बीजेपी ने बदली मां-बेटे की सीट, मेनका सुल्तानपुर और वरुण पीलीभीत से लड़ेंगे चुनाव
नई दिल्ली- बीजेपी की ओर से यूपी के लिए जारी उम्मीदवारों की नई लिस्ट में सबसे चौंकाने वाला नाम केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी का है। दोनों भाजपा के मौजूदा सांसद हैं, लेकिन दोनों की ही वो सीटें इस बार आपस में बदल दी गई हैं, जिनपर 2014 में उन्हें कामयाबी मिली थी।
मेनका और वरुण की सीटों की अदला-बदली
बीजेपी की ओर से जारी लिस्ट के मुताबिक वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी इसबार पीलीभीत की जगह बेटे वरुण गांधी की लोकसभा सीट सुल्तानपुर से चुनाव लड़ेंगी। जबकि इसके ठीक उलट वरुण गांधी अपनी मां के चुनाव क्षेत्र पीलीभीत से चुनाव मैदान में उतरेंगे। गौरतलब है कि सुल्तानपुर सीट अमेठी से सटी हुई है, जहां पिछली बार राहुल गांधी के चचेरे भाई वरुण ने कांग्रेस की धाकड़ उम्मीदवार अमिता सिंह को पराजित किया था। वरुण गांधी पहली बार 2009 में पीलीभीत से ही चुनाव जीते थे और तब उनकी मां पीलीभीत से सटी आंवला लोकसभा क्षेत्र में शिफ्ट कर गई थीं।
सीट बदलने का कारण?
एनडीटीवी की खबरों के मुताबिक मां-बेटे में सीटों की अदला-बदली के पीछे का आइडिया खुद मेनका गांधी का है। क्योंकि, बीजेपी इस बार अपने 38 वर्षीय युवा सांसद वरुण के लिए सुल्तानपुर में जीत की संभावना को लेकर आशंकित नजर आ रही थी। ये भी माना जा रहा है कि पार्टी इस चुनाव में जीतने लायक सीटों पर किसी भी तरह का जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं है और इस फैसले के पीछे भी यही वजह हो सकती है।
दोनों के लिए नई चुनौती
मेनका 1989 से 6 बार पीलीभीत संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं और वरुण गांधी पहली बार 2009 में वहीं से चुनाव लड़े थे। लेकिन, बाद में वरुण ने अपनी सीट बदल ली और मेनका फिर से अपनी पुरानी सीट से चुनाव लड़ने लगीं। चर्चा है कि पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाने वाले विधानसभा क्षेत्र के कुछ विधायकों ने इस बार मेनका की उम्मीदवारी पर नाखुशी जताई थी। ऐसे में हो सकता है कि पार्टी दोनों की सीटें बदलकर सांसदों के खिलाफ मौजूद किसी भी तरह की एंटी इंकम्बेंसी से छुटकारा पाना चाह रही हो। क्योंकि, इससे पहले मेनका के हरियाणा में करनाल से भी चुनाव लड़ने की अटकलें थीं,जिससे लगता है कि शायद पार्टी उनके लिए पीलीभीत को सेफ सीट नहीं मान रही थी।
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