राष्ट्रपति भवन में नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से कैसे हुई धोखाधड़ी ?
नई दिल्ली- राष्ट्रपति भवन में नौकरी दिलाने के नाम पर कई लोगों से धोखाधड़ी के मामले का खुलासा हुआ है। इस मामले में राष्ट्रपति भवन के चार कर्मचारी पहले से ही गिरफ्तार हैं और हाल में दर्ज हुई चार्जशीट से पता चला है कि उन लोगों ने कितने लोगों को फर्जी रैकेट का शिकार बनाया है। जांच में ये बात भी सामने आई है कि उन्होंने न सिर्फ लोगों का राष्ट्रपति भवन के गेस्ट हाउस में इंटरव्यू लिया, बल्कि वहां प्रेसिडेंट एस्टेट में मौजूद डिस्पेंसरी में मेडकिल चेकअप भी करवाया ताकि सबकुछ असली लगे। जांच के मुताबिक इस रैकेट में शामिल दो मामूली कर्मचारियों ने जॉब मांगने की लालच में आए लोगों का इंटरव्यू ज्वाइंट सेक्रेटरी बन लिया और उन्हें फर्जी अप्वाइंटमेंट लेटर तक थमा दिया।
राष्ट्रपति भवन के कर्मचारियों ने चलाया फर्जी जॉब रैकेट
राष्ट्रपति भवन के 4 कर्मचारियों पर 22 लोगों को वहां पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर करीब 30 लाख रुपये उगाही के आरोप लगे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन कर्मचारियों को धोखाधड़ी के आरोप में इसी साल गिरफ्तार किया गया था और अब दायर हुई चार्जशीट में उनका पूरा कारनामा सामने आया है। आरोपियों का नाम मोती लाल (36), मोनू वैद (24), हरेंदर सिंह और राहुल मिश्रा है। इनमें से मोती लाल 2006 से राष्ट्रपति भवन में बटलर का काम करता था, जबकि वैद और मिश्रा बतौर मल्टी-टास्किंग स्टाफ काम करते थे। इस धोखाधड़ी में सबसे बड़ा रोल हरेंदर सिंह का माना जा रहा है जो 2018 तक वीआईपी सिक्योरिटी यूनिट हेडक्वार्टर में तैनात था। उसी ने बाकी तीनों आरोपियों के बीच ऐसा माहौल बनाया कि वह सही में लोगों को नौकरी दिलवा सकता है,जिसके चक्कर में बाकी तीनों भी आ गए।
राष्ट्रपति भवन में ही नौकरी दिलाने का किया था वादा
जानकारी के मुताबिक इस मामले का खुलासा तब हुआ जब राष्ट्रपति भवन को शिकायतें मिलीं कि वहा के कुछ कर्मचारी लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं। इस मामले में दिल्ली के साऊथ एवेन्यू थाने में सतीश कुमार नाम के एक शख्स ने शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि सतीश के बेटे, भतीजे और कम से कम 17 लोगों को राष्ट्रपति भवन में नौकरी दिलाने का वादा किया गया था। इस मामले में गिरफ्तारी इस साल की शुरुआत में ही की गई थी, जबकि क्राइम ब्रांच की इंटर-स्टेट सेल ने दिल्ली की एक अदालत में इसी महीने चार्जशीट दायर की है। चार्जशीट के मुताबिक आरोपियों ने राष्ट्रपति भवन के गेस्ट हाउस के अंदर कम से कम तीन बार नौकरी की तलाश में आने वालों का इंटरव्यू भी किया। इस शिकायतकर्ता के केस में आरोपियों ने उसके बेटे और भतीजे को नौकरी दिलाने के लिए 4 लाख रुपये एडवांस और 4 लाख रुपये नौकरी मिलने के बाद देने को कहा था।
ज्वाइन करने पहुंचे तब फर्जीवाड़े का पता चला
सबसे बड़ी बात है कि तीन लोगों को इंटरव्यू के लिए राष्ट्रपति भवन से ही पिछले साल मई में खत भी भेजा गया था। वे राष्ट्रपति भवन के गेट नंबर 17 से एक निजी गाड़ी में अंदर गए और आरोपी लाल उनके साथ मौजूद था। उन लोगों को गेस्ट हाउस नंबर- 2 में ले जाया गया, जहां मिश्रा और वैद फॉर्मल कपड़ों में बैठे हुए थे और खुद को ज्वाइंट सेक्रेटरी की तर्ज पर पेश कर रहे थं। ये भी खुलासा हुआ है कि उन तीनों को मेडिकल जांच के लिए प्रेसिडेंट एस्टेट के डिस्पेंसरी में भी ले जाया गया था। खबरों के मुताबिक उन तीनों को पिछले साल दिसंबर में नियुक्ति पत्र भी थमा दिया गया था और इस साल मार्च से ज्वाइन करने के लिए कहा गया था। लेकिन जब वे ज्वाइन करने के लिए पहुंचे तो पता चला कि उन्हें दिया गया नियुक्ति पत्र फर्जी था।
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