महाराष्ट्र: एक से 10वीं तक सभी स्कूलों में मराठी पढ़ना हुआ अनिवार्य
मुंबई। महाराष्ट्र राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने सोमवार को सीबीएसई, आईसीएसई, आईबी और आईजीसीएसई बोर्ड से जुड़े सभी स्कूलों में दसवीं कक्षा तक मराठी को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाए जाने की घोषणा की। इसके लिए बनाए गए नियमों को चरणों में लागू किया जाएगा, जिसके अनुसार प्रत्येक वर्ष दो कक्षाओं में मराठी पढ़ाई जाएगी। यह निर्णय एकेडेमिक वर्ष 2020-21 से लागू किया जाएगा।
महाराष्ट्र के स्कूल शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने मराठी में ट्वीट कर कहा कि, सरकार ने राज्य में किसी भी माध्यम के सभी स्कूलों में मराठी अनिवार्य करने का फैसला किया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसे शैक्षणिक वर्ष 2020-21 से लागू करने का निर्य़ण लिया है। शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में एक और 6वीं के छात्र अनिवार्य रुप से मराठी पढ़ेंगे। उसके बाद 2021-22 में दूसरी और 7वीं, 2022-23 में तीसरी और 8वीं, 2023-24 में चौथी और 9वीं और 2024-25 में 5वीं और 10वीं छात्रों के लिए मराठी पढ़ना अनिवार्य होगा।
सरकार की ओर से जारी नॉटिफिकेशन में कहा गया है कि, पहली से 5वीं तक के छात्रों की मराठी में सुनने, बोलने, पढ़ने और लिखने की स्किल पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। वहीं 6वीं से 10वीं तक के छात्रों के लिए समझ पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। विभिन्न राज्यों के छात्रों के लिए इसमें कोई छूट नहीं दी गई है। स्कूल अधिकारियों और शिक्षकों ने निर्णय के लिए मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं।
जबकि स्कूलों ने फैसले का स्वागत किया है। शिक्षकों का दावा है कि विषय को लागू नहीं किया जाना चाहिए। इसके बजाय, राज्य को इसे वैकल्पिक रखना चाहिए, क्योंकि अन्य राज्यों के कई छात्र हैं जो मुंबई में पढ़ रहे हैं। फरवरी में राज्य विधानसभा में इससे संबंधित बिल सर्वसम्मति से पारित किया गया था। जिसके अनुसार इस नियम का पालन न करने वाले स्कूलों पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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