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मनोज तिवारी: बिहार के लाला से 'दिल्ली का निवाला' छिनने तक

दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार को लेकर कई नाम चर्चा में हैं. लेकिन इस लिस्ट में अहम नाम दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का है. मनोज तिवारी ने एग्ज़िट पोल में आम आदमी पार्टी की जीत के अनुमान को ख़ारिज किया था. 8 फ़रवरी को मनोज ने ट्वीट किया था, ''ये सभी एग्ज़िट पोल फ़ेल होंगे. मेरा ये ट्वीट संभालकर रखिएगा. 

By विकास त्रिवेदी
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मनोज तिवारी
Getty Images
मनोज तिवारी

दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी की हार को लेकर कई नाम चर्चा में हैं. लेकिन इस लिस्ट में अहम नाम दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी का है.

मनोज तिवारी ने एग्ज़िट पोल में आम आदमी पार्टी की जीत के अनुमान को ख़ारिज किया था. 8 फ़रवरी को मनोज ने ट्वीट किया था, ''ये सभी एग्ज़िट पोल फ़ेल होंगे. मेरा ये ट्वीट संभालकर रखिएगा. बीजेपी दिल्ली में 48 सीट लेकर सरकार बनाएगी. कृपया ईवीएम को दोष देने का अभी से बहाना ना खोजें.''

इस ट्वीट को किए जाने के ढाई दिन बाद चुनावी नतीजे AAP के पक्ष में आए और मनोज तिवारी का ये पुराना ट्वीट सोशल मीडिया पर शेयर किया जाने लगा. मनोज भी मीडिया के सामने आकर बोले, ''दिल्ली का जो भी नतीजा आता है, मैं इसके लिए ज़िम्मेदार हूं.'' मनोज ने ट्वीट कर अरविंद केजरीवाल को बधाई भी दी.

दिल्ली विधानसभा चुनावों में मीडिया को दिए अपने कुछ इंटरव्यू को लेकर मनोज तिवारी का काफ़ी मज़ाक़ उड़ाया गया था.

AAP ने भी अपने सोशल मीडिया प्रचार में मनोज तिवारी के पुराने गानों जैसे- 'बेबी बीयर पीके नाचे छम छम छम...' का तंज़ के तौर पर इस्तेमाल किया.

मनोज तिवारी के इन इंटरव्यू और हरकतों को अगर एक धागे में पिरोकर देखा जाए तो ज़्यादातर मौक़ों पर वो आलोचकों को 'हीही हँस देली रिंकिया के पापा' सीन देते नज़र आते हैं.

कलाकार से नेता बने मनोज तिवारी के सफ़र की ये बस एक झलक है. सफ़रनामे की पूरी कहानी मनोज तिवारी ने बीबीसी हिंदी के साथ 2018 में साझा की थी.

मनोज तिवारी
AFP
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पिता के पेट पर सोकर गाना सीखने वाले मनोज

'इस गाने को कॉपी करने के लिए स्टार और नौ दबाएं. जय हो काशी विश्वनाथ की. जय हो नीलकंठवासी की. हर हर महादेव.'

मनोज तिवारी को जब 2018 में फ़ोन किया था तो मनोज की आवाज़ आने से पहले मनोज की आवाज़ में ये कॉलर ट्यून सुनाई देती है.

इस गाने में जिस काशी का ज़िक्र है, मनोज तिवारी के लिए वो काशी जन्म से लेकर पढ़ाई और करियर के लिहाज से बेहद अहम रहा है.

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले मनोज के पिता शास्त्रीय गायक थे. लेकिन मनोज आज कई रोल में नज़र आते हैं- सिंगर, एक्टर और नेता.

बिहार के भभुआ में रहते हुए मनोज क्या बनना चाहते थे? मनोज बताते हैं, ''बचपन से हमारा लक्ष्य पढ़-लिख कर कुछ बन जाने का था. ऐसा कोई ख़ास सपना नहीं देखा था. अच्छा इंसान बनाने की कोशिश थी. पिता का गायक होना भी मुझ पर कहीं न कहीं हावी रहा. हम लोग जैक ऑफ़ ऑल मास्टर ऑफ़ नन रहे. जो मिला करते गए. बस इंसानियत नहीं छोड़ी.''

मनोज के सिंगर बनने की कहानी पिता के पेट पर लेटने से शुरू होती है. दरअसल मनोज के पिता जब रियाज़ करते तो उन्हें पेट पर लिटाकर थपकी देते रहते थे.

मनोज सरगम का रियाज़ करते हुए कहते हैं, ''पिता ने एक बार मुझे सरगम सिखाने की कोशिश की थी. एक सरस्वती वंदना है. मुझे आज तक ये वंदना याद है. शायद वो बाबूजी की शिक्षा थी.''

मनोज के किसान परिवार में चार भाई और दो बहन हैं. भाई इंजीनियर और शिक्षक हैं. चुनावी हलफनामे में मनोज तिवारी ने अपनी कुल संपत्ति 19 करोड़ रुपये बताई थी. 2019 हलफनामे में ये संपत्ति बढ़कर क़रीब 24 करोड़ रुपये हो गई थी.

मनोज तिवारी
AFP
मनोज तिवारी

मनोज तिवारी के नाम में किसने जोड़ा मृदुल?

अपने राजनीतिक जीवन में मनोज तिवारी कुछ बयानों की वजह से भले ही विरोधियों को मृदुलभाषी न लगते हों, लेकिन उनके नाम में 25 साल से मृदुल जुड़ा हुआ है.

इसकी वजह ये है कि मनोज तिवारी जब नेता होते हैं तो वो मृदुल नहीं रहते हैं. मनोज तिवारी ने बताया था, ''मेरे सिर्फ़ गायिकी से जुड़े कामों में मृदुल उपनाम का इस्तेमाल होता है.'' हालांकि फ़ेसबुक पर उनके नाम के साथ मृदुल लिखा हुआ है.

मनोज तिवारी के नाम में मृदुल जुड़ने की कहानी साल 1996 और गुलशन कुमार से जुड़ी है.

मनोज तिवारी ने कहा था, ''मेरा पहला एल्बम 'बाड़ी शेर पर सवार' और 'मैया की महिमा' 1996 में आया था. ये भजनों का संग्रह था. तब गुलशन कुमार ने मुझे ये नाम दिया था. तब से मेरी एल्बम में मनोज तिवारी 'मृदुल' लिखा जाने लगा.''

सिंगिंग से मनोज तिवारी एक्टिंग की ओर बढ़ते हैं. मनोज तिवारी की वेबसाइट के मुताबिक़, साल 2003 में मनोज की फ़िल्म 'ससुरा बड़ा पइसावाला' आती है. ये फ़िल्म यूपी, बिहार में अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय की 'बंटी बबली' से ज़्यादा कमाई करती है.

ये पहला मौक़ा था जब मनोज तिवारी पर्दे पर नज़र आ रहे थे.

मनोज बताते हैं, ''सुधाकर पांडे और अजय सिन्हा ने मुझे पहला मौका दिया था. तब भोजपुरी सिनेमा काफ़ी अलग था. मुझे ख़ास दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन उन लोगों ने कहा तो मैंने कर लिया. नतीजे में सफलता हाथ लगी.''

मनोज की पढ़ाई बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से हुई. 1992 में मनोज ने बीए की पढ़ाई की थी.

नवंबर 2018 में मनोज तिवारी के दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन के मौक़े पर हाथापाई के वीडियो वायरल हुए थे.

इन वीडियोज़ में से एक में आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्लाह ख़ान मनोज तिवारी को धक्का देते और एक वीडियो में मनोज पुलिसवालों संग धक्कामुक्की करते नज़र आए थे.

मनोज तिवारी ने बनारस से 1994 में मास्टर ऑफ फ़िजिकल एजुकेशन की डिग्री हासिल की है.

FB/MANOJ/BBC

लेखक मनोज तिवारी की कल्पनाएं...

सफेद रंग की सैंडो बनियान. माथे पर लाल गमछा. आस-पास तबले और संगीत साज़.

'चट देनी मार देली खींच के तमाचा...हीही-हीही-हीही हँस देले रिंकिया के पापा'

मनोज तिवारी अपने गानों की वजह से भी चर्चा में रहे हैं. इनमें से एक गाना है रिंकिया के पापा. लेकिन असल में रिंकिया के पापा कौन हैं?

मनोज तिवारी ने बताया था, ''मुझे नहीं मालूम कि रिंकिया के पापा कौन हैं. ये गाना मैंने कल्पना में ही लिखा था. आजकल परंपरा है कि लोग रिंकी, मुन्नी, पिंकी जैसे नाम रख लेते हैं, ऐसे ही कहने में अच्छा लग रहा था तो मैंने रख लिया. किसी को सोचकर ये गाना नहीं लिखा था.''

इसी गाने में चट से खींच के तमाचा मारने की भी एक लाइन आती है. पर क्या मनोज तिवारी ने कभी किसी को खींच के तमाचा मारा है?

मनोज कहते हैं, ''नहीं नहीं कभी नहीं. मैं बहुत शांत स्वभाव का व्यक्ति हूं. चांटा लगने के बाद जो चट की आवाज़ आती है, मैंने बस उसकी कल्पना की थी. मुझे भी ये अंदाज़ा नहीं था कि ये गाना हिट हो जाएगा. न तो मैंने किसी को मारा है चट से और न ही किसी ने गाल पर मुझे चट से मारा है. हां कुछ लोगों ने मुझे ज़रूर तकलीफ देने की कोशिश की है. आप लोगों ने देखा ही होगा अभी...मैंने न कभी किसी को थप्पड़ मारने की सोची है और न सोचूंगा.''

मनोज तिवारी बतौर लेखक किन बातों का ध्यान रखते हैं? वो कहते हैं, ''जो बोलचाल की भाषा है. मैं उसे ही गीतों में लगाने की कोशिश करता हूं. समाज में जो चल रहा होता है, उसे ही गानों में पिरोने की कोशिश करता हूं.''

मनोज तिवारी
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मनोज तिवारी

मनोज के गानों पर एक नज़र

  • जिय हो बिहार के लाला, जिय तू हजार साला...जिय हो तू भोर-बवाला
  • जूड़ा पर लगाके जाली बगल वाली जान मारेली
  • हमरे दिलवा के मोबइलिया में लाइफ टाइम ले पलान हो गइल, ई दिलवा तोहरे जबरदस्त अब त फैन हो गइल (शाहरुख़ ख़ान की फ़िल्म फै़न का भोजपुरी गाना)
  • बेबी बीयर पीके नाचे धमक धमक धम्म
  • मस्ती में कट जाई उमिरिया पहाड़ न लागी, तू जिहसे बियाह करबू ओकरा के जाड़ न लागी
  • मेहरी आई तो रौब चलाई मानी नाही आसानी से

मनोज तिवारी ने अपने करियर की शुरुआत से लेकर अब तक कई धार्मिक गाने गाए हैं. इनमें देवी भजन प्रमुख हैं. लेकिन उनके कुछ गानों में विचारधारा के स्तर पर पितृसत्तात्मक सोच नज़र आती है.

एक सच ये भी है कि बॉलीवुड की तरह ही भोजपुरी सिनेमा पर भी अश्लीलता को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं. 'लहंगा उठाय द रिमोट से' जैसे गाने इसके उदाहरण हैं.

हालांकि मनोज के खाते में 'औरत खिलौना नहीं' जैसी फ़िल्में भी हैं.

मनोज के राजनीति में आने के बाद फ़िल्मों और गानों के चुनाव में फ़र्क़ आया है.

इसकी झलक 2014 में मनोज तिवारी के उस बयान से मिलती है, जिसमें उन्होंने कहा था, ''मोदी जी से मेरी बात हुई. उन्होंने भोजपुरी फ़िल्मों से दूर रहने की सलाह कतई नहीं दी, लेकिन ये ज़रूर कहा कि मैं ऐसी फ़िल्में करूं जिन्हें वो देख सकें."

FACEBOOK/MANOJ/BBC

अकेला रहना कितना मुश्किल?

साल 2010 में मनोज तिवारी ने बिग बॉस में अपनी पत्नी रानी के बारे में बात की थी.

इसके क़रीब दो साल बाद मनोज तिवारी का 2012 में अपनी पत्नी के साथ तलाक हो जाता है. मनोज और रानी की शादी क़रीब 13 साल ही चल पाती है.

मनोज तिवारी ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में इस बारे में बात की थी.

मनोज ने कहा था, ''मैं दोबारा शादी की तैयारी कर रहा हूं. मेरे लिए अकेले रहना कुछ मुश्किल है. मैं कभी अपनी पत्नी को तलाक न देता. मैं अब भी उन्हें प्यार करता हूं और अपनी बेटी और उन्हें ज़िंदगी में वापस चाहता हूं. सब कुछ होते हुए ज़िंदगी तन्हा हो तो थोड़ी तकलीफ तो देती है.''

मनोज तिवारी और रानी की एक बेटी भी है. रानी का फ़िल्मों से कोई ताल्लुक नहीं था. मनोज बताते हैं, ''वो एक सामान्य परिवार की कामकाजी महिला थीं.''

बीबीसी हिंदी से मनोज तिवारी ने कहा था, ''ये एक ऐसी चीज़ है, जिसे मैं अब याद नहीं करना चाहता हूं. अलग होने का फैसला उनका था. मेरी बिटिया पत्नी के साथ रहती है. महीने में एक या दो बार मुलाकात हो जाती है. हमारी बेटी की खुशी में हम सबकी खुशी है. रानी भी खुश रहे, यही मेरी दुआ है.''

FACEBOOK/MANOJTIWARI/BBC

राजनीति में मनोज तिवारी

साल 2009 के लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही थी. तभी एक रोज़ मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी अपने गोरखपुर से उम्मीदवार का एलान करती है- मनोज तिवारी.

मनोज तिवारी गोरखपुर में सपा की टिकट पर बीजेपी के योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ चुनावी लड़ाई लड़े थे. इस लड़ाई में योगी आदित्यनाथ के सामने मनोज तिवारी हार गए थे.

ये वही मनोज तिवारी हैं, जो जब से बीजेपी में आए हैं योगी आदित्यनाथ की तारीफ़ और बधाइयां देते नहीं थकते हैं. योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में मनोज तिवारी का सम्मान किया था.

साल 2009 में बीबीसी को दिए इंटरव्यू में मनोज तिवारी ने योगी आदित्यनाथ के बारे में कहा था, ''जहां तक सवाल योगी आदित्यनाथ का है तो उन्होंने भोली-भाली जनता के साथ तिलिस्म खेल रखा है और जिसकी जाल में जनता फंसी थी. जब से पूर्वांचल पर प्रहार करने वाली शिवसेना का साथ उन्होंने दिया है जनता का उनसे दुराव हुआ है.''

लेकिन राजनीति में विचारधाराएं पार्टी के साथ बदलती जाती हैं.

साल 2014 में मनोज तिवारी बीजेपी की टिकट पर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली सीट से चुनाव लड़कर संसद पहुंचते हैं. बतौर सांसद मनोज तिवारी की संसद में हाजिरी भी क़रीब 79 फ़ीसदी रही है.

दिल्ली में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों और समारोहों में मनोज तिवारी पहुंचते रहे हैं. दिल्ली में यूपी-बिहार के अच्छे खासे लोग रहते हैं. दिल्ली की आबादी में यूपी-बिहार के लोगों का क़रीब 40 फ़ीसद है.

इसी वजह से साल 2016 में बीजेपी दिल्ली में सतीश उपाध्याय के हटते ही जिस चेहरे को चुनती है, वो मनोज तिवारी होते हैं. ये कांग्रेस के बिहारी चेहरे महाबल मिश्रा को टक्कर देने के लिए बीजेपी का तरीका था.

इसके अलावा ये पहला मौका था, जब बीजेपी ने दिल्ली की कमान किसी यूपी-बिहार के शख़्स को दी थी.

मनोज तिवारी को बीजेपी दूसरे राज्यों में उस प्रचारक की तरह इस्तेमाल करती रही है, जो यूपी और बिहार से दूसरे राज्यों में जाकर बसे मतदाताओं को लुभा सकते हैं.

क्या मनोज तिवारी के बीजेपी में आने के बाद भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री के लोग भी राजनीति का रुख कर रहे हैं?

मनोज तिवारी कहते हैं, ''आप जब अपनी ज़िंदगी का एक उपयोगी हिस्सा निकालते हैं तो लोग उसे फॉलो करते हैं. समाज को हम क्या दे सकते हैं, इसको लेकर कई कलाकारों ने रुचि दिखाई है. हम इसका स्वागत करते हैं.''

मनोज तिवारी

मनोज तिवारी का विवाद से नाता

दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज पर हुई धक्कामुक्की को छोड़ दिया जाए तो ऐसे कई विवाद हैं, जिससे मनोज तिवारी का नाता रहा है.

साल 2017 में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ. इस वीडियो में मनोज तिवारी एक टीचर पर गरजते नज़र आते हैं.

एक मंच पर जब टीचर मनोज तिवारी से गाना गाने की गुज़ारिश करती है.

तब मनोज कहते हैं, ''ये तमीज़ है आपकी. ये गाने का प्रोग्राम है क्या. आपको इतना भी नहीं पता कि यहां क्या हो रहा है. ये दो करोड़ का सीसीटीवी लगने जा रहा है और आप गाना गाने को कह रही हैं. चलिए आप मंच से नीचे उतरिए. नीचे बैठिए. इनके ख़िलाफ कार्रवाई करो. ठीक है. इसको बिल्कुल क्षमा नहीं किया जाना चाहिए. जब इनको इतना नहीं पता कि सांसद से कैसे बात करनी है तो छात्रों से क्या बात करेंगी.''

ये नाराज़गी तब ख़त्म होती है, जब टीचर बीजेपी मुख्यालय जाकर मनोज तिवारी से माफी मांगती हैं.

लेकिन क्या किसी कलाकार सांसद से गाने या नाचने के लिए कहना ग़लत है? इसका जवाब इस वाकये के कुछ महीनों बाद मिलता है.

साल 2017 में शाहरुख ख़ान और अनुष्का शर्मा अपनी फ़िल्म का प्रमोशन करने वाराणसी पहुंचे थे. मनोज तिवारी शाहरुख और अनुष्का के साथ गाना गाते हुए नज़र आते हैं और नाचते हुए भी.

सोनिया गांधी को छठ की सलाह, टीचर से बदसलूकी जैसे कई और विवाद हैं, जिनकी वजह से मनोज तिवारी ख़बरों में रहे.

मनोज तिवारी इन विवादों पर कहते हैं, ''सोनिया गांधी वाले मेरे बयान को उलटे तरीके से लिया जा रहा है. छठ मां की पूजा करने वालों के बच्चे 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' कहने वाले नहीं होते हैं. इस डायलॉग में अगर हम छठ मैया की महिमा बता रहे हैं तो कुछ ग़लत नहीं कर रहे हैं. इस बयान को उल्टा लेने वाला उल्टा ले रहा है. जैसे राहुल गांधी झूठ बोल रहे हैं, वो मूर्खता है या नहीं. ऐसे लोगों को ठीक करने के लिए हम बयान देते रहेंगे.''

मनोज ने कहा, ''हमारे सामने जो विरोधी पार्टी है, वो भ्रम फैलाने वाली है. मेरा विवादों से कोई नाता नहीं है. आपने जिस टीचर की घटना का ज़िक्र किया, मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं. मेरा कहना ये है कि जो काम जब किया जाए, उसकी मर्यादा को पूरा किया जाए.''

मनोज तिवारी

मनोज तिवारी को क्या-क्या पसंद और नापसंद?

पसंदीदा डायरेक्टर: अनुराग कश्यप

पसंदीदा कलाकार: अमिताभ बच्चन

पसंदीदा खाना: दाल, भात, चोखा

पसंदीदा कार: टाटा, मर्सिडीज़ से लेकर जगुआर तक, लेकिन अब दूरी तय करना ज़्यादा अहम

मनोज तिवारी अपने पसंदीदा नेता के बारे में कहते हैं, ''जिनके लिए मैं सब कुछ छोड़कर राजनीति में आया हूं, मोदी ही मेरे पसंदीदा नेता हैं. मुझे मोदी जी की ये बात अच्छी लगती है कि कोई उनसे कितना ही मतभेद रखे, लेकिन अगर कोई अच्छी नियत के साथ जाता है तो वो क़द्र करते हैं.''

ऐसा नहीं है कि मनोज तिवारी को पीएम मोदी की सारी बातें पसंद ही हैं.

मनोज तिवारी कहते हैं, ''मोदी भ्रष्ट और बेईमान लोगों को सही रास्ते पर लाने की बात करते हैं. लेकिन मैं चाहता हूं कि ऐसे लोगों को कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए. ये एक ऐसी चीज़ है, जिस पर हमारा मतभेद है.''

'जाने सगरी नगरिया ई दिल तोहरे बिन खाली कइसे हो गईल. ई दिल त तोहरे जबरदस्त फैन हो गल'

मनोज तिवारी के इस गाने को याद करते हुए जब मैंने उनसे पूछा था कि क्या वो भी किसी के जबरा फैन हैं?

हँसते हुए वो कहते हैं, ''हम नरेंद्र मोदी की वर्किंग स्टाइल के जबरा फैन हैं.''

हालांकि दिल्ली विधानसभा चुनावों के जैसे नतीजे आए हैं, बतौर प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी की वर्किंग स्टाइल पर सवाल उठने लाज़िमी हैं.

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English summary
Manoj Tiwari: From Bihar to Delhi
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