केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले बोले- '10 फीसदी आरक्षण का फैसला मास्टर स्ट्रोक, और सिक्सर आना बाकी'
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय कैबिनेट ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इतना ही नहीं सरकार ने संविधान में संशोधन के जरिए आरक्षण का कोटा बढ़ाने पर विचार कर रही है। केंद्र सरकार के इस फैसले का केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने स्वागत किया है। उन्होंने मोदी सरकार के फैसले को मास्टर स्ट्रोक करार दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि इस बिल का दूसरी पार्टियां संसद में विरोध भी नहीं करेंगी। बता दें कि मंगलवार को संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है।
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आरक्षण के फैसले पर रामदास अठावले का बड़ा बयान
आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण के फैसले पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने कहा, 'यह एक मास्टर स्ट्रोक है। हालांकि अभी और भी कई शानदार स्ट्रोक आना अभी बाकी है।" उन्होंने आगे कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी एक बेहतरीन बल्लेबाज हैं, अभी और भी चौके और छक्के लगना बाकी है।' भारतीय रिपब्लिकन पार्टी के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले काफी समय से ऊंची जाति के बीच आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे थे।
'PM मोदी बेहतरीन बल्लेबाज, अभी और भी चौके और छक्के लगना बाकी'
केंद्र सरकार ने ये सवर्णों को आरक्षण का ये दांव ऐसा समय में चला है जब लोकसभा चुनाव को लेकर बहुत कम समय बचा रह गया है। ऐसे में मोदी कैबिनेट के इस फैसले पर विपक्षी पार्टियों ने सवाल उठाना भी शुरू कर दिया है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा, "चुनाव के पहले भाजपा सरकार संसद में संविधान संशोधन करे। हम सरकार का साथ देंगे। नहीं तो साफ़ हो जाएगा कि ये मात्र भाजपा का चुनाव के पहले का स्टंट है।"
कांग्रेस का पलटवार, यशवंत सिन्हा ने फैसले को बताया जुमला
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरीश रावत ने कहा, "बहुत देर कर दी मेहमां आते-आते। यह ऐलान तभी हुआ है जब चुनाव नजदीक है। वो कुछ भी कर लें, उनका कुछ नहीं होने वाला। कोई भी जुमला उछाल दें, उनकी सरकार नहीं बचने वाली।" केंद्रीय कैबिनेट के फैसले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने ट्वीट करके इसे जुमला बताया है। उन्होंने कहा, "आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10% आरक्षण देने का प्रस्ताव एक जुमला से ज्यादा कुछ नहीं है। यह कानूनी पेचीदगियों से भरा हुआ है और संसद के दोनों सदनों से इसे पारित करने का कोई समय नहीं है। सरकार पूरी तरह से बेनकाब हो गई है।"