSP तैयार
नई दिल्ली। देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और भारतीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर मचे घमासान के बीच बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने गृह मंत्री अमित शाह के बहस की चुनौती को स्वीकार कर लिया है। बुधवार को मायावती ने कहा कि बीएसपी एनआरसी पर किसी भी मंच पर सरकार से बहस करने के लिए तैयार है। गौरतलब है कि बीएसपी सुप्रीमो का यह बयान गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बहस के लिए विपक्षी नेताओं को खुली चुनौती देने के ठीक एक दिन बाद आया है।
मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक रैली को संबोधित किया जहां उन्होंने सीएए और एनआरसी पर विपक्षी दलों को बहस के लिए खुली चुनौती दी। उन्होंने राहुल गांधी, अखिलेश यादव और ममता बनर्जी के साथ मायावती को विशेष रूप से बहस के लिए बुलाया था। अमित शाह के बयान के अगले दिन अब मायावती ने एनआरसी पर बहस के लिए केंद्र सरकार को चुनौती दी है। बुधवार को मायावती ने ट्वीट कर लिखा, आति-विवादित CAA/NRC/NPR के खिलाफ पूरे देश में खासकर युवा व महिलाओं के संगठित होकर संघर्ष व आन्दोलित हो जाने से परेशान केन्द्र सरकार द्वारा लखनऊ की रैली में विपक्ष को इस मुद्दे पर बहस करने की चुनौती को BSP किसी भी मंच पर व कहीं भी स्वीकार करने को तैयार है।
आति-विवादित CAA/NRC/NPR के खिलाफ पूरे देश में खासकर युवा व महिलाओं के संगठित होकर संघर्ष व आन्दोलित हो जाने से परेशान केन्द्र सरकार द्वारा लखनऊ की रैली में विपक्ष को इस मुद्दे पर बहस करने की चुनौती को BSP किसी भी मंच पर व कहीं भी स्वीकार करने को तैयार है।
— Mayawati (@Mayawati) January 22, 2020
सीएए
पर
रोक
लगाने
से
सुप्रीम
कोर्ट
का
इनकार
सुप्रीम
कोर्ट
में
नागरिकता
संशोधन
कानून
के
खिलाफ
और
समर्थन
में
142
याचिकाएं
दाखिल
की
गई
हैं,
जिसपर
बुधवार
को
कोर्ट
में
अहम
सुनवाई
हुई।
कोर्ट
ने
कहा
कि
अधिकतर
याचिकाओं
में
एक
जैसी
ही
बात
है।
हालांकि,
कोर्ट
ने
कहा
कि
सभी
याचिकाओं
को
सुना
जाएगा
और
इसके
बाद
ही
अदालत
कोई
फैसला
सुनाएगी।
चीफ
जस्टिस
ने
कहा
कि
मुझे
नहीं
लगता
है
कि
कोई
भी
प्रक्रिया
वापस
ली
जा
सकती
है।
उन्होंने
कहा
कि
हम
ऐसा
आदेश
लागू
कर
सकते
हैं,
जो
मौजूदा
स्थिति
के
अनुरूप
हो,
हम
एकपक्षीय
रोक
नहीं
लगा
सकते
हैं।
सीजेआई
ने
वकीलों
से
असम
और
नॉर्थ
ईस्ट
से
दाखिल
याचिकाओं
का
आंकड़ा
मांगा।