बीमारी नहीं, अजय माकन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने के पीछे ये है असल वजह
नई दिल्ली। दिल्ली में वैसे तो सिर्फ सात लोकसभा सीटें हैं लेकिन इन पर किसी भी दल की जीत अपने आप में बड़े मायने रखती है। दिल्ली वैसे भी सत्ता का केंद्र है तो यहां केंद्र सरकार, दिल्ली की सरकार और यहां के नेता हमेशा चर्चा में रहते हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में करीब छह महीनों का वक्त है और इसे लेकर राजनीतिक दल सक्रीय भी हो गए हैं। ऐसे में किसी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का इस्तीफा उसके लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है। कांग्रेस के साथ दिल्ली में कुछ ऐसा हो रहा है। खबर आई की दिल्ली कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन पार्टी ने इस बात से इनकार किया है। पार्टी का कहना है कि माकन इलाज के लिए विदेश गए हैं।
नाराजगी के कई कारण
कांग्रेस भले ही अजय माकन के इस्तीफे से इनकार करे लेकिन इन घटनाओं के पीछे पार्टी के नेता और राजनीतिक विश्लेषक कई कारण माने रहे हैं। इस्तीफे की बात के पीछे स्वास्थ्य एक कारण बताया जा रहा है लेकिन माकन की नाराजगी के कई दूसरे कारण भी हैं। सबसे महत्वपूर्ण कारण ये है कि अजय माकन 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन के खिलाफ हैं।
‘आप’ से गठबंधन के खिलाफ माकन
अजय
माकन
ने
ना
केवल
‘आप'
के
साथ
गठबंधन
को
लेकर
ट्वीट
किया
बल्कि
उन्होंने
गठबंधन
करने
के
खिलाफ
बयान
भी
दिया
था।
सूत्रों
का
कहना
है
कि
इसके
बावजूद
केंद्रीय
नेतृत्व
‘आप'
के
साथ
गठबंधन
करना
चाहता
था
जिसमें
कांग्रेस
को
तीन
लोकसभा
सीटें
मिलनी
थीं,
जबकि
आम
आदमी
पार्टी
को
चार
सीटों
पर
चुनाव
लड़ना
था।
सूत्रों
ने
कहा
कि
पार्टी
नेतृत्व
ने
इसे
लगभग
अंतिम
रूप
दे
दिया
था
कि
चुनाव
गठबंधन
में
लड़ें
जाएंगे
लेकिन
अजय
माकन
इसके
पक्ष
में
नहीं
थे।
हाल
ही
में
माकन
ने
दिल्ली
में
सीलिंग
के
खिलाफ
तीन
बड़ी
रैलियों
का
आयोजन
किया।
एक
पश्चिमी
दिल्ली,
दूसरी
सेंट्रल
दिल्ली
और
तीसरी
उत्तरी
दिल्ली
में
कई
गई
थी।
ये
तीनों
रैलियां
काफी
सफल
रहीं
और
इनकी
सफलता
ने
आम
आदमी
पार्टी
को
भी
एक
तरह
से
झटका
दिया।
ऐसे
में
अगर
कांग्रेस
‘आप'
के
साथ
गठबंधन
करना
चाहती
है
तो
ये
संकेत
ठीक
नहीं
गए।
राहुल
गांधी
के
करीबी
होने
के
बावजूद
संगठन
में
अजय
माकन
कमजोर
हुए
हैं
और
कई
नेता
उनके
खिलाफ
भी
हैं।
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माकन को किया नजरअंदाज
माकन ने वास्तव में रणदीप सिंह सुरजावाला को आगे बढ़ाया जो अब माकन को पीछे छोड़कर कांग्रेस के संगठन में बहुत मजबूत हैं। लोगों ने केंद्रीय नेतृत्व से माकन के बारे में कई शिकायतें भी की। लेकिन सूत्रों का कहना है कि मामले में असली मोड़ तब आया जब अजय माकन के विरोध के बावजूद पार्टी ने भारत बंध के कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी को आमंत्रित किया। ‘आप' की तरफ से इसमें संजय सिंह ने भाग लिया था। सूत्रों बताते हैं कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष शरद पवार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कुछ अन्य नेताओं ने कांग्रेस को आम आदमी पार्टी को साथ लेने का सुझाव दिया था। जबकि इससे पहले कांग्रेस ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में ‘आप' से समर्थन नहीं मांगा था।
माकन से कई लोग नाराज
आम आदमी पार्टी को पहली बार पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी के खिलाफ कांग्रेस के भारत बंद में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। ये केंद्रीय नेतृत्व द्वारा अजय माकन को नजरअंदाज कर किया गया था। ये भी कहा जाता है कि माकन का व्यवहार और अहंकार पार्टी को भी नुकसान पहुंचा रहा था और यही वजह थी की अरविंदर सिंह लवली ने पार्टी छोड़ी। यहां तक की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी उनसे खुश नहीं थीं। फिलहाल अजय माकन को लेकर पार्टी जो भी सफाई दे लेकिन सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस को जल्द ही दिल्ली में नया मुखिया मिलेगा।
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