सावधान! कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इस गंभीर बीमारी को नजरअंदाज कर रहे कई देश, सर्वे में भयानक परिणाम
नई दिल्ली। देश में तेजी से बढ़ता कोरोना वायरस आने वाले दिनों में टीबी से संबंधित मौतों का कारण बन सकता है। एक अध्ययन में दावा किया गया है कि अगले पांच वर्षों में भारत में टीबी के मरीजों का आकड़ा बढ़ सकता है। स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान, निदान और उपचार में देरी के कारण से भारत में 95,000 टीबी से संबंधित मौत का कारण कोरोना वायरस बन सकता है। COVID-19 से पहले हर दिन दुनिया में 4,000 से अधिक लोग टीबी से मर रहे थे। जिन देशों में स्वास्थ्य सेवाएं ठप हैं वहां डर है कि टीबी के मामले और मौतें काफी बढ़ सकती हैं।
लंदन के शोधकर्ताओं ने किए चौंकाने वाले खुलासे
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम) और लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अगले पांच वर्षों में चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका में अतिरिक्त टीबी से होने वाली मौतों और मामलों का अनुमान लगाया है। उन्होंने कोरोना वायरस काल में महामारी के सामाजिक संपर्कों से फैलने और इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ने वाले असर की जांच की है। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि लोगों में सोशल डिस्टेंसिंग टीबी की बीमारी को कम करने में मदद कर सकता है।
सोशल डिस्टेंसिंग से टीबी पर काबू पाने में मिलेगी मदद
ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना वायरस के समान ही टीबी की बीमारी का कारण माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (एक जीवाणु) हवा में बूंदों के माध्यम से एक दूसरे को संक्रमित करता है। हालांकि, रिपोर्ट सोशल डिस्टेंसिंग से टीबी के प्रसार को कम करने के बाद भी भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका में 110,000 से अधिक अतिरिक्त टीबी मौतों का अनुमान लगाया गया है। जिन देशों में कोरोना वायरस के चलते स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर पड़ा है वहां सबसे खराब स्थिति देखे जाने का अंदेशा है, ऐसे देशे में टीबी से मौत का आंकड़ा 200,000 तक बढ़ सकता है।
अगले पांच वर्षों में बढ़ सकती है टीबी की समस्या
टीम ने चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका, तीन देशों में टीबी की मामलो और मौतों पर इन कारकों के प्रभाव को मापा, जो वैश्विक टीबी मामलों का लगभग 40% है। उन्होंने वैश्विक टीबी के मामलों पर कोरोना वायरस के प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए छह महीने तक चलने वाले सोशल डिस्टेंसिंग उपायों और स्वास्थ्य सेवा व्यवधान के विभिन्न कार्यान्वयनों के साथ विभिन्न परिदृश्यों का मॉडल तैयार किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर स्वास्थ्य सेवा में कमी के चलते अगले पांच वर्षों में टीबी के मरीजों और मौतों में वृद्धि होगी। शोधकर्ताओं के अनुसार चीन में 6,000 अतिरिक्त मौतें, भारत में 95,000 और दक्षिण अफ्रीका में 13,000 अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं।
टीबी के मरीजों का रखना होगा ख्याल
एलएसएचटीएम में संक्रामक रोग महामारी विज्ञान में सहायक प्रोफेसर फिन मैकक्यूइड ने कहा, चिंता की बात यह है कि कई देशों में कोरोना वायरस के चलते टीबी के इलाज में कमी आई है, मरीजों को उपचार मिलने में देरी हुई है जिससे उनकी हालत गंभीर स्थिति तक पहुंच गई। उन्होंने आगे कहा कि हमें अब यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है कि टीबी मरीजों की देखभाल और इलाज में कोई कमी ना आए। वरना कोरोना वायरस महामारी को खत्म करने की लड़ाई में हमारे सामने टीबी नई समस्या होगी।
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