तीन तेंदुआ-एक नन्हा सा पिल्ला और ऐसे लिया कुत्ते की मौत का खौफनाक इंतकाम
नई दिल्ली- उत्तराखंड में एक ऐसी कहानी सामने आई है, जिसपर पहली बार में यकीन करना बहुत मुश्किल है। लेकिन, पूरी कहानी बताने से पहले इसके 6 किरदारों को जान लीजिए। इन किरदारों में 3 तेंदुआ, एक कुत्ता, कुत्ते का एक पिल्ला और पति-पत्नी शामिल हैं। इस कहानी के पहले चार किरदारों की अब मौत हो चुकी है। पांचवा किरदार सुखपाल सलाखों के पीछे पहुंचाया जा चुका है और उसकी बीवी पति की रिहाई के लिए कोर्ट और वन विभाग के चक्कर काट रही है।
कहानी कहां से शुरू हई?
पिछले हफ्ते उत्तराखंड में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों में एक सूचना पाते ही खलबली मच गई। उन्हें एकसाथ तीन अलग-अलग इलाकों से तीन तेंदुए के शव संदिग्ध हालात में पाए जाने की खबर मिली। इन तीन इलाकों में कई किलो मीटर का फासला है। पहला तेंदुआ हरिद्वार में मिला, दूसरा पॉपुलर टूरिस्ट स्पॉट लैंसडाउन में मिला और तीसरा राजाजी नेशनल पार्क के फॉरेस्ट डिविजन में मिला। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि एक साथ तीन-तीन तेंदुओं की मौत आखिर कैसे हुई। तभी उन्हें शक हुआ कि जरूर तीनों तेंदुओं की मौत के बीच कोई न कोई कड़ी मिलती है। बस उन्होंने छानबीन शुरू कर दी।
तेंदुए की मौत की गुत्थी कैसे सुलझी?
जब वन विभाग वाले तीनों तेंदुए को पोस्टमॉर्टम कराने ले गए तो पता चला कि उनकी आंत में कुत्ते के एक पिल्ले की हड्डियां और बाल मौजूद हैं। एक्सपर्ट ने ये भी पता कर लिया कि तीनों तेंदुए ने एक ही पिल्ले का मांस खाया है। जांच में ये भी खुलासा हुआ कि तीनों की मौत एक कीटनाशक से हुई है। इस गहराती हुई गुत्थी को सुलझाने का जिम्मा लैंसडाउन फॉरेस्ट डिविजन के अधिकारियों को मिला। लैंसडाउन के डीएफओ वैभव सिंह ने बताया कि, "लैंसडाउन फॉरेस्ट डिविजनके वाइल्डलाइफ स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप ने केस को सुलझा लिया और पाया कि जो कीटनासक जंगल की नर्सरी में इस्तेमाल होता है, वही तेंदुओं को जहर के रूप में दिया गया है।" तभी वन विभाग के एक अधिकारी को शक हुआ कि यह जरूर बदले की कार्रवाई है। क्योंकि, पिल्ले को जो जहर देकर तेंदुओं को मारा गया है, वह किलर 505 कीटनाशक सिर्फ वहीं के नर्सरी में इस्तेमाल होता है।
कैसे रची खौफनाक बदले की साजिश
जब जांचकर्ताओं ने संदेह के आधार लालधांग गांव एक व्यक्ति को गिरफ्तार करके पूछताछ शुरू की तो सबके होश उड़ गए। पता चला कि सुखपाल नाम के उस शख्स के पास दो कुत्ते थे। एक कुत्ते को तेंदुए शिवालिक रेंज के जंगलों में लेकर चले गए थे। कुछ दिनों बाद कुत्ते के पिल्ले पर भी उन्होंने हमला कर दिया था। इस हमले में कुत्ते का पिल्ला बुरी तरह जख्मी हो गया। उसने उसे बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह भी मर गया। उसके बाद उसके दिमाग में वह खौफनाक साजिश पैदा हुई, जिसके बारे में खुद राजाजी नेशनल पार्क के डायरेक्टर पीके पैट्रो ने बताया है। उनके मुताबिक, "जब पिल्ला भी मर गया तो उसने उसके शव पर कीटनाशक छिड़क दिया और उसे जंगल के भीतर फेंक दिया।" तीनों तेंदुए पिल्ले के उसी जहरीले शव को खा गए, जिससे उनकी मौत हो गई।
12 दिन की न्यायिक हिरासत में आरोपी
आरोपी सुखपाल ने अपना गुनाह कबूल लिया है। जांच में यह भी खुलासा हो चुका है कि सुखपाल की पत्नी वन विभाग की ही एक नर्सरी में ठेके पर मजदूरी करती है। हो सकता है कि उसी के माध्यम से उसने कीटनाशक हासिल कर लिया हो। जांचकर्ता भी उसी की पत्नी के जरिए ही आरोपी तक पहुंचे हैं। उसे बुधवार को मैजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां से उसे आगे की जांच के लिए 12 दिन की न्यायिक हिरासत में विन विभाग को सौंप दिया गया है। वन विभाग अब इस बात की पड़ताल कर रहा है कि कहीं इस मामले का वन्य जीव के अवैध शिकार से कोई तार तो नहीं जुड़ता है।
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