बाबरी फैसले के कुछ घंटो बाद मथुरा सिविल कोर्ट ने खारिज की कृष्ण जन्मभूमि से ईदगाह हटाने की याचिका
नई दिल्ली। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से ईदगाह को हटाने की याचिका सिविल कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया। मथुरा सिविल कोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि पर दावे की याचिका स्वीकार नहीं की है। कोर्ट ने कहा कि याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करने के पर्याप्त आधार नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले का निपटारा 1968 में ही हो चुका है, इसलिए अब याचिका दायर करने का कोई औचित्य नहीं बनता।
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बुधवार को याचिकाकर्ता एडवोकेट बिष्णु जैन, हरीशंकर जैन और रंजना अग्निहोत्री ने सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में पहुँच कर अपना पक्ष रखा। उन्होंने बुधवार की सुनवाई में श्री कृष्ण जन्मस्थान और कटरा केशवदेव परिसर में भगवान कृष्ण का भव्य मंदिर बनाए जाने से संबंधित इतिहास का सिलसिलेवार ब्यौरा देते हुए कहा कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को शाही ईदगाह प्रबंधन समिति से किसी भी प्रकार का कोई हक ही नहीं था।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनने के बाद श्रीकृष्ण जन्मस्थान विवाद मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप ऐक्ट के तहत सभी धर्मस्थलों की स्थिति 15 अगस्त 1947 वाली रखी जानी है इस कानून में सिर्फ अयोध्या मामले को अपवाद रखा गया था।
बता दें कि 26 सितंबर को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व और शाही ईदगाह को हटाने को मांग को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर किया गया था। याचिका में जमीन को लेकर 1968 में हुए समझौते को गलत बताया गया था। हालांकि इस याचिका को लेकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान संस्थान ट्रस्ट का कहना है कि इस केस से उनका कोई लेना देना नहीं है।
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