कोरोना संक्रमित होने पर युवक को पता चला 18 पुरानी बीमारी का राज, बचपन में की थी ये गलती
कोच्चि, जुलाई 30: कई बार बचपन में की गई गलतियां लंबे समय तक नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसी ही एक घटना के शिकार 32 साल के सूरज हो गए थे। जब वे 18 साल के थे। उन्होंने नौवीं कक्षा में पढ़ते समय गलती से कलम की निब को निगल लिया था। जो उनके फेंफड़ों में फंस गई थी। जिसे डॉक्टरों ने हाल ही में उसे निकाला दिया है। निब के चलते वे सालों तक अस्थमा जैसी बीमारी से पीड़ित रहे।
स्कूल में हुई गलती के चलते 18 साल तक झेली कई बीमारियां
न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह घटना 2003 की है, जब अलुवा के रहने वाले सूरज ने पेन से सीटी बजाते समय गलती से निब निगल ली थी। उसी दिन उन्हें कोच्चि के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया जहां उनका एक्स-रे किया गया। हालांकि, एक्स-रे में कुछ भी असामान्य नहीं दिखा। उसके फेफड़ों के अंदर किसी बाहरी वस्तु की उपस्थिति का पता नहीं चल सका। इसके बाद उनके घर वालों ने मान लिया कि पेन का निब पेट से निकल गया है।
कोरोना संक्रमित होने पर खुला राज
हालांकि सूरज को कुछ समय फेफड़ों से संबंधित बीमारियों ने जकड़ लिया। जिसमें पुरानी खांसी और सांस लेने में तकलीफ शामिल थी।सूरज यह सोचकर विभिन्न अस्पतालों में इलाज करवाते रहे कि यह परेशानी उन्हें अस्थमा के कारण हो रही थी। लेकिन पिचले साल दिसंबर में सूरज कोरोना संक्रमित हो गए।उनकी स्थिति काफी बिगड़ गई। लगातार खांसी और सांस लेने में तकलीफ के कारण, उन्होंने कोच्चि के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया।
सीटी स्कैन में पता चली गड़बड़ी
कोरोना की स्थिति का पता लगाने के लिए डॉक्टरों ने उनकी छाती का सीटी स्कैन किया। सीटी स्कैन में उनके दाहिने फेफड़े के निचले हिस्से में एक लोहे जैसी चीज दिखी। आगे के इलाज के लिए उन्हें अमृता अस्पताल रेफर कर दिया गया। अमृता में डॉक्टरों द्वारा बिना सर्जरी किए पेन की निब को हटा दिया। निब को दाहिने फेफड़े के निचले हिस्से में फंसा पाया गया था। निब को जटिल कठोर ब्रोंकोस्कोपिक प्रक्रिया के माध्यम से हटाया गया।
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मश्किल तकनीक का इस्तेमाल कर निकाला गया निब
डॉक्टर ने बताया कि, चूंकि निब पिछले 18 वर्षों से फेफड़ों में फंसा हुआ है, इसके ऊपर ऊतक का निर्माण हो गया था। संचित ऊतक को हटाना पहला और सबसे कठिन कार्य था। इसके बाद कठोर ब्रोंकोस्कोपी की गई। एक दिन ऑब्जर्वेशन में भर्ती रहने के बाद सूरज गुरुवार को अस्पताल से घर लौट आया। सूरज अब अधिक आराम से सांस ले रहे हैं। सूरज ने कहा, मैं पिछले 18 सालों से सांस और खांसी की गंभीर तकलीफ से पीड़ित था। मुझे राहत मिली है कि आखिरकार, अब मुझे इससे जुड़ी कोई और परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी।