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विदेश गए नौकरी करने, पर वापस लौटा एक किडनी के साथ, रिक्शा चलाने को मजबूर

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चेन्नई। विदेश में नौकरी करने का हर किसी का सपना होता है, लेकिन विदेश में नौकरी करने से पहले अगर कंपनी के बारे में बेहतर जानकारी नहीं और आपको विदेश में नौकरी करने जाने से पहले तमाम नियम व कानून की जानकारी नहीं है तो यह आपके लिए काफी महंगा पड़ सकता है। तमिलनाड़ के याशीर बाशा के साथ जो कुछ हुआ वह हर किसी की आंख खोलने के लिए काफी है जो विदेश में एक बेहतर नौकरी का सपना संजोकर जाते हैं।

बच्चों की याद आती है

बच्चों की याद आती है

तमिलनाड़ के वेल्लोर के गांव में रहने वाले याशीर बाशा की उम्र 29 वर्ष है, अब वह अपनी पत्नी व दो बच्चो से दूर अकेले जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। अपनी आपबीती बताते हुए याशीर ने बताया कि मुझे इस बात की चिंता होती है कि मेरी पत्नी को इस बात की जानकारी मिल जाएगी की अब मेरे पास दो किडनी नहीं है, मुझे अपने बच्चों की याद आती है, लेकिन यह अच्छा है कि मेरी पत्नी को मेरे बारे में अभी कुछ पता नहीं है। वह कहते हैं कि जब मैं कायरो गया था तो मेरे पास दो किडनी थी लेकिन भारत वापस आने के बाद मेरे पास सिर्फ एक ही किडनी बची है।

उबर कार चलाने की नौकरी का दिया झांसा

उबर कार चलाने की नौकरी का दिया झांसा

याशीर छह साल के बेटे के पिता हैं और उनकी तीन साल की एक बेटी भी है। दरअसल याशीर की एक किडनी अब उनके पास नहीं है और उन्होंने अपनी एक किडनी को बेच दिया है, लेकिन उन्हे इस बात की जानकारी नहीं है कि वह भी अब इंटरनेशनल किडनी रैकेट को अपनी किडनी बेचने के आरोपी हैं, उन्होंने अपनी बायीं किडनी को मलाड में रहने वाले पंकज राव को बेच दी है। उनका कहना है कि जब वह कायरो गए तो उन्हें किडनी देने के लिए धमकी दी गई, उन्हें कायरो यह कहकर भेजा गया था कि उन्हें वहां उबर कार चलाने की नौकरी मिल जाएगी। हालांकि यशीर यह कहते हैं कि उन्हे धोखे में रखा गया और धोखे सेही उनकी किडनी को निकाला गया है।

कर्ज अधिक होने की वजह से गया था मुंबई

कर्ज अधिक होने की वजह से गया था मुंबई

याशीर ने बताया कि मुझे 99 फीसदी इस बारे में नहीं पता था कि मेरे साथ धोखा होने जा रहा है, मुझे सिर्फ एक फीसदी ही पैसे का लालच था। वह अपने परिवार को चलाने के लिए अब अपने ही गांव में रिक्शा चलाते हैं। याशीर की पत्नी का जब 2011 में एक्सिडेंट हुआ था तो उन्होंने अपने दोस्तों से सात लाख रुपए का उधार लिया था, उनका कहना है कि यह कर्ज उतारने के लिए रिक्शा चलाकर आने वाली कमाई पर्याप्त नहीं है। इसी वजह से वह 2014 में मुंबई चले गए और कैब चलाने लगे।

कायरो पहुंचने पर निकाल ली किडनी

ड्राइविंग से जब पर्याप्त पैसे नहीं मिले तो याशीर ने दूसरी नौकरी ढूंढनी शुरू की, उन्होंने इंटरनेट पर नौकरी की तलााश शुरू की। इंटरनेट पर ही उन्हें अहमदाबाद की शिक्षा कंसल्टेंसी के बारे में पता चला, जिसे सुरेश प्रजापति नाम का व्यक्ति चलाता है। यशीर बताते हैं कि वह पहली बार जून माह में अहमदाबाद गए और यहां उन्हें आकाश लॉज में ठहराया गया। लेकिन मुझसे वहां अपना खून का सैंपल देने के लिए कहा गया, जब इस बारे में मैंने पूछा तो विदेश में नौकरी के लिए हेल्थ फिटनेस सर्टिफिकेट की जरूरत होती है। यशीर को 15 जून को कायरो भेज दिया गया, जहां उन्हें मधु नाम का व्यक्ति लेने आया और एक अपार्टमेंट में लेकर गया, जहां पहले से ही पांच लोग रह रहे थे। अगले दिन यशीर क नाइल बद्रावी हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसकी तमाम ब्लड व अन्य जांच हुई।

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English summary
Man went to foreign for a job returned with single kidney. His one kidney was taken in Cairo by a kidney racket.
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