अब पुरुष कर्मी और स्टूडेंट्स भी दर्ज करा सकेंगे सेक्सुअल हैरेसमेंट की शिकायत
नई दिल्ली। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यानी यूजीसी की ने सेक्सुअल हैरेसमेंट को लेकर एक नया नोटिफिकेशन जारी किया है। इस नए नोटिफिकेशन से उन तमाम मेल स्टूडेंट्स और कर्मियों को बड़ी राहत मिली है, जो सेक्सुअल हैरेसमेंट के शिकार हैं लेकिन अपनी शिकायत नहीं दर्ज करा सकते हैं।
क्या है यूजीसी का आदेश
यूजीसी के नए नोटिफिकेशन के तहत सेक्सुअल हैरेसमेंट स्त्री या पुरुष या किसी एक खास लिंग के संबंधित नहीं है। यह किसी के साथ भी हो सकता है। ऐसे में सभी कॉलेजों और इंस्टीट्यूट्स को उन शिकायतों पर भी एक्शन लेना होगा जो किसी पुरुष स्टूडेंट या फिर कर्मी की ओर फाइल की गई हैं।
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यूजीसी के आदेश की खास बातें
- तीसरे पक्ष की ओर से भी शिकायत दर्ज करने का नियम।
- रिश्तेदार, दोस्त और सहकर्मी पीड़ित के साथ शोषण की शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- पीड़ित को तीन माह के अंदर शिकायत दर्ज करानी होगी।
- हर इंस्टीट्यूट को एक आतंरिक शिकायत कमेटी बनानी होगी।
- यह कमेटी ऐसे केसेज की जांच 90 दिनों के अंदर खत्म करेगी।
- दोषी पाए जाने पर स्टूडेंट को कॉलेज से निकाला जा सकता है।
- अगर टीचर दोषी पाया जाता है तो सर्विस रूल्स के तहत कार्रवाई।
- गलत केस दर्ज कराने पर भारी जुर्माने का नियम रखा गया है।
क्या हुआ था 2007 में
यूजीसी अधिकारियों की ओर से कहा गया है उन्हें ऐसी कई घटनाओं के बारे में जानकारी मिली है जहां पर किसी मेल स्टूडेंट्स को शारीरिक तौर पर उत्पीड़ित किया गया है। वर्ष 2007 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के तहत आने वाले रामजस कॉलेज के दो मेल स्टूडेंट्स ने टीचर्स के खिलाफ सेक्सुअल हैरेसमेंट की शिकायत दर्ज कराई थी।