मानवेंद्र के जरिये कांग्रेस ने राजस्थान में की महारानी की किलेबंदी, एमपी-छग में भी सीएम को घेरा
नई दिल्ली। राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने बड़ा दांव चला है। कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेन्द्र सिंह को झालरापाटन विधानसभा सीट पर उतारा है। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ मानवेंद्र सिंह के चुनाव मैदान में आने से मुकाबला और दिलचस्प बन गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि मानवेंद्र सिंह कुछ दिन पहले ही बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। कांग्रेस ने दांव केवल राजस्थान में ही नहीं चला है बल्कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के भी मुख्यमंत्री के खिलाफ पार्टी ने बड़े नेताओं को उतारा है। आखिर कांग्रेस के इस दांव के पीछे क्या है उनका रणनीतिक प्लान बताते हैं आगे...
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राजस्थान में कांग्रेस ने रचा खास चक्रव्यूह
दरअसल कांग्रेस पार्टी ने मध्य प्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान के मुकाबले में पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को टिकट दिया है। वहीं छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह के मुकाबले में कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भांजी करूणा शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है। इसी तरह से अब राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के मुकाबले में कांग्रेस ने मानवेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है। तीनों ही राज्यों में दिग्गज नेताओं के मुकाबले में कांग्रेस ने जिस तरह से किलेबंदी की है, इसमें पार्टी की रणनीति साफ नजर आ रही कि वो बड़े नेताओं को 'सेफ हैंड' नहीं देकर खास तौर से चुनाव मैदान में घेरना चाहते हैं।
बीजेपी छोड़कर आए मानवेंद्र वसुंधरा के सामने पेश करेंगे दावेदारी
राजस्थान की बात करें तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कुछ समय पहले ही कहा था कि झालरापाटन सीट से उनका रिश्ता 30 साल पुराना है। उन्होंने शनिवार को इस सीट पर नामांकन किया, वो लगातार चौथी बार यहां से उम्मीदवार हैं। सीएम वसुंधरा ने पहली बार 2003 में यहां से चुनाव लड़ा था। हालांकि इस बार कांग्रेस ने बड़ा दांव चलते हुए बीजेपी छोड़कर मानवेंद्र सिंह को चुनाव मैदान में उतार दिया है। मानवेंद्र सिंह के आने से वसुंधरा राजे का सियासी गणित बिगड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्यों ये इलाका राजपूत बाहुल्य माना जाता है। मानवेंद्र सिंह की पकड़ केवल ठाकुर बिरादरी में ही नहीं बल्कि अल्पसंख्यक और दलित वोटर्स में भी उनकी खासी लोकप्रियता है। ऐसा माना जा रहा है कि इसका सीधा फायदा कांग्रेस को चुनावों में मिल सकता है।
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान Vs अरुण यादव
मध्य प्रदेश की बात करें तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पांचवी बार बुधनी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। यहां कांग्रेस ने सीएम शिवराज को उनके ही घर में पटखनी देने के लिए पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। स्थानीय लोगों का मूड देखकर लग रहा है कि इस सीट पर रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। शिवराज सिंह चौहान और अरुण यादव दोनों ही ओबीसी समुदाय से आते हैं। बुधनी विधानसभा क्षेत्र में किरार जाति (शिवराज सिंह चौहान इसी जाति के हैं) से लगभग दोगुनी संख्या यादवों की है। कांग्रेस को लग रहा है कि जातिगत आधार और शिवराज के खिलाफ लोगों की नाराजगी को भुना कर मुख्यमंत्री को उनके घर में ही हराया जा सकता है। इसी सोच के साथ कांग्रेस ने शिवराज के खिलाफ अरुण यादव को उतारा है।
छत्तीसगढ़: रमन सिंह के खिलाफ वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला
छत्तीसगढ़ में सीएम रमन सिंह के खिलाफ कांग्रेस ने कभी बीजेपी छत्तीसगढ़ का एक बड़ा चेहरा रहीं करुणा शुक्ला को चुनावी मैदान में उतारा है। करुणा शुक्ला राजनांदगांव विधानसभा सीट से रमन सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर वोटिंग हो चुकी है। माना जा रहा है कि बीजेपी ने अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत का आगामी चुनावों में फायदा लेने की योजना बनाई है, उसी के मद्देनजर कांग्रेस ने वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को रमन सिंह के खिलाफ उतारा है। दरअसल, राजनांदगांव एक ब्राह्मण बहुल सीट है, जहां खासी तादाद में ब्राह्मण रहते हैं। कभी यहां कांग्रेस के किशोरी लाल शुक्ला का वर्चस्व हुआ करता था, जो यहां के विधायक रहे हैं। करुणा शुक्ला का संबंध उस परिवार से है।
क्या कामयाब रहेगा कांग्रेस का चुनावी प्लान?
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान तीनों ही राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान पूरी रफ्तार में है। विपक्षी पार्टी कांग्रेस तीनों ही राज्यों में सत्ताधारी बीजेपी को घेरने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती है। यही वजह है कि पार्टी ने इन राज्यों में बीजेपी को घेरने के लिए खास रणनीति बनाई है। फिलहाल देखना होगा कि कांग्रेस की ओर से बीजेपी के तीनों मुख्यमंत्रियों के खिलाफ रचा गया चक्रव्यूह कितना सफल रहेगा?
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