आलोक वर्मा को हटाए जाने पर बोले खड़गे, नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं
नई दिल्ली। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि उन्होंने किसी भी तरह सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा का बचाव नहीं किया बल्कि सिर्फ सही प्रक्रिया अपनाने को कहा। खड़गे ने कहा, मैं चाहता था कि जो भी फैसला हो कानून के दायरे में हो लेकिन ऐसा नहीं किया गया, इस पूरी प्रक्रिया में नियमो की अनदेखी की गई। भाजपा ने खड़गे की ये कहते हुए आलोचना की है कि भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद खड़गे आलोक वर्मा को पद पर बनाए रखना चाहते थे।
खड़गे ने कहा, एक मीटिंग तक बुलाए बिना निदेशक को हटा दिया गया। जब बैठक बुलाई गई तो सभी कागजात नहीं पेश किए गए। सीवीसी की रिपोर्ट पर फैसला लिया गया। जस्टिस पटनायक की रिपोर्ट की शामिल ही नहीं किया गया। मैं वर्मा का बचाव नहीं कर रहा हूं। यहां सवाल किसी अधिकारी के चयन या उसके हटाने की सही प्रक्रिया का है। दोनों पक्षों को सुना जाता तो बेहतर होता सिर्फ एक पक्ष को सुनकर फैसला ले लिया गया। खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार के पास इसके लिए कोई नैतिक अधिकार नहीं है। वो गलत काम कर रहे हैं और संस्था को नष्ट कर रहे हैं।
खड़गे उस तीन दिवसीय सेलेक्शन पैनल का हिस्सा थे, जिसने गुरुवार को आलोक वर्मा को उनके पद से हटाने का फैसला किया था। खड़गे ने वर्मा को पद पर बनाए रखने के पक्ष में मत दिया था जबकि समिति के हेड नरेंद्र मोदी और जस्टिस एके सीकरी ने उनको हटाने का फैसला सुनाया।
सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के एक-दूसरे पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाने के बाद केंद्र सरकार ने ढाई महीने पहले दोनों को जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। वर्मा इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने 77 दिन बाद 8 जनवरी को वर्मा को पद पर बहाल करने का आदेश दिया था। इसके दो दिन बाद 10 जनवरी को नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले सेलेक्शन पैनल ने वर्मा को हटा दिया। इसके बाद वर्मा ने अपनी सेवा से इस्तीफा दे दिया।
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