नीरव, मेहुल के बाद 5000 करोड़ का फर्जीवाड़ा कर नाइजीरिया में छिपा नितिन संदेसरा!
नई दिल्ली। गुजरात की स्टरलिंग बायोटेक कंपनी के मालिक और 5000 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपी नितिन संदेसरा को दुबई में हिरासत में लिए जाने की खबर के एक महीने बाद इस मामले में बड़ा तथ्य सामने आया है। माना जा रहा है कि नितिन संदेसरा नाइजीरिया भाग गया है। आपको बता दें कि नितिन संदेसरा ईडी और सीबीआई की वांटेड लिस्ट में है। नितिन की हिरासत की खबर के बाद यह बात सामने आई थी कि वह यूएई में है और नाइजीरिया भाग सकता है। सीबीआई और ईडी के शीर्ष सूत्रों के अनुसार संदेसरा और उनके परिवार के अन्य सदस्य नाइजीरिया में छिपे हुए हैं।
हिरासत की खबर गलत
सूत्रों की मानें तो संदेसरा के भाई चेतन संदेसरा और उनकी पत्नी दीप्तिबेन संदेसरा नाइजीरिया में छिपे हुए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि भारत की नाईजीरिया के साथ प्रत्यर्पण की कोई संधि नहीं है, ऐसे में इन्हें नाइजीरिया से भारत वापस लाना आसान नहीं है। एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह की रिपोर्ट थी कि नितिन को यूएई प्रशासन ने दुबई में अगस्त के दूसरे हफ्ते में हिरासत में लिया था। लेकिन यह गलत खबर थी, वह कई दुबई में हिरासत में लिया नहीं गया। वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ बहुत पहले नाइजीरिया भाग गया था।
रेड कॉर्नर नोटिस
माना जा रहा है कि भारत की जांच एजेंसियां नितिन संदेसरा को भारत को सौंपे जाने के लिए यूएई से अपील करेंगी, अगर वह यूएई में दिखता है। साथ ही इस बात के भी प्रयास किए जा रहे हैं कि संदेसरा के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाए। अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि संदेसरा नाइजीरिया भारत के पासपोर्ट पर गया था या किसी और देश के पासपोर्ट पर।
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पूरे परिवार के खिलाफ मामला
सीबीआई और ईडी ने गुजरात के वडोदरा स्थित स्टरलिंग बायोटेक और इसके डायरेक्टर नितिन, चेतन, दीप्ति संदेसरा, राजभूषण ओमप्रकाश दीक्षित, विलास जोशी, सीए हेमंत हाथी, पूर्व आंध्र बैंक डायरेक्टर अनूप गर्ग और अज्ञात लोगों के खिलाफ बैंक के साथ 5000 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में केस दर्ज किया है। आपको बता दें कि ईडी ने जून माह में दिल्ली के बिजनेसमैन गगन धवन और गर्ग की 4700 करोड़ की संपत्ति को सीज कर दिया था।
300 से अधिक फर्जी कंपनियां
आरोप है कि संदेसरा ने 300 से अधिक फर्जी कंपनियां बनाई थी, इसके साथ ही भारत और विदेश में उन्होंने कई बेनामी संपत्ति बनाई और भारत से काफी पैसा वहां भेजा। इन तमाम फर्जी कंपनियों के जरिए ही पैसे को बाहर भेजा गया और फर्जी बैलेंस शीट तैयार की गई थी। इन तमाम कंपनियों को खुद संदेसरा फर्जी डायरेक्टर के जरिए चलाता था, जोकि उसकी अलग-अलग कंपनियों में नौकरी करते थे। इन फर्जी कंपनियों के द्वारा ही खरीद और बिक्री को दिखाया जाता था, जिसे दिखाकर बैंक से लोन हासिल किया गया था।
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