क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

मनोहर पर्रिकर: उनकी तरबूज की ये कहानी सबको दे गई बड़ा संदेश

Google Oneindia News

नई दिल्‍ली। गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर नहीं रहे। वह मुख्यमंत्री रहे, रक्षामंत्री रहे, आईआईटीयन रहे, जो भी रहे हमेशा सादगी की मिसाल रहे। उन्हें स्कूटर वाला सीएम कहा जाता है, उन्हें सर्जिकल स्ट्राइक वाला रक्षामंत्री कहा जाता है और उन्हें आईआईटीयन पोलीटीशियन भी कहा जाता है। लेकिन कम ही लोग जानते कि अपनी छोटी सी उम्र में भी मनोहर सैकड़ों साल आगे का विजन रखने वाले राजनेता थे।

मनोहर पर्रिकर: उनकी तरबूज की ये कहानी सबको दे गई बड़ा संदेश

इसका ज्वलंत उदाहरण है 11 सितंबर, 2016 को वडोदरा में फेडरेशन ऑफ गुजरात इंडस्ट्रीज आयोजित एक कार्यक्रम में भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के एक भाषण का अंश उन्हीं के शब्दों में: “मैं गोवा के पर्रा गांंव से हूंं, इसलिए हम पर्रिकर कहलाते हैं। मेरा गांंव अपने तरबूजों के लिए प्रसिद्ध है। जब मैं एक बच्चा था, तो किसान मई माह में फसल के मौसम के अंत में तरबूज खाने की प्रतियोगिता आयोजित करते थे। सभी बच्चों को उतने तरबूज खाने की छूट थी जितना वह खा सकते थे।

Read Also- मिसेज इंडिया गैलेक्सी निकली 2 करोड़ की घपलेबाज, गाजियाबाद से हुई गिरफ्तारRead Also- मिसेज इंडिया गैलेक्सी निकली 2 करोड़ की घपलेबाज, गाजियाबाद से हुई गिरफ्तार

इसके लिए सभी को आमंत्रित किया जाता था। लेकिन शर्त सिर्फ यह थी कि केवल सबसे बड़ा तरबूज ही खाना होता था। कई वर्षों बाद, मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए IIT मुंबई गया। डिग्री हासिल कर मैं 6.5 साल बाद ही अपने गांव वापस जा सका। मैं बाजार में बड़े तरबूजों की तलाश में गाँव गया था। लेकिन वहां बड़े तरबूज नहीं दिखे। जो तरबूज वहाँ बिक रहे थे वे बहुत छोटे थे और स्वाद भी वैसा नहीं था। मैं उस किसान से मिलने गया, जो सबसे बड़े तरबूज खाने की प्रतियोगिता की मेजबानी किया करता था। उनका कारोबार अब उनके बेटे ने संभाल लिया था।

वह अब भी इस तरह की तरबूज प्रतियोगिता की मेजबानी करता था लेकिन इसमें बहुत अंतर था। पहले प्रतियोगिता में बड़े किसान हमें खाने के लिए सबसे बड़ा तरबूज देते थे लेकिन साथ ही यह निर्देश होता कि हमें उन तरबूजों के बीज एक कटोरी में रखने होते थे। हमें कहा गया था कि बीज को मत काटो या नष्ट मत करो। दरअसल वह किसान अपनी अगली फसल के लिए बीज इकट्ठा कर रहा होता था। और हम वास्तव में एक तरह से उस किसान के लिए एक अवैतनिक बाल मजदूर की तरह काम कर रहे होते थे और हमारा पुरस्कार मुफ्त में जीभर कर खाने को मिलने वाला तरबूज ही था।

Read Also- मायावती ने ट्वीट कर पीएम मोदी पर बोला हमला, कहा- जनता सावधान रहेRead Also- मायावती ने ट्वीट कर पीएम मोदी पर बोला हमला, कहा- जनता सावधान रहे

किसान हमेशा प्रतियोगिता के लिए अपने सबसे बड़े तरबूज ही रखता था। हमें सबसे स्वादिष्ट तरबूज खाने को मिलते और उन्हें सबसे अच्छे बीज मिलते जो अगले साल भी बड़े तरबूज वाली फसल पैदा करते। उनके बेटे ने जब उनका कारोबार संभाला, तो उन्हें एहसास हुआ कि बड़े तरबूज बाजार में अधिक पैसा लाएंगे, इसलिए उन्होंने सभी बड़े तरबूज बाजार में बेच दिए और छोटे तरबूज ही लोगों के सामने प्रतियोगिता के लिए रखे गये।

अब आगे की फसल में तरबूज छोटे होने लगे थे। जो साल दर साल और भी छोटे होते गये। मुझे अहसास हुआ कि केवल सात वर्षों में ही पर्रा के सर्वश्रेष्ठ तरबूज समाप्त हो गए। हम मनुष्यों में भी 25 साल बाद पीढ़ियां बदल जाती हैं। इस तरह हमें अपने बच्चों को शिक्षित करते समय यह पता लगाने में 200 साल लग जाएंगे कि हम क्या गलत कर रहे थे। इस लिए बच्चों की शिक्षा और संस्कार पर बचपन से ही बहुत ध्यान देने की जरूरत है।“

Comments
English summary
Manohar Parrikar: The story of his Childhood gave a big vision to everyone.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X