ग्रेनेड हादसे में दोनों हाथ खोने वाली लड़की के लिए डॉक्टरों की गलती बनी वरदान, कर दिया ये कारनामा
नई दिल्ली। सिर्फ 13 साल की उम्र में एक ग्रेनेड धमाके में अपने दोनों हाथ खो देने वाली मालविका अय्यर आज हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। छोटी-छोटी बाधाओं के देखकर हार मानने वाले के लिए वे एक आइडियल हैं। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित मालविका अय्यर अंतरराष्ट्रीय मोटिवेशनल स्पीकर और डिसएबिलिटी एक्टिविस्ट हैं। सिर्फ 13 साल की उम्र में उन्होंने एक ग्रेनेड धमाके में अपने दो हाथ खो दिए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वो जिंदगी का ये मुकाम हासिल किया।
जन्मदिन पर शेयर की अपनी खास स्टोरी
सोशल वर्क में पीएचडी के साथ फैशन मॉडल के तौर पर जानी जाने वाली 30 साल की मालविका ने मंगलवार को अपने जन्मदिन पर उन्होंने उस भाषण के हिस्से ट्विटर पर शेयर कर अपनी जिंदगी के मुश्किल हालात के बारे में बताया। उनका ये ट्वीट काफी वायरल हो रहा है। मालविका ने लिखा कि, हैप्पी बर्थडे टू मी...जब बम ने मेरे हाथों को उड़ा दिया, तो डॉक्टरों ने मेरी जान बचाने के लिए बहुत कोशिश की। इसलिए उन्होंने मेरे दाहिने हाथ को पीछे करके कुछ सर्जिकल गलतियां कीं। दरअसल डॉक्टर की गलती का मतलब था कि उनके हाथ की नुकीली हड्डी मांस से ढंकी न होकर उभरी हुई रह गई।
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डॉक्टर की गलती बनी वरदान
मालविका लिखती हैं कि, 'स्टंप में एक हड्डी होती है, जो किसी मांस से नहीं ढकी होती है। अगर मैं किसी चीज पर हाथ मारती हूं, तो बहुत दर्द होता है। मालविका ने लिखा, 'लेकिन वह गलती बहुत अविश्वसनीय साबित हुई है। वह हड्डी अब मेरी एकमात्र उंगली की तरह काम करती है। यही कारण है कि मैं टाइप कर पाती हूं। अपनी ट्वीट में आगे मालविका ने यह भी लिखा कि हर बादल में एक चांदनी छुपी होती है और उनकी यह जीवन भी कुछ उसी तरह का है।
हाल ही में पूरी की थीसिस
मालविका कहती हैं, मैंने इच्छाशक्ति से दिव्यांगता के सदमे पर विजय पाई। छोटी-छोटी चीजों में खुशी ढूंढना ही उनकी सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने लिखा, मैंने अपनी पीएचडी थीसिस लिखने का जश्न मनाया और अब मैं अपनी वेबसाइट को साझा करने के लिए रोमांचित हूं, जिसे मैंने अपनी बहुत ही असाधारण उंगली के साथ बनाया है। उन्होंने अपनी इस थीसिस का लिंक भी अपनी वेबसाइट पर शेयर किया है।
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