लोकसभा भंग होने के दो महीने बाद भी सरकारी बंगले में जमे हुए हैं 200 से अधिक पूर्व सांसद
नई दिल्ली। सोलहवीं लोकसभा के भंग होने के दो महीने बाद भी 200 से अधिक पूर्व सांसदों ने लुटियंस में स्थित अपना सरकारी बंगला खाली नहीं किया है। सूत्रों की माने तो इनमें कई बड़े नेता का नाम हैं जो अब सांसद नहीं हैं फिर भी बंगले में जमे हुए हैं। जबकि नियम के अनुसार पूर्व सांसदों को पिछली लोकसभा भंग होने के एक महीने के भीतर आवंटित बंगला खाली करना होता है। लेकिन इस बार फिलहाल ऐसा नहीं हुआ है। बंगलों पर पूर्व सांसदों का कब्जा अभी भी जमा हुआ है।
पूर्व सांसदों की ओर से बंगला न खाली करने की वजह से नए चुनकर आए सांसदों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक जिन सांसदों को अभी तक बंगला आवंटित नहीं किया गया है उनको वेस्टर्न कोर्ट में अस्थायी आवास उपलब्ध कराए गए हैं। इसके अलावा कई अतिथि गृह भी है जो कि नए सांसदों का अस्थायी आवास के रूप में मिले हैं।
बता दें कि इससे पहले स्थायी आवास उपलब्ध नहीं होने तक नए सांसदों को पांच सितारा होटल में रहने की सुविधा मिलती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार की ओर से मिलने वाले खर्चे में कटौती की जा सके। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर 16वीं लोकसभा को 25 मई को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया था।
अब देखना है कि नए सांसदों को कब तक स्थायी बंगला मिलता है। जानकारी के लिए बता दें कि चुनकर आने वाले सभी सांसदों को दिल्ली में सरकार की ओर से बंगला आवंटित किया जाता है। सरकार की ओर से आवंटित बंगला ही उनका स्थायी निवास माना जाता है। इसमें भी सभी सांसदों को एक जैसा बंगला नहीं होता है। सीनियारिटी और पद के हिसाब से उनको अलग-अलग टाइप का बंगला आवंटित किया जाता है।
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