ब्रिटेन में अलगाववादी नेताओं का ऐलान, निर्वासन में मणिपुर सरकार, देशद्रोह का मामला दर्ज
नई दिल्ली। मणिपुर के दो अलगाववादी स्थानीय नेता याम्बेन बीरेन और नरेंगबाम समरजीत ने ब्रिटेन में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ऐलान किया है कि मणिपुर की सरकार निर्वासन में है। दोनों ही नेताओं ने दावा किया है कि वह राजा लेशेम्बा के प्रतिनिधि हैं और उनके ही कहने पर इसकी घोषणा कर रहे हैं। यही नहीं याम्बेन बिरेन ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि वह मणिपुर स्टेट काउंसिल के मुख्यमंत्री हैं और दूसरे नेता नरेंगबाम समरजीत ने कहा है कि वह मणिपुर स्टेट काउंसिल के रक्षा और विदेश मंत्री हैं। दोनों ही नेताओं के इस ऐलान के बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि सरकार ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया है और उनके खिलाफ देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ने का मामला दर्ज किया गया है। इस मामले की तत्काल जांच स्पेशल क्राइम ब्रांच को दे दी गई है।
एनआईए को दी जाएगी जांच
बीरेन सिंह ने कहा कि विस्तृत जांच के बाद इस मामले की रिपोर्ट को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी को दी जाएगी क्योंकि दोनों ही अलगाववादी देश के बाहर यह काम कर रहे हैं। वहीं राजा लेशेम्बा ने इस प्रकरण की निंदा की है। उन्होंने कहा कि मैं चकित हूं कि दोनों अलगाववादियों ने इस मामले में मेरा नाम घसीटा है। ऐसा करने से समाज में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। हालांकि इस पूरे प्रकरण पर अभी तक भारतीय उच्चायोग की ओर से किसी भी तरह का बयान नहीं आया है।
ब्रिटेन में की प्रेस कॉन्फ्रेंस
बता दें कि दोनों ही अलगाववादी नेताओं ने ब्रिटेन में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों से अपील करते हैं कि वह मणिपुर की निर्वासित सरकार को मान्यता दें। उन्होंने कहा कि मणिपुर के तीस लाख लोग अपने मूल राष्ट्र की मान्यता चाहते हैं। साथ ही दोनों नेताओं ने दावा किया है कि भारत की सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष 1528 हत्या के मामले लंबित हैं।
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सनसनीखेज दावा
गौरतलब है कि ब्रिटेन में अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बीरेन और समरजीत ने कई दस्तावेज पेश किए, जिसमे उन्होंने दावा किया है कि इस वर्ष अगस्त माह में उन्हें ब्रिटेन में शरण मिली है और वह यहीं से निर्वासन सरकार की शुरुआत कर रहे हैं। दोनों नेताओं ने दावा किया है कि उन्हें ब्रिटेन में शरण मिलने के बाद उन्होंने मणिपुर की सरकार को विधिवत लंदन में स्थानांतरित कर दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमने भारत सरकार से इस बाबत बात करने की कोशिश की लेकिन हमे जवाब नफरत से मिला है।