Jaswant Singh Profile: 'अटल के हनुमान' कहलाते थे जसवंत सिंह, सैनिक के रूप में की थी देश सेवा
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह ने आज सुबह दुनिया को अलविदा कह दिया, 82 वर्षीय जसवंत सिंह पिछले 6 साल से काफी बीमार थे, दिल्ली स्थित आर्मी रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल ने बयान जारी कर बताया कि पूर्व कैबिनेट मंत्री, मेजर (रिटायर्ड) जसवंत सिंह का रविवार सुबह 6.55 बजे निधन हो गया, वह 25 जून को यहां भर्ती हुए थे, उनके कई अंग ठीक तरह से काम नहीं कर रहे थे, इसके अलावा सेप्सिस का भी उपचार चल रहा था, आज सुबह हृदय घात से उनका निधन हो गया, उनकी कोविड रिपोर्ट निगेटिव आई थी।
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नहीं रहे जसवंत सिंह, पीएम मोदी ने जताया दुख
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के बेहद करीबी माने जाने वाले जसवंत सिंह के निधन पर पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने गहरा शोक प्रकट किया है, पीएम मोदी ने कहा कि जसवंत सिंह ने हमारे देश की सेवा पूरी मेहनत से की, पहले एक सैनिक के रूप में और बाद में राजनीति के साथ अपने लंबे जुड़ाव के दौरान, अटल जी की सरकार के दौरान, उन्होंने महत्वपूर्ण विभागों को संभाला और वित्त, रक्षा और विदेश मामलों में एक मजबूत छाप छोड़ी, उनके निधन से दुखी हूं।
राजस्थान के बाड़मेर में हुआ था जसंवत सिंह का जन्म
आपको बता दें कि जसवंत सिंह का जन्म 3 जनवरी 1938 को राजस्थान के बाड़मेर जिले के गांव जसोल में राजपूत परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम ठाकुर सरदारा सिंह और माता कुंवर बाई था, इन्होंने मेयो कॉलेज अजमेर से बीए, बीएससी करने के बाद भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून और खड़गवासला से सैन्य प्रशिक्षण लिया। वे पंद्रह साल की उम्र में भारतीय सेना में शामिल हुए थे, जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह के करीबी जसवंतसिंह 1960 के दशक में वे भारतीय सेना में अधिकारी थे।
वित्त मंत्री, विदेश मंत्री,रक्षा मंत्री के साथ कपड़ा मंत्री भी रहे
साल 1980 में जसवंत सिंह पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए थे, साल 1996 में उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में इन्हें वित्तमंत्री चुना गया। हालांकि वह 15 दिन ही वित्तमंत्री रहे और फिर अटल सरकार गिर गई। दो साल बाद 1998 में दोबारा वाजपेयी की सरकार बनने पर उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया था, इसके बाद साल 2000 में इन्हें भारत का रक्षा मंत्री बनाया गया था, फिर इसके बाद फिर से ये साल 2002 में वित्तमंत्री बने थे और साल 2004 तक में इन्होंने वित्तमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था, ये अटल सरकार में कपड़ा मंत्री भी रहे थे।
'अटल के हनुमान' कहलाते थे जसवंत सिंह
लेकिन साल 2014 में इनका बागी रूप सामने आया, इन्होंने बाड़मेर से सांसद का टिकट ना मिलने पर नारजगी जताई जिस पर इन पर अनुशासनहीनता का आरोप लगा, जिस पर इन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्काषित कर दिया गया था और उस चुनाव में मोदी लहर के कारण उन्हें कर्नल सोनाराम के हाथों हार का सामना भी करना पड़ा था। 2012 में उन्हें बीजेपी में उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया था हालांकि ये जीत नहीं पाए थे।
विवादों से रहा नाता
ज्वलंत मुद्दों पर बेबाकी से बोलने वाले जसवंत सिंह का विवादों से भी नाता रहा है, 2009 को भारत विभाजन पर उनकी किताब जिन्ना-इंडिया, पार्टिशन, इंडेपेंडेंस पर काफी बवाल मचा था तो वहीं नेहरू-पटेल की आलोचना और जिन्ना की प्रशंसा के लिए उन्हें भाजपा से भी निकाल दिया गया था।
आतंकियों को लेकर जसवंत ही कंधार गए थे
यही नहीं 24 दिसंबर 1999 को एयर इंडिया के विमान को आतंकियों ने हाइजैक कर लिया और IC-814 विमान को कंधार ले गए थे, यात्रियों को बचाने के लिए सरकार को तीन आतंकी छोड़ने पड़े थे। इन आतंकियों को लेकर जसवंत ही कंधार गए थे, जिस पर विपक्ष ने इन पर कई तरह के आरोप लगाए थे, तो वहीं उस वक्त मीडिया में इन्हें 'अटल के हनुमान' कह कर संबोधित किया था।