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सदमे में मलेशियाः अनुच्छेद 370 और CAA को लेकर मलेशियाई PM ने दिया था भारत विरोधी बयान!

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बेंगलुरू। भारत सरकार ने मलेशिया से आयात होने वाले पॉम ऑयल तेलों पर प्रतिबंध लगाकर मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद को तगड़ा झटका दिया है। मलेशिया से हर साल आयात के जरिए भारत आने वाले करीब 9 लाख टन पॉम ऑयल की आयात पर प्रतिबंध लगाकर मोदी सरकार ने मलेशिया को स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है कि वह भारत के हितों के खिलाफ और उसके अंदरूनी मामले में दखल देकर व्यापार जारी नहीं रख सकता है।

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गौरतलब है मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने पहली बार जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के हटाए जाने का विरोध किया था और दूसरी बार उन्होंने भारतीय संसद द्वारा पारित और कानून बन चुके नागरिकता संशोधन कानून 2019 का विरोध किया था।

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भारत सरकार ने दोनों ही मामलों पर मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद की टिप्पणी का जोरदार तरीके से विरोध जताया था और मलेशिया को भारत के अंदरूनी मामले में दखल नहीं देने को कहा था, लेकिन पाक परस्त महातिर मोहम्मद ने दोनों ही बार भारत के विरोध के बावजूद टिप्पणी देने से बाज नहीं आए थे, जिसके बाद दोनों देशों में कूटनीतिक मसलों को देखते हुए सरकार ने आयातकों को प्राइवेट तौर पर आयात रोकने की चेतावनी दी है, लेकिन उसका असर मलेशियाई सरकार नहीं हुआ। इतना ही नहीं, सरकार ने पिछले सप्ताह ही इस बारे में चेतावनी भी जारी की थी।

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दरअसल, मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद ने भारत सरकार द्वारा कश्मीर और नागरिकता कानून में किए गए संशोधनों की आलोचना की थी. इसके बाद केंद्र सरकार ने घरेलू आयातकों को मलेशिया से पॉम तेल और पाल्मोलिन आयात बंद करने को कहा था। जारी बयान में महातिर ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन किया था और भारतीय संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध जताया था, जिसे मोदी सरकार ने भारत के अंदरूनी मामलों में दखल करार दिया था और इसके बाद भी जब मलेशिया नहीं मान तो सरकार ने मलेशिया को सबक सिखाने का फैसला किया।

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उल्लेखनीय है भारत मलेशिया के पॉम ऑयल का सबसे बड़ा आयातक देश है, लेकिन अब सरकार ने आयात पर अघोषित रोक लगा दी। माना जा रहा है कि भारत अपनी जरूरत के पॉम ऑयल की आपूर्ति अब इंडोनेशिया के जरिए करेगा। हालांकि क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का आयात मलेशिया से अभी भी जारी रहेगा।

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माना जा रहा है कि भारत सरकार मलेशिया से पॉम ऑयल के आयात पर अघोषित रोक लगाकर एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश की है। मलेशिया से पॉम ऑयल के आयात पर सीधे रोक से रिफाइंड पॉम तेल का आयात घटेगा, इससे क्रूड पॉम ऑयल का आयात बढ़ेगा और देसी खाद्य तेल उद्योग को फायदा हो सकता है।

ऐसा समझा जाता है कि भारत सरकार के इस फैसले से मलेशिया और इंडोनेशिया के बीच पाम तेल की कीमतों को लेकर जंग छिड़ेगी,क्योंकि भारत पाम तेल का एक बड़ा आयातक देश है। भारतीय पॉम ऑयल कारोबारी भी मानते हैं कि मलेशिया से रिफाइंड तेल आयात रुक जाने पर क्रूड पाम का आयात बढ़ेगा, जिससे घरेलू उद्योग को काम मिलने के कारण उसे फायदा होगा। हालांकि रिफाइंड पाम तेल आयात कम करने और क्रूड का आयात ज्यादा करने के मकसद से देसी उद्योग दोनों के आयात शुल्क में कम से कम 15 फीसदी का अंतर रखने की मांग करता रहा है।

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उधर, भारत द्वारा मलेशिया से पॉम ऑयल आयात बंद किए जाने से मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद सदमे में आ गए हैं। मंगलवार को जारी किए एक बयान में मलेशियाई प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत का कदम हमारी चिंताएं बढ़ाने वाला है, लेकिन इसका समाधान खोजने की कोशिश की जाएगी।

वहीं, मलेशिया के विदेश मंत्री दतुक सैफ़ुद्दीन अब्दुल्ला ने कहना है कि प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद की टिप्पणी से उपजे विवाद के बावजूद भारत के साथ अच्छे संबंध हैं और भारत की ओर मलेशियाई उच्चायुक्त को समन करने को मलेशियाई विदेश मंत्री ने सामान्य राजनयिक प्रक्रिया का हिस्सा बताया है।

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मालूम हो, भारत सरकार मलेशियाई पीएम महातिर मोहम्मद ने 20 दिसंबर को भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून पर टिप्पणी करते हुए उसको भारतीय मुसलमानों के विरोधी बताया था। भारत मलेशियाई प्रधानमंत्री से सीएए के खिलाफ दिए गए टिप्पणी पर स्पष्टीकरण चाहता था, लेकिन मलेशियाई प्रधानमंत्री ने दोनों मामलों पर दिए अपनी टिप्पणी पर कोई सफाई नहीं दी। हालांकि मलेशियाई विदेश मंत्री ने मलेशियाई प्रधानमंत्री का बचाव करते हुए यह जरूर कहा कि महातिर मोहम्मद किसी देश के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करते हैं, लेकिन जब मुद्दा लोकतंत्र, मानवाधिकार और क़ानून का होता है तो अपनी राय रखते हैं।

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उल्लेखनीय है कुआलालंपुर समिट में शामिल होने आए महातिर मोहम्मद ने भारतीय संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन क़ानून की ज़रूरत पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जब भारत में सब लोग 70 साल से साथ रहते आए हैं, तो इस क़ानून की आवश्यकता ही क्या थी। उन्होंने आगे कहा कि लोग इस क़ानून के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। 70 साल से सब साथ रहते आए हैं और उन्हें साथ रहने में कोई समस्या भी नहीं रही है। तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने महातिर मोहम्मद के उक्त बयान पर कड़ी आपत्ति जताई थी। भारतीय विदेश मंत्रालय ने मलेशियाई पीएम की सीएए पर टिप्पणी को भारत के आंतरिक मामलों में दखल करार दिया था।

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इससे पहले भी भारत सरकार ने मलेशिया समेत चार देशों से तांबे के तारों के आयात पर 5 वर्ष का प्रतिबंध लगा चुकी है, इनमें तीन अन्य देश इंडोनेशिया, थाइलैंड और वियतनाम शामिल हैं। दरअसल, सरकार की ओर से जांच में यह तथ्य सामने आया था कि इन देशों से तांबे की तारों के आयात से घरेलू कंपनियां प्रभावित हो रही हैं। इस संबंध में वित्त मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया था कि उसने वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) के अंतिम निष्कर्षों पर विचार के बाद चारों देशों से आयातित तांबे के तारों पर सब्सिडी रोधी या प्रतिपूर्ति शुल्क लगाने का फैसला किया गया।

यह भी पढ़ें-Video: जब मलेशिया की फर्स्‍ट लेडी ने पाकिस्‍तान के पीएम इमरान खान से पूछा, 'क्‍या मैं आपका हाथ पकड़ सकती हूं'

पॉम ऑयल आयात पर रोक के लिए महातिर का अड़ियल रवैया जिम्मेदार

पॉम ऑयल आयात पर रोक के लिए महातिर का अड़ियल रवैया जिम्मेदार

मलेशियाई पीएम महातिर मोहम्मद ने एक पोस्ट में भारत के कदम पर चिंता जताई। इससे मलेशियाई अर्थव्यवस्था और वहां के निर्यातकों को काफी नुकसान होगा। हालांकि, उन्होंने कश्मीर और सीएए पर पुराने रुख का बचाव किया। कहा, "मैं गलत बातों का विरोध करता रहूंगा। भले ही देश को इसकी आर्थिक कीमत चुकानी पड़े।" न्यूज एजेंसी से बातचीत में मलेशियाई अधिकारियों और पॉम ऑयल निर्यातकों ने माना कि भारत के इस कदम से उन्हें बहुत भारी घाटा होगा। इस रिपोर्ट के मुताबिक, निर्यातकों ने मलेशियाई सरकार से मांग की है कि दोनों देशों के मतभेद का कूटनीतिक हल जल्द से जल्द खोजा जाए।

मलेशिया के लिए भारत का विकल्प खोजना होगा बेहद मुश्किल

मलेशिया के लिए भारत का विकल्प खोजना होगा बेहद मुश्किल

भारत के पास मलेशिया पॉम ऑयल का विकल्प इंडोनेशिया के रूप में मौजूद है। यानी मोदी सरकार देश की जरूरत का तेल इंडोनेशिया से आयात कर सकती है। ये प्रक्रिया शुरू भी की जा चुकी है। लेकिन, मलेशिया को घाटे की भरपाई करना और दूसरे आयातक खोजना बेहद मुश्किल होगा। इससे महातिर सरकार संकट में आ सकती है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, "किसी भी देश से कारोबारी रिश्तों का आधार दोनों देशों की मित्रता से जुड़ा है।" जानकारी के मुताबिक, मलेशियाई सरकार अब पाकिस्तान, फिलीपींस, म्यांमार, वियतनाम और अल्जीरिया को आयात के लिए मना रही है। हालांकि, ये सब देश मिलकर भी भारत का विकल्प नहीं बन सकते।

2019 में भारत ने करीब 5 लाख टन पॉम ऑयल मलेशिया से खरीदा

2019 में भारत ने करीब 5 लाख टन पॉम ऑयल मलेशिया से खरीदा

भारत हर साल करीब 9 लाख टन पॉम ऑयल आयात करता है। 2019 में करीब 5 लाख टन पॉम ऑयल मलेशिया से खरीदा गया। जानकार बताते हैं कि इस साल यह 1 लाख टन से भी कम हो सकता है। मलेशिया ट्रेड कांग्रेस ने दोनों सरकारों से विवाद सुलझाने की अपील की है। उसने एक बयान में कहा- हमें उम्मीद है कि दोनों देश कूटनीतिक अहम छोड़कर इस समस्या का हल निकालेंगे। मलेशिया को जीडीपी का 2.8 फीसदी पॉम ऑयल एक्सपोर्ट से ही प्राप्त होता है। यह उसके कुल निर्यात का 4.5 प्रतिशत है।

भारत मलेशिया पर तांबे के तारों के आयात पर प्रतिबंध लगा चुकी है

भारत मलेशिया पर तांबे के तारों के आयात पर प्रतिबंध लगा चुकी है

इससे पहले भी भारत सरकार ने मलेशिया समेत चार देशों से तांबे के तारों के आयात पर 5 वर्ष का प्रतिबंध लगा चुकी है, इनमें तीन अन्य देश इंडोनेशिया, थाइलैंड और वियतनाम शामिल हैं। दरअसल, सरकार की ओर से जांच में यह तथ्य सामने आया था कि इन देशों से तांबे की तारों के आयात से घरेलू कंपनियां प्रभावित हो रही हैं। इस संबंध में वित्त मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया था कि उसने वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) के अंतिम निष्कर्षों पर विचार के बाद चारों देशों से आयातित तांबे के तारों पर सब्सिडी रोधी या प्रतिपूर्ति शुल्क लगाने का फैसला किया गया।

Comments
English summary
Malaysian Prime Minister Mahathir bin Mohammed criticized the amendments made in Kashmir and citizenship law by the Government of India. After this, the central government had asked domestic importers to stop importing palm oil and palmolein from Malaysia. In a statement issued, Mahathir had supported Pakistan on the Kashmir issue and protested against the Citizenship Amendment Bill passed by the Indian Parliament, which was dubbed by the Modi government as interfering in the internal affairs of India and even after that, when Malaysia did not agree Decided to teach Malaysia a lesson.
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