सेना का दावा- उत्तरी कश्मीर में अब बंद हुई पत्थरबाजी, घाटी के लोग चाहते हैं शांति
जम्मू: मोदी सरकार ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया था। इसके बाद उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। वहीं दूसरी ओर सेना भी लगातार कश्मीर घाटी से आतंकियों के सफाये के लिए अभियान चला रही है। जिसके परिणाम अब जमीनी स्तर पर दिखने लगे हैं। सेना का दावा है कि कश्मीर की जनता अब शांति के साथ जीवन जीना चाहती है, जिस वजह से वहां से आतंकवाद का सफाया हो रहा है।
मामले में किलो फोर्स के जीओसी मेजर जनरल एच.एस साही ने कहा कि उत्तरी कश्मीर में अब स्थिति शांतिपूर्ण और स्थिर है। साथ ही पथराव और बंद की घटनाएं भी नहीं देखने को मिलती। घाटी का आम आदमी शांति और स्थिरता चाहता है। स्थानीय युवाओं के आतंकी बनने के सवाल पर उन्होंने कहा कि 2021 में सिर्फ एक युवक ने बंदूक उठाई थी। हालांकि 5 दिनों बाद उसने सरेंडर कर दिया। युवाओं और समाज के सभी वर्गों के साथ सेना के जुड़ाव ने ये सुनिश्चित किया है कि आतंकी संगठनों में युवाओं की भर्ती ना हो।
भारत-पाकिस्तान के बीच हुई बातचीत पर मेजर जनरल साही ने कहा कि ये हिंसा के स्तर को कम करने के लिए एक सकारात्मक कदम है। हमें उम्मीद है कि दोनों पक्ष इसे सही तरीके से आगे बढ़ाएंगे। ये सुनिश्चित करने का तरीका है कि हम जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता के करीब आए हैं।
जम्मू-कश्मीर: अनंतनाग में सेना और आंतकियों के बीच मुठभेड़, 4 आतंकी ढेर, कई के छिपे होने की आशंका
किन
मुद्दों
पर
समझौता?
आपको
बता
दें
कि
इसी
हफ्ते
भारतीय
सेना
के
डायरेक्टर
जनरल
ऑफ
मिलिट्री
ऑपरेशन
ने
पाकिस्तान
में
अपने
समकक्ष
से
हॉटलाइन
पर
बात
की।
इस
दौरान
दोनों
पक्षों
ने
एलओसी
के
साथ
ही
दूसरे
क्षेत्रों
में
समझौतों,
सहमतियों
और
युद्धविराम
का
कड़ाई
से
पालन
करने
पर
सहमति
व्यक्त
की
है।
ये
समझौता
24-25
फरवरी
की
मध्य
रात्रि
से
लागू
हो
गया
है।
सूत्रों
के
मुताबिक
भारत
संघर्ष
विराम
समझौते
को
एक
सकारात्मक
कदम
के
रूप
में
देखता
है
लेकिन
वो
समय-समय
पर
इसकी
जांच
करता
रहेगा।
नई
दिल्ली
बारीकी
से
देखेगा
कि
क्या
युद्ध
विराम
समझौते
के
बाद
सीमा
पार
आतंकी
गतिविधियां
कम
हुई
हैं
या
नहीं।