गुजरात में कांग्रेस की हार के बाद बोले अय्यर, क्या मुझे पीएम के खिलाफ मुकदमा नहीं दर्ज कराना चाहिए
नई दिल्ली। गुजरात चुनाव के दौरान जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कांग्रेस के दिग्गज नेता मणिशंकर अय्यर नीच शब्द का इस्तेमाल किया उसके चलते पार्टी को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद राहुल गांधी ने अय्यर से मांफी मांगने को कहा था। नीच शब्द के इस्तेमाल को लेकर बात इतनी बढ़ी कि मणिशंकर अय्यर को पार्टी से भी निष्कासित कर दिया गया। लेकिन गुजरात चुनाव के नतीजे आने के बाद आखिरकार मणिशंकर अय्यर ने अपना दर्द बयान किया है।
पीएम ने गुजराती अस्मिता से जोड़ा
मणिशंकर अय्यर ने एक लेख के जरिए इस पूरे विवाद पर अपनी पीड़ा को जाहिर करते हुए लिखा है कि जिसने भी गुजरात फतेह किया हो मगर मैं हारा। अपनी सफाई में अय्यर ने लिखा है कि मैं दक्षिण भारत से आता हूं, लिहाजा मेरी हिन्दी अच्छी नहीं है, मैंने नीच शब्द का इस्तेमाल लो लेवल के लिए किया था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने मेरे बयान जो तोड़-मरोड़कर उसे जाती रंग दे दिया। आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने मणिशंकर अय्यर के नीच शब्द को गुजरात की अस्मिता से जोड़ते हुए इसे गुजरात का अपमान बताया था।
भाजपा का झूठा प्रचार, नीच बयान हार की वजह
गुजरात चुनाव के बाद कांग्रेस के तमाम नेताओं का यह मानना है कि उन्हें उम्मीद से कम सीटें अय्यर के इस बयान की वजह से मिली हैं। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि गुजरात में अपेक्षा से कम वोट फीसदी और सीटें इसलिए कम मिली क्योंकि भाजपा ने झूठा प्रचार किया और अय्यर ने गलत समय पर बयानबाजी की। मणिशंकर ने अपने लेख में फारुक अब्दुल्ला से लेकर तमाम राजनीतिक विश्लेषकों का जिक्र किया है, जिन्होंने अय्यर के बयान को पार्टी को हुए नुकसान की एक बड़ी वजह बताया है।
क्या पीएम के खिलाफ केस नहीं ठोंकना चाहिए
अपने लेख में अय्यर ने लिखा है कि मेरे दिमाग में हमेशा यह सवाल उठता है कि क्या मेरे नीच बयान की वजह से पार्टी को कुछ सीटों का नुकसान उठाना पड़ा, या फिर पीएम मोदी ने जानबूझकर इसे जातीय रंग दिया। पीएम मोदी पर सवाल उठाते हुए अय्यर लिखते हैं कि जिस तरह से पीएम ने झूठ बोला और मुझे बदनाम किया , क्या मुझे उनके खिलाफ मुकदमा नहीं करना चाहिए।
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