केदारनाथ में जमील अहमद के साथ हुआ करिश्मा, तबाही में 6 साल पहले खो गई थी यादाश्त, नए साल पर मिली खुशी
केदारनाथ में आई तबाही में अपना सबकुछ खो चुके जमील अहमद के साथ नए साल पर कुदरत का वो करिश्मा हुआ, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी...
नई दिल्ली। छह साल पहले केदारनाथ धाम में आई महाप्रलय के निशान केदार घाटी में अभी भी मौजूद हैं। 16 जून 2013 को आई भयानक तबाही से केदार घाटी दहल गई और उस तबाही का आलम ऐसा था कि हर तरफ केवल लोगों की चीख-पुकार मची थी। लोग अपनों को, अपनी आंखों के सामने मौत के मुंह में समाते हुए देख रहे थे। इस तबाही में कुछ लोग ऐसे भी थे, जो अपनों से बिछड़ गए और जिनका आज कुछ पता नहीं चल पाया। ऐसा ही एक शख्स, जो केदारनाथ में आई तबाही में अपने परिवार से बिछड़ गया था और जिसकी याद्दाश्त इस हादसे में खो गई थी, बुधवार को अपने बच्चों के बीच पहुंच गया।
किसी करिश्मे से कम नहीं जमील अहमद की कहानी
इस शक्स का नाम है जमील अहमद अंसारी। जमील 2013 की केदारनाथ तबाही में अपने परिवार से बिछड़ गए थे। इसके बाद पुलिस के 'ऑपरेशन स्माइल' की मदद से जमील अपने बच्चों के बीच पहुंच पाए। हालांकि जमील की कहानी केवल इतनी ही नहीं है। उसकी पूरी कहानी को अगर कुदरत का करिश्मा कहा जाए तो गलत नहीं होगा। चमोली के एसपी यशवंत सिंह चौहान ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया, 'पेशे से मजदूर जमील अहमद उत्तराखंड में ही सितारगंज के रहने वाले हैं। जिस वक्त केदारनाथ धाम में तबाही आई, उस समय जमील पास के ही लंबागड़ इलाके में मजदूरी कर रहे थे।'
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नाम और घर का पता भूल चुके थे जमील
एसपी यशवंत सिंह चौहान ने आगे बताया, 'केदारनाथ की तबाही में जमील अहमद की याद्दाश्त आंशिक तौर पर खो गई और उनके परिवार से उनका संपर्क टूट गया। जमील अहमद अपना नाम और घर का पता दोनों भूल चुके थे। इसके बाद वो 6 साल तक गोपेश्वर के एक वृद्धा आश्रम में रहे। एक दिन अचानक जमील अहमद को अपनी जिंदगी की सारी बातें याद आ गई और उन्होंने वृद्धा आश्रम के अधिकारियों की इस बात की जानकारी दी। जमील अहमद ने बताया कि वो 2009 में सितारगंज से काम की तलाश में जोशीमठ आए थे और 2013 में जिस वक्त केदारनाथ में तबाही आई तो वो लंबागड़ में मजदूरी कर रहे थे।'
पुलिस ने सोशल मीडिया से खोजा जमील का परिवार
वृद्धा आश्रम के लोगों ने इस बात की जानकारी पुलिस को दी। इसके बाद चमौली पुलिस ने जमील अहमद के परिवार की तलाश शुरू कर दी। काफी खोजबीन के बाद जब जमील अहमद के परिवार का पता नहीं चला तो पुलिस ने सोशल मीडिया पर जमील अहमद के परिवार को तलाशने का अभियान चलाया। कुछ दिन की कोशिश के बाद पुलिस को जमील अहमद का परिवार मिल गया और नए साल के पहले दिन यानी 1 जनवरी को पुलिस ने जमील को उनके बच्चों से मिलाया। जमील को सही सलामत पाकर उनका परिवार बेहद खुश है। जमील के परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटी और दो बेटे हैं।
क्या हुआ था 16 जून को केदार घाटी में
आपको बता दें कि 16 जून 2013 को गांधी सरोवर के टूटने से आई जल प्रलय का वेग इतना प्रचंड था कि केदार घाटी और इसके आस-पास मौजूद कई मंजिला होटल और गेस्ट हाउस ताश के पत्तों की तरह बिखरकर बह गए थे। करीब 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 100 मीटर ऊंची पानी की लहरों में बड़ी-बड़ी चट्टानें थी। पानी में बहकर आए पत्थरों की चोट से केदारनाथ मंदिर के बाहर लगा लोहे का बैरिकेटर टेढ़ा हो गया और मंदिर का चबूतरा पूरी तरह धवस्त हो गया। प्रलय के उस भयावह वेग में सबकुछ तहस-नहस हो गया था। बताया जाता है कि इस हादसे में 12 हजार से ज्यादा लोग मारे गए। सरकारी आंकड़े 4000 से ज्यादा मौतों की गवाही देते हैं। त्रासदी के महीनों बाद केदारनाथ के आसपास के इलाकों से मिले कंकाल भी बताते हैं कि प्रलय का वो मंजर कितना भयानक था।
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