'मन की बात' कार्यक्रम में PM मोदी ने बताई अपनी सबसे बड़ी कमी, जानिए क्या?
नई दिल्ली। पीएम मोदी ने आज सुबह 11 बजे अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देश को संबोधित किया। यह उनका 74वां संबोधन था। देश के विभिन्न मुद्दों पर बात करते हुए पीएम मोदी ने आज देशवासियों के सामने अपनी एक कमी को भी स्वीकार किया। पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें इस बात का बड़ा अफसोस है कि उन्होंने विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा तमिल नहीं सीखी, उन्होंने कहा कि ये मेरी सबसे बड़ी कमी है कि मैं तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया।
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उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है। बहुत से लोगों ने मुझे तमिल लिटरेचर की क्वॉलिटी और इसमें लिखी गई कविताओं की गहराई के बारे में बहुत कुछ बताया है, भारत ऐसी अनेक भाषाओं की स्थली है, जो हमारी संस्कृति और गौरव का प्रतीक है, यहां का कण और संस्कृति सब कुछ अलौकिक है।
पीएम मोदी ने किया हैदराबाद की अपर्णा का जिक्र
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में हैदराबाद की अपर्णा का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने मुझसे एक प्रश्न किया था कि आप इतने साल पीएम रहे, सीएम रहे, क्या आपको लगता है कि कुछ कमी रह गई है?, पीएम ने कहा कि ये सवाल बहुत छोटा था लेकिन बहुत जटिल था, मैंने इस पर विचार किया और आज मैं अपनी ये कमी आपके सामने बताता हूं और वो कमी है तमिल भाषा।
आत्मनिर्भर भारत अभियान', एक भाव बन चुका है
इसके अलावा पीएम मोदी ने अपने संबोधन में जल संरक्षण से लेकर विज्ञान के चमत्कार को लेकर भी बातें की। उन्होंने कहा कि 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' में साइंस की शक्ति का बहुत बड़ा योगदान है। आत्मनिर्भर का मतलब अपनी किस्मत का फैसला खुद करते हैं। मुझे ये कहते हुए खुशी हो रही है कि आज 'आत्मनिर्भर भारत अभियान', एक भाव बन चुका है,'जब हम आसमान में अपने देश में बने लड़ाकू विमान तेजस को कलाबाजियां खाते देखते हैं और जब हम दर्जनों देशों तक मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन को पहुंचते देखते हैं तो हमारा माथा और ऊंचा हो जाता है।
अभियान 'कैच द रेन' शुरू किया जा रहा
साथ ही पीएम मोदी ने लोगों को जल संरक्षण करने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि जल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल शक्ति अभियान 'कैच द रेन' शुरू किया जा रहा है, जल ही जीवन है और जल ही शक्ति इसलिए उसका संरक्षण करने में हर किसी को मदद करनी चाहिए।