Maratha reservation:नहीं पहुंचे सरकारी वकील, SC ने चार हफ्ते के लिए स्थगित की सुनवाई
नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मराठा आरक्षण मामले की सुनवाई चार हफ्ते के लिए स्थगित कर दी है। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में कोटा उपलब्ध कराने के फैसले की तामील पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में ही पुनर्विचार याचिका डाली गई है, जिसपर मंगलवार को पहली सुनवाई होनी थी। आज शुरू में अदालत ने कुछ समय के लिए सुनवाई रोकी, लेकिन जब महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील फिर भी अदालत में गैर-हाजिर रहे तो कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई चार हफ्तों के लिए टाल दी।
पिछले कुछ हफ्तों से मराठा क्रांति मोर्चा के कार्यकर्ता मराठा आरक्षण जारी रखने के लिए महाराष्ट्र सरकार की ओर से कदम उठाए जाने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके दबाव में आकर महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महा अघाड़ी सरकार हाल ही में महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग की परीक्षा और पुलिस भर्ती परीक्षा भी स्थगित कर चुकी है।
अब भाजपा सांसद संभाजी राजे ने उद्धव सरकार पर आरोप लगाया है कि ऐसा लगता है कि मराठा आरक्षण के मसले पर वह कुछ भी नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, 'मैंने कई बार सरकार को याद दिलाया। अशोक चव्हाण के साथ बातचीत हुई, लेकिन उपसमिति की बैठक नहीं हुई। राज्य सरकार ऐसा क्यों कर रही है? आप मराठा समुदाय को इस तरह से क्यों देखते हैं?'
सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार के वकील के नहीं पहुंचने की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए राजे ने कहा कि, 'यह बहुत गंभीर मामला है। अशोक चव्हाण जो कि मराठा आरक्षण को लेकर बनी उप-समिति के चेयरमैन हैं, उन्हें इसपर ध्यान देना चाहिए। वे जहां भी रहें उनके साथ समन्वय बनाए रखने की जरूरत है।'अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए राजे ने बताया कि वह अपनी जान को खतरे में डालकर महाराष्ट्र की यात्रा कर रहे हैं। वे बोले, 'सरकार को गंभीर कदम उठाने चाहिए। अभी बहुत देरी नहीं हुई है, मैं यही कहना चाहता हूं।' बीजेपी सांसद ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र का मराठा समुदाय अपने लिए सामाजिक और आर्थिक पिछड़े वर्ग की श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग कर रहा है, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत नहीं।
सुप्रीम कोर्ट के पिछले महीने के फैसले के बाद उद्धव सरकार ने मराठा आंदोलनकारियों को शांत करने के लिए कई उपाय किए हैं, जिनमें से उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर तबकों वाले लाभ देना भी शामिल है। प्रदेश कैबिनेट ने मराठा कोटा आंदोलन में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को महाराष्ट्र स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन में नौकरी देने के ऑफर देने का भी फैसला किया है।
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