इंटरनेशनल डे फॉर एक्सेस टू इनफॉर्मेशन पर ममता का मोदी सरकार पर निशाना, केंद्र के पास कोई डाटा ही नहीं
इंटरनेशनल डे फॉर एक्सेस टू इनफॉर्मेशन'
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में खत्म हुए मानसून सत्र में केंद्र के कई अहम सवालों पर डाटा ना होने की बात कहने को लेकर निशाना साधा है। ममता बनर्जी ने कहा है कि कोरोना से मरने वाले डॉक्टरों और घर लौटते हुए मजदूरों की मौत के बारे में केंद्र को जानकारी ना होना चौंकाने वाला है। सोमवाार को 'इंटरनेशनल डे फॉर यूनिवर्सल एक्सेस टू इनफॉर्मेशन' के मौके पर ट्वीट कर उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना की है।
सरकार को जवाबदेह होना चाहिए
ममता बनर्जी ने कहा, आज 'इंटरनेशनल डे फॉर यूनिवर्सल एक्सेस टू इनफॉर्मेशन' है। सरकार को लोगों को प्रति जवाबदेह होना चाहिए। हाल ही में मानसून सत्र में हमने देखा कि केंद्र सरकार ने ज्यादातर सवालों के जवाब में कहा कि उसके पास कोई डेटा उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक को सूचना का अधिकार है लेकिन ये सरकार लोगों के प्रति जवाबदेही से बच रही है।
सरकार के पास कई मामलों में डाटा नहीं
केंद्र सरकार ने हालिया सत्र में संसद में कहा है कि उसके पास ऐसा कोई डाटा उपलब्ध नहीं है जो बता सके कि देश में कितने स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं। या फिर कितनों की मौत हुई है, अभी ये डाटा उनके पास नहीं है। सरकार ने लॉकडाउन में कितने प्रवासी मजदूरों की मौत हुई है, ऐसे डाटा के भी ना उपलब्ध होने की बात कही है। इसको लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर है।
कांग्रेस ने भी उठाए हैं सवाल
कोरोना से डॉक्टरों की मौत तक का आंकड़ा ना होने को लेकर कांग्रेस ने भी सरकार पर सवल उठाए हैं। हाल ही में राहुल गांधी ने कहा था कि ये कोरोना से लड़ रहे डॉक्टरों का अपमान है कि सरकार उनका रिकॉर्ड तक नहीं रख रही, जो जान दे रहे हैं। वहीं कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा था, प्रवासी मजदूरों से संबंधित कोई डाटा नहीं, किसानों की आत्महत्या का कोई डाटा नहीं, राजस्व संबंधी कोई डाटा नहीं, कोविड से हुई मौतों का संदिग्ध डाटा, जीडीपी वृद्धि पर भी स्पष्ट डाटा नहीं, इस सरकार में एनडीए मतलब नो डाटा अवेलेबल हो गया है।
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