इस बाघ को सुनाई गई उम्रकैद की सजा, छिनी जंगल की आजादी, रहना होगा अकेले
नई दिल्ली। जंगल में किसी बाघ को देखना अपने आप में एक जबरदस्त अनुभव होता है, लेकिन जब वही बाघ आदमखोर हो जाए तो वह किसी भयानक सपने जैसा लगने लगता है। ऐसे में जंगल के अधिकारियों को आदमखोर जंगलों को मारने या फिर उन्हें हमेशा कैद में रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है। मध्य प्रदेश में एक बाघ पर आरोप है कि उसने तीन लोगों की जान ले ली, जिसके बाद अधिकारियों ने इस बाघ को उम्रकैद की सजा सुनाई है क्योंकि यह बाघ अब लोगों के लिए बेहद खतरनाक और जानलेवा है, लिहाजा इस बाघ को अब आजाद घूमने की इजाजत नहीं है।
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500 किलोमीटर दूर चला गया था
इस बाघ पर आरोप है कि उसने मवेशियों पर भी हमला कर दिया था। यही नहीं वह 2018 जंगल की सीमा के बाहर पश्चिमी महाराष्ट्र के बैतूल जिले तक पैदल यात्रा करते हुए पहुंच गया था, जोकि मध्य प्रदेश से तकरीबन 500 किलोमीटर दूर है। मध्य प्रदेश के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन एसके मंडल ने बताया कि हमने बाघ को कई मौके दिए ताकि वह अपनी आदत में सुधार करे, लेकिन बावजूद इसके वह बार-बार इंसानों के बीच जाने से बाज नहीं आ रहा था। ऐसे में हमारे पास एकमात्र विकल्प है कि इस बाघ को अकेले कैद में रखा जाए, इससे ना सिर्फ इंसानों बल्कि बाघ की जान को भी खतरा नहीं होगा।
इंसानों और मवेशियों पर करता था हमला
इस बाघ को कुछ स्थानीय मीडिया ने आवारा, खानाबदोश करार दिया था। जब यह बाघ दिसंबर 2018 में तकरीबन दो महीने तक पैदल यात्रा पर निकला था तो उसे दो महीने के लिए कैद में रखा गया था। बाघ के गले में ट्रैकिंग कॉलर बेल्ट पहनाई गई थी, उसे टाइगर रिजर्व और राष्ट्रीय उद्यान के बीच ही रखा जाता था। लेकिन बार-बार वह इंसानों के बीच पहुच जाता था, मवेशियों पर हमला करता था और इंसानों की जान भी खतरे में डालता था। जिसके बाद आखिरकार जंगल के अधिकारियों ने इस बाघ को इंजेक्शन देकर बेहोश किया और शनिवार को भोपाल के एक चिड़ियाघर में भेज दिया।
पहले ही लिया जा चुका था फैसला
एक अधिकारी ने बताया कि इस बाघ को कैद करने का फैसला पहले ही लिया जा चुका था, लेकिन कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन हो गया था, जिसकी वजह से इसे टाल दिया गया था। भोपाल वन विहार नेशनल पार्क की डायरेक्ट्र कमलिका मोहंता का कहना है कि नए माहौल में बाघ को ढलने मे थोड़ा समय लगेगा, हम इसके बर्ताव पर नजर रखेंगे। फिलहाल बाघ को अकेले रखा जाएगा। बाघ को चिड़ियाघर में लोगों के देखने के लिए रखा जाए या फिर उसे सफारी में फेजा जाए, इसपर बाद में फैसला लिया जाएगा।
इंसानों-बाघों के बीच टकराव
बता दें कि जिस तरह से लोगों की आबादी लगातार बढ़ रही है, उसकी वजह से जंगल का क्षेत्रफल भी कम हो रहा है, यही वजह है कि बाघों और इंसानों के बीच लगातार टकराव बना रहता है। आंकड़ों के अनुसार 2014-2019 तक कुल 225 लोगों की बाघ हमले में मौत हो चुकी है। जबकि 2012-2018 के बीच 200 बाघों को या तो शिकारियों या फिर उन्हें जंगल के अधिकारियों द्वारा मार दिया गया है। दुनियाभर में कुल बाघों की 70 फीसदी आबादी भारत में रहती है। पिछले वर्ष सरकार द्वारा जो आंकड़े जारी किए गए हैं, उसके अनुसार भारत में कुल 2967 बाघ हैं, जोकि 2006 में 1411 थे।
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