एडीआर का सर्वे पश्चिम बंगाल में बढ़ा सकता है ममता सरकार की मुश्किलें, चौंकाने वाले नतीजे आए सामने
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में अब कुछ दिनों का वक्त बचा है। इसी बीच सामने आया एक सर्वे पश्चिम बंगाल में ममता सरकार की मुश्किलें खड़ी कर सकता है। राजनीतिक सुधारों की दिशा में काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने पश्चिम बंगाल में एक सर्वे किया है जिसमें तीन प्रमुख मुद्दों पर मतदाताओं ने पश्चिम बंगाल सरकार ने शासन से जुड़े लगभग सभी मुद्दों पर खराब प्रदर्शन किया है। इसमें मुख्यत: रोजगार के बेहतर मौके देना और कृषि कर्ज की उपलब्धता शामिल है। इस रिपोर्ट ममता बनर्जी के नतीजे आगामी चुनाव में ममता के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
ममता सरकार का काम औसत से कम: सर्वे
एडीआर ने अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 के बीच यह सर्वे किया था। इस रिपोर्ट में जनता से जुड़े दस अहम मुद्दों के आधार पर सरकार के काम-काज का परीक्षण किया गया था। पश्चिम बंगाल सर्वेक्षण रिपोर्ट 2018 में शामिल लोगों ने बेहतर रोजगार के अवसरों के लिए राज्य सरकार के प्रदर्शन को पांच अंक में से 2.16 अंक, कृषि ऋण उपलब्धता में 2.26 अंक और कृषि उत्पादों के लिए उच्च मूल्य वसूली में 2.22 अंक दिए हैं। इन तीन मुद्दों पर राज्य सरकार का प्रदर्शन औसत से भी कम रहा बता दें कि रिपोर्ट में तीन केटगरी 'अच्छा, औसत और बुरा' का उपयोग किया गया था। जिसमें अच्छे के लिए पांच अंक, औसत को 3 और बुरे के लिए 1 अंक निर्धारित किया गया था।
बंगाल में ममता वोटरों के बीच प्रमुख चेहरा
यह सर्वेक्षण की रिपोर्ट उस दिन जारी की गई है जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक चुनावी रैली में कहा है कि राज्य सरकार को कन्याश्री कार्यक्रम के तहत संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार मिला है। इस योजना को 2012 में शुरू किया गया था जिसका मकसद लड़कियों की शिक्षा में योगदान देना है। एडीआर ने सर्वेक्षण में पश्चिम बंगाल की सभी 42 संसदीय क्षेत्रों से करीब 21 हजार लोगों से बात कर यह रिपोर्ट जारी की है। राज्य में मतदान व्यवहार पर किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक, बड़ी संख्या में मतदाताओं ने कहा कि चुनाव में किसी प्रत्याशी को मत देने का सबसे अहम कारण मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार था।
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प्रमुख मुद्दों पर विफल रही है बंगाल सरकार : एडीआर
रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि, 38 फीसदी मतदाताओं का मानना था कि पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के चेहरे पर वोट देना अहम कारण था। जबकि 46 प्रतिशत के लिए यह 'बेहद अहम कारण था। वहीं पश्चिम बंगाल के शहरी मतदाताओं में प्रमुख मुद्दों में 45 फीसदी लोगों रोजगार के अवसर को अहम मुद्दा मानते हैं, तो वहीं 39 प्रतिशत लोग जल और वायु प्रदूषण और यातायात की भीड़ को शहर का प्रमुख मुद्दा मानते हैं।
एडीआर ने ऑल इंडिया स्तर पर भी किया सर्वे
इसके अलावा एडीआर ने ऑल इंडिया स्तर पर भी सर्वे किया है। सर्वे देश की 534 संसदीय सीटों पर किया गया। जिसमें 2.37 लाख से अधिक लोगों की राय ली गई। सर्वें में जनता ने रोजगार को प्राथमिकता से रखा। जनता ने रोजगार को 46.80 प्रतिशत के साथ शीर्ष स्थान पर रखा,दूसरे नंबर पर 34.60 प्रतिशत के साथ बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता बताया,इसके बाद पेयजल(30.50 %), अच्छी सड़कें(28.34%), बेहतर परिवहन(27.35%), खेती के लिए पानी(26.40%), कृषि लोन(25.62%), कृषि उत्पादों का अधिकतम मूल्य(25.41%), बीज और उर्वरकों पर सब्सिडी(25.06%), सुदृढ़ कानून व्यवस्था(23.95%) को जनता ने अपनी प्राथमिकता बताई।
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