2.41 लाख करोड़ के कर्ज को सरकार ने डाला NPA में, भड़कीं ममता
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स को लेकर अहम जानकारी संसद को दी है। वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ता ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में सरकार ने 2.41 लाक करोड़ रुपए का कर्ज को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह कर्ज अप्रैल 2014 से सितंबर 2017 के बीच का है। राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए शुक्ला ने कहा कि यह एक नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसके तहत इस राशि को एनपीए में डाला गया है।
तीन साल का आंकड़ा
शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि बैंक अपनी बैलेंस शीट को सही रखने के लिए अक्सर यह करती हैं। ग्लोबल ऑपरेशन पर आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार सरकारी बैंकों नो 2014 से 2017 के बीच कुल 241911 करोड़ रुपए के कर्ज को एनपीए में डाल दिया है। इस राशि की वसूली अब निर्धारित कानून के तहत की जा रही है, लिहाजा कर्ज लेने वालों को इसका कोई फायदा नहीं होगा।
नाम नहीं उजागर
इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने साफ किया है कि वह कर्जदारों के बारे में ऐसा कोई भी ब्योरा उपलब्ध नहीं है जिससे कि इन कर्जदारों के नाम का खुलासा किया जा सके। उन्होंने बताया किक आरबीआई अधिनियम के तहत कर्जदारों के बारे में बैंकों की यह जानकारी गोपनीय है। गौरतलब है कि देश के तमाम बैंक पिछले कुछ सालों से एनपीए की समस्या से जूझ रहे हैं, लगातार बैंकों पर एनपीए का बोझ बढ़ा है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 21 सरकारी बैंकों मे कुल 8.26 लाख करोड़ रुपए का एनपीए हैं।
ममता ने बोला हमला
वहीं जिस तरह से इन बैंकों का एनपीए सामने आया है और सरकार ने नए लोन देने से इनकार किया है, उसपर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जमकर हमला बोला है। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि मैं यह देखकर हैरान हूं कि आखिर सरकार यह कदम कैसे उठा सकती है। एक तरफ जहां किसान आत्महत्या को मजबूर हैं और सरकार से मदद की मांग कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकार किसानों के कर्ज माफी पर विचार भी नहीं करना चाहती है।