मनोहर पर्रिकर-एक रक्षा मंत्री जिसे दिया जाता है सर्जिकल स्ट्राइक का श्रेय
पणजी। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को पैंक्रियास कैंसर की वजह से 63 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पार्रिकर चार बार गोवा के मुख्यमंत्री तो थे ही लेकिन नवंबर 2014 में वह देश के रक्षा मंत्री बने। पार्रिकर ने एक ऐसे समय में रक्षा मंत्री की कमान संभाली जब रक्षा क्षेत्र में कई तरह के बदलावों की मांग हो रही थी। यह पार्रिकर का ही कार्यकाल था जिसमें सर्जिकल स्ट्राइक हुई और उसी वर्ष फ्रांस के साथ राफेल जेट्स की डील फाइनल हुई। विशेषज्ञ पार्रिकर को एक ऐसे रक्षा मंत्री के तौर पर याद कर रहे हैं जिन्होंने हमेशा डिफेंस सेक्टर में तेज फैसलों की वकालत की।
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मीडिलमैन कल्चर खत्म करने की कोशिशें
नवंबर 2014 में अरुण जेटली ने रक्षा मंत्री का पद पार्रिकर को सौंपा था। करीब तीन साल के अपने कार्यकाल में पार्रिकर ने रक्षा क्षेत्र में पूरे जोश के साथ काम किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जोर देने पर पार्रिकर गोवा से दिल्ली आ गए और साउथ ब्लॉक उनकी कर्मस्थली बन गया। पर्रिकर ने पद संभालते ही मीडिया के साथ पहली बार वार्ता में ऐलान कर दिया कि वह डिफेंस सेक्टर में जारी मिडिलमैन और डीलर्स के गठजोड़ को खत्म करेंगे।
'दुश्मन की आंख निकाल लेंगे'
सितंबर 2016 में उरी में सेना के कैंप पर आतंकी हमला हुआ और 19 जवान शहीद हो गए। जिस समय सर्जिकल स्ट्राइक की भूमिका तैयार हो रही थी, पर्रिकर उसका अहम हिस्सा थे। सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान सेना ने पीओके में स्थित आतंकियों के लॉन्च पैड्स को निशाना बनाया था। सेना को उरी आतंकी हमले के बाद छूट दी गई कि वह अपने मुताबिक आतंकियों के निबटने को आजाद है। पर्रिकर ने एक बार कहा था,'हम कभी भी युद्ध के लिए बेकरार नहीं रहते हैं लेकिन अगर कभी किसी ने बुरी नजर से हमें देखा तो फिर हम उसकी आंख निकालकर हाथ में रख देंगे।'
फाइटर स्क्वाड्रन की कम संख्या से परेशान थे पर्रिकर
सितंबर 2016 में ही भारत ने फ्रांस के साथ राफेल जेट की डील साइन की। पर्रिकर, इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) में फाइटर स्क्वाड्रन की कम होती संख्या को लेकर अक्सर परेशान रहते थे। वह चाहते थे कि जल्द से जल्द राफेल, आईएएफ का हिस्सा बने और सेना को ताकत मिल सके। यह पर्रिकर ही थे जिन्होंने स्वदेशी लाइट कॉम्बेट जेट (एलसीए) की वायुसेना में शामिल होने की प्रक्रिया में तेजी लाने पर जोर दिया। जुलाई 2016 में तेजस की स्क्वाड्रन फ्लाइंग डैगर, कर्नाटक के बीदर में आई और तेजस वायुसेना का हिस्सा बना।
राफेल डील का हिस्सा
राफेल डील इस समय राजनीतिक विवादों में है और इस डील की वजह से उनके कार्यकाल पर जरूर कुछ लोगों ने सवालिया निशाना लगाया। पिछले माह द हिंदू में आई एक रिपोर्ट में 25 नवंबर 2015 का एक नोट पब्लिश हुआ था जो रक्षा मंत्रालय से जारी किया गया था। इस नोट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय की ओर से इस बात को लेकर चिंता जताई गई थी कि डील पर पीएमओ में भी समांतार तौर पर चर्चा चल रही है। नोट में कहा गया था कि इसकी वजह से रक्षा मंत्रालय और इंडियन नेगोशिएशन टीम की स्थिति कमजोर हो गई है। पर्रिकर ने इस नोट को 'ओवररिएक्शन' बताते हुए खारिज कर दिया था।