गुजराती में JEE परीक्षा पर ममता ने उठाए सवाल, NTA ने दिया ये जवाब
नई दिल्ली। ज्वाइंट एंट्रेस एग्जामिनेशन (जेईई मेन) परीक्षा को लेकर विवाद शुरू हो गया है। ममता बनर्जी ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है और परीक्षा की भाषा को लेकर मोदी सरकार से सवाल पूछे हैं। बता दें कि, जेईई मेन परीक्षा का आयोजन हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में किया जाता रहा है। वहीं अब अगले साल से होने वाली जेईई मेन परीक्षा में हिंदी- अंग्रेजी के साथ गुजराती भाषा को वैकल्पिक भाषा के तौर पर शामिल किया जाएगा। वहीं ममता ने एनआरसी के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि, इसके विरोध में पार्टी 11 नंबवर को प्रदर्शन करेगी।
'मुझे गुजराती भाषा पसंद है, लेकिन अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को नजरअंदाज क्यों किया गया'
इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आपत्ति जताई है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मुझे गुजराती भाषा पसंद है, लेकिन अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को नजरअंदाज क्यों किया गया। यदि जेईई मेन की परीक्षा गुजराती में हो रही है तो फिर बांग्ला समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी होनी चाहिए। उन्होंने ट्वीट कर लिखा आश्चर्य की बात है जेईई मेन की परीक्षा हिंदी और अंग्रेजी में होती है, वहीं विकल्प के तौर पर परीक्षा में केवल गुजराती भाषा को जोड़ा गया। ये कदम सराहनीय नहीं है।
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सभी मुख्य क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता देना चाहिए: ममता
उन्होंने कहा हमारा देश भारत बहुत सारे धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं, पंथों और समुदायों का घर है, हालांकि, सभी क्षेत्रों और क्षेत्रीय भाषाओं की छवि खराब करना केंद्र में सरकार की मंशा है। उन्होंने लिखा ऐसा करना ठीक नहीं है, क्योंकि बाद में इस मुद्दे पर जोरदार विरोध प्रदर्शन हो सकता है, क्योंकि इस कारण अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को बोलने वाले लोगों की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचेगी। भाजपा के राज्यसभा सांसद स्वपन दासगुप्ता ने भी क्षेत्रीय भाषा में केवल गुजराती को शामिल करने का विरोध किया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि सभी मुख्य क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता देना चाहिए।
एनटीए ने ममता को दिया जवाब
ममता द्वारा सवाल उठाए जाने के बाद नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि गुजरात ने हमसे अनुरोध किया था इसलिए गुजराती में प्रश्नपत्र उपलब्ध करने की व्यवस्था है। बाकी के राज्यों ने इस संबंध में हमसे कोई संपर्क नहीं किया है। 2013 में सभी राज्यों को अनुरोध भेजा गया था। सिर्फ गुजरात ही अपने इंजिनियरिंग कॉलेजों में स्टूडेंट्स को जेईई(मेन) के जरिए दाखिला दिलवाने के लिए तैयार हुआ और उसने साथ में अपील की थी कि प्रश्नपत्र गुजराती भाषा में उपलब्ध होना चाहिए। एनटीए ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा, 'इसके बाद 2014 में महाराष्ट्र भी अपने कैंडिडेट को राज्य इंजिनियरिंग कॉलेज में जेईई (मेन) के जरिए दाखिला दिलाने के लिए तैयार हुआ। महाराष्ट्र ने प्रवेश परीक्षा का पेपर उर्दू और मराठी में भी उपलब्ध कराने की अपील की थी। इसने बताया कि 2016 में दोनों राज्यों ने जेईई (मेन) के जरिए प्रवेश दिलाने के फैसला रद्दा कर दिया। इसके बाद मराठी और उर्दू में प्रश्नपत्र का अनुवाद बंद कर दिया गया। हालांकि, गुजरात सरकार के अनुरोध पर जेईई (मेन) के टेस्ट पेपर का गुजराती में अनुवाद जारी रहा।
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