Swine flu की वैक्सीन बनाने वाली कंपनी का दावा, 'Coronavac' के 10 करोड़ डोज बनाने की तैयारी
नई दिल्ली- चीन की एक दवा बनाने वाली अनुभवी कंपनी कोरोना वायरस की एक वैक्सीन की बड़े पैमाने पर उत्पादन की तैयारी शुरू कर चुकी है। हालांकि, कंपनी का दावा है कि उसकी वैक्सीन अभी ट्रायल के दौर में ही है, लेकिन उसने अभी से दुनिया भर की कंपनियों से इस वैक्सीन के लिए साझेदारी पर बातचीत भी शुरू कर दी है। चीन पर जिस तरह से आरोप लग रहे हैं कि वह इस महामारी के बारे में बहुत कुछ छिपा रहा है, उससे लगता है कि हो सकता है कि वहां वैक्सीन पर भी काफी पहले से ही काम चल रहा हो और वह किसी भी वक्त इस वैश्विक संकट की घड़ी में कोविड-19 की वैक्सीन उतारकर पूरे दुनिया पर एकाधिकार प्राप्त कर ले। क्योंकि, ट्रायल पूरी होने से पहले ही हजारों शॉट्स तैयार करके रख लेने जैसा दावा करना बहुत बड़ी बात है और वह भी उस कंपनी के लिए जो फ्लू, हेपेटाइटिस और स्वाइन फ्लू की दवाइयां और वैक्सीन दुनिया की कंपनियों को मुहैया कराती रही है।
ट्रायल पूरी होने से पहले ही रखा नाम 'कोरोनावैक'
चीन की एक कंपनी साइनोवैक बायोटेक ने कोरोना वायरस की वैक्सीन 'कोरोनावैक' को लेकर बहुत बड़ा दावा किया है। चीन में कोरोना वायरस की वैक्सीन के चार क्लीनिकल ट्रायल को इजाजत मिली हुई, जिसमें एक साइनोवैक बायोटेक का ट्रायल भी शामिल है। कंपनी ने दावा किया है कि उसका रिसर्च आखिरी दौर में है और चौंकाने वाले नतीजे मिले हैं। इंसानों पर ट्रायल शुरू करने के साथ ही कंपनी ने दावा किया है कि वह उस वायरस को रोकने के लिए सालाना 'कोरोनावैक' के 10 करोड़ डोज बनाने के लिए तैयार है, जो दुनिया भर में अब तक करीब सवा दो लाख लोगों की जानें ले चुका है। ये कंपनी अपनी वैक्सीन को लेकर इतनी भरोसेमंद है कि हजारों डोज पहले से ही बनाकर सफेद और नारंगी रंग के पैकेट में बंद कर लिए हैं।
वैक्सीन बनाने के लिए दिन-रात तीन शिफ्ट में हो रहा है काम
चीनी कंपनी को अपनी कामयाबी पर पूरा यकीन है, लेकिन उसे पता है कि वह कितना भी उत्पादन कर ले, पूरी दुनिया की आबादी के लिए उसके स्टॉक नाकाफी पड़ जाएंगे। इसलिए कंपनी ने अभी से विदेशी साझेदारों के साथ हाथ मिलाने की तैयारी शुरू कर दी है। उसके ये विदेशी सहयोगी पहले से ही फ्लू और हेपेटाइटिस की दवाएं उससे खरीदते रहे हैं। कंपनी के अंतरराष्ट्रीय मामलों के डायरेक्टर मेंग विंनिंग के मुताबिक, 'इस समय हम यूरोप और एशिया के कई देशों से बात कर रहे हैं।' कंपनी कितनी बड़ी तादाद में इस दवा को बनाने की योजना पर काम कर रही है, इसका अंदाजा इसी से लगता है कि मेंग ने कहा, 'हम दिन और रात काम करते हैं, हमारे यहां तीन ग्रुप में काम हो रहा है, 24 घंटे काम हो रहा है, ऐसा इसलिए कि वैक्सीन बनाने के लिए हम एक मिनट भी जाया नहीं कर सकते।'
कई वायरल बीमारियों की वैक्सीन बना चुकी है
दवाओं के व्यापक स्तर पर उत्पादन का कंपनी का अनुभव नया नहीं है। नैसडैक में लिस्टेड साइनोवैक बायोटेक वह पहली कंपनी है, जिसने 2009 में H1N1 या स्वाइन जैसे वायरस का पहला वैक्सीन बाजार में उतारा था। साइनोवैक ने वैक्सीन के ट्रायल के जो नतीजे जारी किए हैं, उससे पता चलता है कि जानवरों में ट्रायल के दौरान यह इंफेक्शन से बचाव करने में काफी सफल रहा है। हालांकि, उसके नतीजों को विश्व के वैज्ञानिक समुदाय ने अभी समीक्षा नहीं की है। इस ट्रायल के बाद उसने अपने पूर्वी जियांग्सु प्रांत में 144 वॉलेंटियर पर भी इसका परीक्षण किया है। हालांकि, इस ट्रायल के बारे में अभी वह ज्यादा कुछ नहीं बता रहा है।
बाजार में आने को लेकर सीधा जवाब नहीं
1,000 कर्मचारियों वाली कंपनी साइनोवैक बायोटेक को उम्मीद है कि जून के अंत तक क्लीनिकल ट्रायल के पहले दो फेज के भी नतीजे आ जाएंगे। इसके बाद कंपनी तीसरे फेज की ट्रायल शुरू करेगी जिससे पता चलेगा कि उसका प्रोडक्ट वायरस के कैरियर्स पर कितना कारगर है। कंपनी के ब्रैंड मैनेजमेंट डायरेक्टर लियु पीचेंग से जब सवाल हुआ कि यह वैक्सीन कब तक बाजार में आ जाएगा तो उन्होंने ये कहकर स्पष्ट जवाब को टाल दिया कि, 'यह एक ऐसा सवाल है कि हर कोई खुद से पूछ रहा है।'