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कोरोना काल में कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री ने बनाया नया रिकॉर्ड, LHB कोचों का किया सबसे ज्यादा उत्पादन
नई दिल्ली। कोरोना काल में जहां चारों ओर मंदी का दौर है, लोग अपने रोजगार को लेकर परेशान है तो वहीं विरोधी दल इकोनॉमी को लेकर सरकार को कोस रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इंडियन रेलवे ने इस दौर में भी सफलता का नया इतिहास लिखा है, आपको जानकर खुशी होगी कि 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत 'कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री' ने महामारी काल में रेलवे कोच बनाने का नया रिकॉर्ड बनाया है, उसने अक्टूबर में सुरक्षित LHB कोचों की उच्चतम उत्पादकता को लगभग दोगुना कर दिया है, ये अपने आप में बड़ा कीर्तिमान है।
इस बारे में जानकारी देते हुए रेलवे मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कोरोना काल में 'कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री' ने 3.08 कोचों के मुकाबले 5.88 कोच प्रति दिन के हिसाब से बनाए हैं, उन्होंने इस बारे में एक ट्वीट भी किया है।
क्या होते हैं LHB कोच
- दरअसल LHB का पुरा नाम है लिंक हॉफमेन बुश, जो आपस में टकराते नहीं हैं।
- जर्मन तकनीक के आधार पर बने ये कोच पुराने कोच की तुलना में 1.5 मीटर लंबे होते हैं।
- एलएचबी कोचों और सीबीसी कपलिंग होने से ट्रेन के कोचों के पलटने की गुंजाइश नहीं रहती है और अगर किसी कारणवश ट्रेन डिरेल भी हो तो भी कपलिंग टूटती नहीं है।
- LHB कोच पुराने कन्वेशनल कोच से काफी अलग होते हैं।
- ये उच्च स्तरीय तकनीक से लैस होते हैं, इनमें एक्जावर का उपयोग किया गया है, जिससे आवाज कम होती है। यानी कि पटरियों पर दौड़ते वक्त अंदर बैठे यात्रियों को ट्रेन के चलने की आवाज बहुत धीमी आती है और लोगों सफर का आंनद बिना शोर के उठाते हैं।
- ये कोच पुराने परंपरागत कोच से हल्के होते हैं, ये बाहर की ओर स्टेनलेस स्टील के और अंदर की ओर एल्यूमीनियम के बने होते हैं।
- इन कोचों में शाक एक्जावर लगा होता है, जिससे यात्रियों को झटका नहीं लगता है।
- इन कोचों में कंट्रोल्ड डिस्चार्ज टायलेट सिस्टम भी होता है।
Comments
English summary
Make in India breaks pre-COVID manufacturing records-Rail Coach Factory, Kapurthala doubled its production and achieved the highest productivity of safer LHB coaches in Oct. Railway Minister Piyush Goyal.
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