मालेगांव ब्लास्ट: साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपियों को हफ्ते में एक बार NIA कोर्ट में पेश होने का आदेश
मालेगांव केस के आरोपियों को हफ्ते में एक बार कोर्ट में पेश होने का आदेश
नई दिल्ली। मुंबई की स्पेशल एनआईए कोर्ट ने मालेगांव 2008 ब्लास्ट केस (Malegaon 2008 blast case) में सभी आरोपियों को हफ्ते में एक बार अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कर्नल पुरोहित और बीजेपी नेता प्रज्ञा ठाकुर समेत अन्य आरोपियों को हफ्ते में एक बार पेश होने का आदेश दिया है। अदालत ने कोर्ट रूम में आरोपियों की अनुपस्थिति पर नाराजगी जताई। इस मामले में अगली सुनवाई 20 मई को होगी।
भोपाल से भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर 2008 के मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी हैं। उस धमाके में 6 लोग मारे गए थे। इस मामले में अभी उनके खिलाफ मुंबई की स्पेशल एनआईए कोर्ट में अनलॉफुल एक्टिविटिज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत कठोर धाराओं में मुकदमा चल रहा है। वो फिलहाल जमानत पर हैं। 13 अप्रैल, 2011 को यह केस केंद्र सरकार ने एनआईए (NIA) को सौंप दिया, जिसने 2016 में इसमें अपनी चार्जशीट दायर की।
एनआईए स्पेशल कोर्ट में चल रहा मामला
मालेगांव केस में एक बात अबतक दो एजेंसियों की जांच में सामने आई है कि धमाके में इस्तेमाल हुई बाइक उन्हीं के नाम पर रजिस्टर्ड थी। लेकिन, वो धमाके में या धमाके की साजिश रचने में शामिल थीं या नहीं इसपर कोर्ट में अभी ट्रायल चल रही है। अलबत्ता एनआईए (NIA) ने अपनी जांच में उन्हें क्लीन चिट दी हुई है। एनआईए ने कर्नल पुरोहित पर मुकदमा चलाने की बात तो कही, लेकिन यह भी जोड़ा की सबूत कमजोर हैं। उसने सभी आरोपियों से महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (MCOCA)के तहत आरोप हटा लिए और तत्कालीन एटीएस चीफ हेमंत करकरे की जांच को भी गलत बताया था।
जबकि एटीएस ने अपनी चार्जशीट में दो और आरोपियों मेजर रमेश उपाध्याय और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के बीच उनको लेकर हुई बातचीत को भी बड़ा सबूत माना था। एटीएस ने आरएसएस के एक सदस्य यशपाल भड़ाना के बयान को भी बड़ा सबूत माना था, जिसमें उसने 11 अप्रैल, 2008 को भोपाल में कथित साजिश को लेकर हुई बैठक की बात कही थी।
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