मणिपुर की गठबंधन सरकार पर छाए संकट के बादल, BJP के तीन विधायक कांग्रेस में शामिल, 4 मंत्रियों ने भी दिया इस्तीफा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस संकट के बीच भारतीय जानता पार्टी (बीजेपी) को मणिपुर से बड़ा झटका लगा है। बुधवार को तीन विधायकों के पार्टी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल होने के बाद मणिपुर की बीजेपी गठबंधन सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इतना ही नहीं राज्य के उप मुख्यमंत्री वाई जयकुमार सिंह और 3 अन्य मंत्रियों ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है जिसके बाद से बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। इसके अलावा एक टीएमसी विधायक और एक निर्दलीय विधायक ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है।
भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थामने वाले तीन विधायकों के नाम एस सुभाषचंद्र सिंह, टीटी हाओकिप और सैमुअल जेंदई हैं। इनके अलावा मणिपुर की बीजेपी गठबंधन सरकार में मंत्री एन कायिसी, एल जयंत कुमार सिंह और लेतपाओ हाओकिप सहित नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की ओर से डिप्टी सीएम वाई जयकुमार सिंह ने भी बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही निर्दलीय विधायक शहाबुद्दीन और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक टी रबिंद्रो सिंह ने भी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है।
2017 के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी और मणिपुर की 60 में से 21 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। लेकिन भाजपा ने नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के साथ गठबंधन करके बीरेन सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की। एनपीपी और एनपीएफ में चार विधायक हैं और एलजेपी के पास एक है।
एक निर्दलीय विधायक और एक टीएमसी विधायक ने भी मणिपुर में भाजपा का समर्थन किया था, लेकिन नवीनतम विकास के अनुसार, एनपीपी ने बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया है, बिरेन सिंह की सीएम की कुर्सी को खतरे में डाल दिया है। टीएमसी के साथ-साथ निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा सरकार से अपना समर्थन खींच लिया है और भाजपा के तीन विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है। इससे भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन की संख्या 23 हो गई।
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