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वकील बनने का ख्‍वाब देखने वालों को पूर्व न्‍यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने दी खास सलाह

अपनी बेबाक टिप्‍पणियों और राय के लिए जाने जा चुके सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्‍यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने वकील बनने का ख्‍वाब देख रहे लोगों को फेसबुक के पोस्‍ट के जरिए एक खास सलाह दी है।

By Sachin Yadav
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नई दिल्‍ली। अपनी बेबाक टिप्‍पणियों और राय के लिए जाने जा चुके सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्‍यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने वकील बनने का ख्‍वाब देख रहे लोगों को फेसबुक के पोस्‍ट के जरिए एक खास सलाह दी है। मार्कंडेय काटजू ने फेसबुक पोस्‍ट में लिखा कि एक 26 साल का एक नौजवान मेरे पास आया और उसने पूछा कि क्‍या उसे वकील का पेशा अपनाना चाहिए। उस नवयुवक के पास एलएलबी की डिग्री है और वो पिछले चार साल से एक कंपनी में काम कर रहा है। उसकी शादी नहीं हुई है और वो अभी 80,000 रुपए प्रतिमाह कमा रहा है।

वकील बनने का ख्‍वाब देखने वालों को पूर्व न्‍यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने दी खास सलाह

काटजू ने फेसबुक पोस्‍ट में लिखा कि मैंने उसको बताया कि अपनी नौकरी छोड़ कर वकील का पेशा अपनाने से पहले वो अच्‍छी तरह सोच लें। उन्‍होंने बताया कि वकील का पेशा बहुत कठिन पेशा है और यह प्रतियोगिता भी बहुत ज्‍यादा कठिन है। काटजू ने युवक से कहा कि तुम उस उम्र में हो, जब लोग शादी करते हैं या फिर उसके एक या दो बच्‍चे होते हैं। इसके अलावा अपने परिवार की मदद कर रहे होते हैं। पर जब तुम्‍हारी आय जीरो हो जाएगी तो तुम ऐसा कैसे कर पाओगे। यह पक्‍की बात है कि इस उम्र में वो अपने पिता के ऊपर पर बोझ नहीं बनना चाहता होगा। उन्‍होंने कहा कि खुद के आत्‍मसम्‍मान के लिए भी कोई व्‍यक्ति एक समय के बाद अपने माता-पिता के ऊपर बोझ नहीं बनना चाहता है और खुद ही अपनी रोटी कमाना चाहता है। ये भी देखें: अखिलेश यादव को यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में मिलेगा दो-तिहाई बहुमत, काटजू ने गिनाई 10 वजह

वकील का पेशा अपनाने वाले लोगों को शुरुआती कुछ सालों में काफी संघर्ष करना पड़ता है। जो भी क्‍लाइंट आते हैं वो सब अनुभवी लोगों के वकीलों के पास जाते हैं और गैर अनुभवी वकीलों के पास वो जाना पसंद नहीं करते हैं। उनके पास विकल्‍प होता है कि वो किसी वरिष्‍ठ वकील के चैंबर में शामिल हो जाएं, पर इन दिनों कई वरिष्‍ठ वकील भी अपने जूनियर वकीलों की मदद नहीं करते हैं। क्‍योंकि उनके पास पहले से ही दर्जनों जूनियर होते हैं। वहीं सारे जूनियर एक साथ बैठकर एक-दूसरे को प्रतिद्वंदी की तरह देख रहे होते हैं। कई सीनियर वकील यह भी सोचते हैं कि अगर वो जूनियर की मदद करेंगे तो जूनियर वकील खुद ही अपने केस लेना शुरु कर देंगे। इसलिए जूनियर वकीलों को ऐसे वरिष्‍ठ वकीलों का चुनाव करना चाहिए जो उनकी मदद करने के साथ उन्‍हें सिखा सकें। पर ऐसे वरिष्‍ठ वकील आज के समय में मिलते बहुत कम हैं। उन्‍होंने कहा कि इस प्रोफेशन में पहले ही बहुत ज्‍यादा लोग आ चुके हैं। इसलिए नए आने वाले वकीलों के लिए काम पाना और प्रैक्टिस शुरु करना आसान नहीं होता है। पांच से छह साल बाद अच्‍छी तरह मेहनत करने के बाद आप अपने खुद की जरूरतों के अलावा अपने बीवी बच्‍चों के लिए कमा पाते हैं।

उन्‍होंने यह भी बताया कि सबसे ज्‍यादा जरूरी होता कि वकील बनने के लिए आपके अंदर जुनून कितना है, क्‍योंकि वकील के पेशे में आने वाले बहुत से लोगों के अंदर वैसा जुनून ही नहीं होता है। काटजू ने आगे सलाह देते हुए लिखा कि इसलिए इस पेशे में आने वाले लोगों को मेरी सलाह है कि वकील के पेशे में आने से पहले अच्‍छी तरह से सोच लें। क्‍योंकि जिनके घर में लोग वकालत में हैं या फिर जिनके पिता जज हैं, उनको दिक्‍कत नहीं होती है। पर बिना किसी मदद या सहयोग के एक फेयर प्रैक्टिस शुरु करना नए वकील के लिए शुरुआती दिनों में बहुत कठिन काम होता है। इस पेशे में आने वाले वकीलों को यह नहीं सोचना चाहिए कि आते ही वो पालकीवाला या फली नरीमन जैसे बन जाएंगे।

उन्‍होंने कहा कि वकील का पेशा फिल्‍मस्‍टारों जैसा नहीं है जो आपको उनकी तरह प्रसिद्ध बना देगा। 10 से 5 की नौकरी करने वाले लोग इस पेशे के लिए ठीक नहीं हैं क्‍योंकि इसमें दिन भर कोर्ट में सिर खपाने के बाद रात भर सीनियर के चैंबर में बैठकर भी माथापच्‍ची करनी पड़ती है।

English summary
Markandey Katju gave advice to aspirants to the legal profession
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