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'दूसरी जाति में शादी करनेवाले को आतंकवादी कहते हैं': ब्लॉग

रविंद्र के मुताबिक़ अलग-अलग जाति के लोगों के बीच में शादी होना, उस बदलाव की ओर पहला कदम है जिससे देश में जाति के आधार पर भेदभाव ख़त्म हो जाएगा.

अब वो वक़ालत की पढ़ाई कर रहे हैं ताक़ि उन लोगों की मदद कर सकें जो पढ़े-लिखे नहीं हैं और अपने अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद नहीं कर पाते.

By BBC News हिन्दी
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दूसरी जाति में शादी करनेवाले को आतंकवादी कहते हैं: ब्लॉग

अपनी ज़िंदगी में ख़ुश नई पीढ़ी के कई लड़के-लड़कों की ही तरह शिल्पा भी जाति के आधार पर भेदभाव को देख कर अनदेखा कर देती थी.

शिल्पा गुजरात के सौराष्ट्र के एक गांव में रहने वाले राजपूत परिवार से हैं.

जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मं फ़ेसबुक के ज़रिए शिल्पा की मुलाकात रविंद्र से हुई और फिर प्यार हुआ तो रविंद्र के दलित होने का मतलब शिल्पा ठीक से समझ नहीं पाई.

शिल्पा बताती हैं, "सब परिवारों में लड़कियों पर ज़्यादा बंदिशें होती हैं, मुझपर भी थी. कॉलेज के अलावा घर से बाहर नहीं निकलती थी. ना समझ थी, ना सपने, बस प्यार हो गया था."

पर जल्द ही शिल्पा को समझ आ गया कि वो जो कुछ करना चाहती है वो नामुमकिन के समान है.

रविंद्र कहते हैं, "शिल्पा को समझाना पड़ा कि हक़ीक़त क्या है. चुनाव का व़क्त था और एक दलित व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी. हमें उनकी गली में जाना तक मना था, और मैं तो उनके घर में शादी करना चाहता था."

शिल्पा घुटन महसूस करने लगी थी. मानो उनके लिए ये आर-पार की लड़ाई थी. उन्हें लगने लगा कि रविंद्र से शादी नहीं हुई तो ज़िंदगी के कोई मायने नहीं रहेंगे.

रविंद्र के मुताबिक़ अंतरजातीय शादी करनेवालों को दूसरी दुनिया का प्राणी माना जाता है.

वो कहते हैं, "दूसरी जाति में शादी करनेवालों को आंतकवादी समझा जाता है. माना जाता है कि वो समाज में बग़ावत कर रहे हैं. ये 21वीं सदी है पर कोई बदलाव नहीं चाहता. बल्कि सोशल मीडिया के ज़रिए डर और फैलाया जा रहा है."

लेकिन इस माहौल से रविंद्र नहीं डरे और उन्होंने निराशा में डूबती शिल्पा को भी बचाया.

एक दिन शिल्पा ने उन्हें फ़ोन किया, जिसके बाद रविंद्र बाइक उठाकर चल दिए. रविंद्र ने कहा कि "आत्महत्या हमारा रास्ता नहीं, अब दुनिया को साथ रहकर दिखाएंगे."


इज़्ज़त के नाम पर हत्या

इज़्ज़त के नाम पर हत्या के मुद्दे से निपटने के लिए भारत में कोई क़ानून नहीं है.

देश में हो रहे अपराधों की जानकारी जुटानेवाली संस्था 'नैश्नल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो' हत्या के आंकड़ों को मक़सद के आधार पर श्रेणीबद्ध करता है.

2016 में इज़्ज़त के नाम पर हत्या यानी 'ऑनर किलिंग' के 71 मामले, 2015 में 251 और 2014 में 28 मामले दर्ज हुए थे.

'ऑनर किलिंग' के मामले अक़्सर दर्ज नहीं किए जाते जिस वजह से आंकड़ों के बिना पर सही-सही आकलन करना मुश्किल है.


शिल्पा और रविंद्र ने घर से भागकर शादी कर ली. लेकिन उनकी लड़ाई का ये अंत नहीं, बल्कि शुरुआत भर थी. घर छूट गया और इंजीनियर की नौकरी भी. रविंद्र दिहाड़ी मज़दूरी करने के लिए मजबूर हो गए.

किराए पर कमरा लेते तो उनकी अलग-अलग जाति का पता लगते ही कमरा खाली करने को कह दिया जाता.

दोनों ने क़रीब पंद्रह बार घर बदले. हर व़क्त उन्हें हमले का डर बना रहता. सड़क पर निकलते व़क्त, काम करते व़क्त, अनजानी परछाईयों का डर उन्हें हमेशा डराए रखता.

कभी-कभी गुस्सा, झुंझलाहट और कई बार एक-दूसरे पर आरोप लगाने की नौबत भी आती. घर-परिवार से दूरी और मन में उन्हें दुखी करने का बोझ उन्हें डिप्रेशन की ओर ले जाने लगा.

शिल्पा बताती हैं, "फिर एक दिन हम दोनों ने बैठकर लंबी बातचीत की और तय किया कि एक-दूसरे के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि एक दूसरे के साथ मिलकर अपनी परेशानियों का सामना करेंगे."

साथ होने की अपनी अलग ताकत है जो ख़ुशी देती है. शिल्पा कहती है कि "अब रोना बंद कर दिया है, रोने से निगेटिव भावनाएं आती हैं. इसलिए ज़िंदगी हंसकर जीने की ठानी है."


सेफ़ हा

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2018 में दो वयस्कों के बीच मर्ज़ी से होनेवाली शादी में खाप पंचायतों के दख़ल को ग़ैर-क़ानूनी क़रार दे दिया.

कोर्ट का कहना था कि परिवार, समुदाय और समाज की मर्ज़ी से ज़्यादा ज़रूरी है, शादी के लिए लड़का और लड़की की रज़ामंदी.

खाप पंचायतों और परिवारों से सुरक्षा के लिए कोर्ट ने राज्य सरकारों को 'सेफ़ हाउस' बनाने की सलाह भी दी.

क़रीब छह महीने बाद गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर कोर्ट के दिशा-निर्दश लागू करने को कहा भी, लेकिन कुछ ही राज्यों ने अब तक 'सेफ़ हाउस' बनाए हैं.


शिल्पा और रविंद्र अब अपनी ज़िंदगी और फ़ैसलों के बारे में ख़ुलकर बात करते हैं. अंतरजातीय शादी करने की चाहत रखनेवाले कई और जोड़े अब उनसे सलाह लेते हैं.

पर ये जोड़े सामने नहीं आना चाहते. शायद उन्हें भी साथ होने की जद्दोजहद और ख़ौफ़ से निकलकर ताकत और ख़ुशी के अहसास तक का सफ़र फिलहाल ख़ुद ही तय करना है.

रविंद्र के मुताबिक़ अलग-अलग जाति के लोगों के बीच में शादी होना, उस बदलाव की ओर पहला कदम है जिससे देश में जाति के आधार पर भेदभाव ख़त्म हो जाएगा.

अब वो वक़ालत की पढ़ाई कर रहे हैं ताक़ि उन लोगों की मदद कर सकें जो पढ़े-लिखे नहीं हैं और अपने अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद नहीं कर पाते.

शिल्पा कहती हैं कि वो पहले वाली उस सिमटी-सकुचाई लड़की से बहुत आगे निकल आई हैं. वो कहती हैं, "अब मेरी ज़िंदगी के कुछ मायने हैं, शायद पापा भी ये देख पाएं कि मैंने सिर्फ़ मस्ती करने के लिए शादी नहीं की और वो मुझे ऐक्सेप्ट कर लें."

शिल्पा की ये इच्छा कब पूरी होगी पता नहीं, लेकिन उनकी उम्मीद क़ायम है.

BBC Hindi
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English summary
Marriage in second caste says terrorists Blog
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