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लीची नहीं, गरीबी है मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत की वजह: सर्वे

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नई दिल्ली। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से पीड़ित 150 से अधिक बच्चों कि मौत के पीछे की कोई सटीक वजह तो अभी तक सामने नहीं आ पाई है, लेकिन बिहार सरकार और केंद्रीय एजेंसियों की टीमों इसके कारण को खोजने का प्रयास किया है और कुछ चौकाने वाले खुलासे भी किए हैं। एजेंसियों ने शुरुआती सर्वे में पाया है कि बच्चों के बीमार पड़ने के पीछे लीची कारण नही है। इसके पीछे वजह कुछ और है।

सर्वे में 289 परिवारों को किया गया शामिल

सर्वे में 289 परिवारों को किया गया शामिल

एजेंसियों की ओर से इस सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के 289 परिवारों को शामिल किया गया। इससे पता चला कि 280 परिवार गरीबी रेखा से नीचे हैं और अधिकतर दौनिक मजदूरी करके परिवार का लालन पालन करते हैं। इन परिवारों में 29 लड़कियां मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना की लाभार्थी थीं। जो बालिकाओं को मौद्रिक सहायता देने की योजना थी। इसके अलावा 99 परिवार ऐसे हैं जिनको इंदिरा आवास या पीएम आवास योजना का लाभ मिला है।

96 परिवारों के पास कोई राशन कार्ड नहीं है

96 परिवारों के पास कोई राशन कार्ड नहीं है

सर्वेक्षण में सामने आया है कि अधिकांश परिवारों में तीन से अधिक बच्चें हैं, जबकि 96 के परिवारों के पास कोई राशन कार्ड नहीं है और 124 परिवार ऐसे हैं जिनको पिछले महीने से सार्वजिनक वितरण प्रणाली से राशन नहीं मिला है। इसके अलावा सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि मुजफ्फरपुर में अपने बीमार बच्चों को अस्पातल ले जाने के लिए इनमें से केवल 159 परिवारों को एम्बुलेंस मिलीं। इसके अलावा 383 एईएस रोगियों का विश्लेषण किया गया है जिसमें बुधावार तक 100 लोग शामिल थे। अस्पताल से पता चला है कि भर्ती मरीजों में 223 लड़कियां थी और 159 लड़के थे।

उम्र के हिसाब से मरीजों की संख्या

उम्र के हिसाब से मरीजों की संख्या

सर्वे में यह बात सामने आई है कि अधिकांश रोगी (84 लड़कियां और 51 लड़के) 1-3 वर्ष की आयु के थे और उनके लीची के बगीचों में जाने की संभावना न के बराबर है। वहीं 3 से 5 साल की आयु में 70 लड़कियां और 43 लड़के थे, जबकि 5-7 साल वर्ग के बीच 36 लड़कियां और 31 लड़के थे। 7-9 साल के बीच 14 लड़के मिले हैं। 9-11 साल के आयु के बीच 10 लड़के और 7 लड़कियां मिली है। इसके अलावा सात लड़के और एक लड़की जिनकी आयु 11 साल से अधिक रही है। जबकि छह लड़कियां और तीन बच्चे ऐसे थे जिनकी उम्र 1 साल या उससे कम उम्र के थे। हालांकि अभी तक एईएस जिसे दिमागी बुखार कहा जात है, जो कि किसी भी एक वायरस के कारण होता है। इसके लक्षण तेज बुखार, उल्टी और पक्षाघात या फिर बेहोश होना हो सकता है।

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English summary
major factors behind Muzaffarpur Child Deaths is poverty, not litchi: survey
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